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सुप्रीम कोर्ट

बड़ी ख़बर: एससी/एसटी… सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों पर छोड़ा पदोन्नति में आरक्षण देने का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में के आरक्षण देने के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर राज्य सरकारें चाहे तो वे अपने-अपने राज्य के मुताबिक, एससी/एसटी समुदाय को पदोन्नति में आरक्षण दे सकती हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इसके लिए कोई डाटा जमा करने की आवश्यकता नहीं है, साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि 2006 में नागराज मामले में सुनाए गए फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं है.

गौरतलब है कि नागराज मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि एससी/एसटी समुदाय को तभी पद्दोनति में आरक्षण का लाभ दिया जाए, जब ये तय हो जाए कि उनका प्रतिनिधित्व कम है और वो प्रशासन की मजबूती के लिए जरूरी है. इसके लिए 2006 के फैसले में कहा गया था कि राज्य सरकारों को उनके पिछड़ेपन, सरकारी सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और संपूर्ण प्रशासनिक दक्षता कि जानकारी देनी होगी. आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा है कि सरकार को दोबारा आंकड़े इकठ्ठा करने की कोई जरुरत नहीं है.

इससे पहले केंद्र सरकार ने अदालत ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि देश का एससी/एसटी तबका आज भी प्रताड़ना का शिकार है, इसलिए उन्हें पदोन्नति में आरक्षण दिया जाना चाहिए, इस पर अदालत ने केंद्र की इस मांग को सीधे तौर पर ख़ारिज न करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारों को लगता है कि उनके राज्य में प्रमोशन में आरक्षण दिया जाना चाहिए तो वे दे सकते हैं.

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