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रेलवे

कई पत्रकारों का सवाल: रेलवे की नजर में पत्रकार विकलांग श्रेणी में क्यों?


पत्रकार विकलांग हैं? ये सवाल अचानक ही खड़ा नहीं हुआ है, बल्कि रेलवे की कारगुजारियों के चलते पत्रकार आपस में एक-दूसरे से यह सवाल पूछने पर विवश हो गए हैं. इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) तो कम से कम पत्रकारों को विकलांग ही मानता है. यही वजह है कि आईआरसीटीसी की टिकट बुकिंग वेबसाइट पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को दिव्यांग श्रेणी में ही रखा गया है.

दरअसल, मान्यता प्राप्त पत्रकारों को रेल टिकट की बुकिंग में रियायत मिलती है, इसी तरह रेलवे विकलांगों के लिए भी अलग से कोटा निर्धारित करता है. इन दोनों के लिए अलग-अलग विकल्प देने के बजाए रेलवे ने उन्हें एक ही बना दिया है. मसलन, यदि आप मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं और छूट का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको ‘मैं विशेष रियायत में बुक करूंगा (दिव्यांग और पत्रकार)’ विकल्प का चयन करना होगा. पत्रकारों के लिए अलग से कोई श्रेणी नहीं है.

गौर करने वाली बात यह है कि कोटे की जो श्रेणियां निर्धारित की गई हैं, उसमें तत्काल के साथ-साथ, सीनियर सिटीजन, लेडीज और दिव्यांग भी है, लेकिन पत्रकार शामिल नहीं हैं. ऊपर जहां बुकिंग का विवरण आता है वहीं छोटे-छोटे शब्दों में लिखा हुआ है दिव्यांग और पत्रकार.

गौरतलब है कि पत्रकारों की सालों से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए 2016-17 के रेल बजट में अन्य यात्रियों की तरह मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए भी ऑनलाइन रेलवे टिकट हासिल करने का प्रावधान किया गया था. रेलमंत्री सुरेश प्रभु की इस पहल के बाद मार्च 2016 में आईआरसीटीसी की वेबसाइट में संशोधन करके पत्रकारों को रियायती पासों पर ई-टिकट बुकिंग सेवा उपलब्ध कराने का विकल्प जोड़ा गया, लेकिन आधे-अधूरे मन से किए गए इस अमल ने पत्रकारों को भी विकलांगों के श्रेणी में रख दिया. इस प्रावधान से पहले, मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सिर्फ रेलवे आरक्षण काउंटर पर ही रियायती दरों पर टिकट बुक कराने की सुविधा प्राप्त थी.

पत्रकारों का कहना है कि रेलवे को बाकी श्रेणियों की तरह उनके लिए भी एक अलग श्रेणी बनानी चाहिए. उनका ये भी कहना है कि प्रीमियम ट्रेन जैसे कि राजधानी और शताब्दी में न के बराबर रियायत दी जाती है. अब रेलमंत्री पत्रकारों की इस मांग पर गौर फरमाते हैं या नहीं, ये देखने वाली बात होगी.

साभार: समाचार4मीडिया डॉट कॉम

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