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IMA ने कहा- मरीजों के दुश्मन बन गए दवा विक्रेता संघ के सदस्य, मानवता के नाते दवा दे रहे डॉक्टर को पीटा, कान का पर्दा फट गया, फिर भी पुलिस ने लगाई मामूली धाराएं…  क्या चार मोबाइल नंबर आपातकालीन सुविधा है: डॉ गिरी


बिलासपुर/ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पदाधिकारियों का कहना है कि जिला औषधि संघ से जुड़े लोगों ने बंद के दौरान मरीजों के इलाज़ कर रहे डॉक्टरों से न सिर्फ़ गाली-गलौज की, बल्कि डॉक्टरों से मारपीट भी की। इस हमले में एक डॉक्टर के कान का पर्दा फट गया है। मेडिकल रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हो चुकी है। मारपीट करने वाले एक आरोपी भाजपा नेता का पुत्र है। शायद इसीलिए दबाव में आकर पुलिस ने न तो अब तक धाराएं बढ़ाई है और ना ही किसी आरोपी की गिरफ्तारी की है।

आईएमए पुलिस प्रशासन से अपेक्षा करती है कि आरोपियों द्वारा किए गए अपराध के लिए काननू में जो प्रावधान  है, उसी के तहत उन पर जुर्म दर्ज किया जाए। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आर के गुप्ता, सचिव डॉ. आशीष मुदड़ा, पूर्व अध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा, डॉ. हेमंत चटर्जी, सदस्या डॉ. श्रीकांत गिरी ने रविवार दोपहर प्रेस क्लब में सयुक्त प्रेसवार्ता ली। अध्यक्ष डॉ. गुप्ता ने बताया कि 28 सितंबर को जिला दवा व औषधि संघ के शहर बंद को आईएमए ने इसलिए समर्थन दिया था, क्योंकि हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। बंद के दौरान डॉक्टर्स अपनी ओपीडी में मरीजों का इलाज़ कर रहे थे औऱ मेडिकल बंद होने के कारण अपने पास रखी दवाओं को दे रहे थे, ताकि मरीजों की मर्ज़ में सुधार हो। शाम 5 बजे जिला दवा व औषधि संघ से जुड़े राघवेंद्र गुप्ता, महेश अग्रवाल, हरजीत सिंह व अन्य मगरपारा रोड स्थित ARC and PARC क्लीनिक पहुंचे। नर्सिंग होम लॉन में ही दवा दुकान संचालित है, जिसे खुला देख उन लोगों ने नर्सिंग होम संचालक डॉ. जगबीर सिंह को अश्लील गालियां दी। मना करने पर उन लोगों ने पहले धक्कामुक्की की। फिर हाथ और मुक्कों से चेहरा और बाएं कान की जमकर पिटाई की। इसके बाद श्रीशिशु भवन में जाकर संचालक श्रीकांत गिरी से दुव्यर्वहार किया और धक्कामुक्की भी की। इसी तरह अग्रसेन चौक स्थित स्टार चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भी इन लोगों ने उत्पात मचाया। मामले की रिपोर्ट पर पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ मारपीट की मामूली धाराएं लगाई है, जबकि मारपीट में डॉ. जगबीर सिंह के कान का पर्दा फट गया है।

डॉ. गिरी बोले- क्या चार मोबाइल नंबर आपातकालीन सुविधा है?

शिशु भवन के संचालक डॉ. गिरी का कहना है कि हमारा पेश समाजसेवा से जुड़ा हुआ है। कोई भी डॉक्टर किसी मरीज़ को निराश नहीं करना चाहता। मानवता के नाते डॉक्टर भी चाहते हैं कि मरीज़ उनके पास से सन्तुष्ट होकर जाए। इसलिए बंद के दौरान हमने अपनी ओपीडी चालू रखी थी, जहां मरीजों का इलाज किया जा रहा था। उनका कहना है कि डॉक्टर के लिए हर समय आपातकालीन स्थिति रहती है, क्योंकि बच्चे हो, बुजुर्ग हो, युवा हो या फिर महिलाएं, जो छोटे से लेकर बड़ी बीमारियों से तत्काल राहत पाना चाहते हैं। ऐसे लोग हमारे पास आते हैं तो हमारा भी फर्ज बनता है कि उन्हें आपातकालीन सुविधा दें। उन्होंने बंद के दौरान जिला दवा व औषधि संघ की आपातकालीन सुविधा पर सवालिया निशान लगाया और कहा कि उनके संघ ने सिर्फ चार मोबाइल नंबर सार्वजनिक किए थे, जिस पर कॉल करने पर तत्काल दवा उपलब्ध कराने का दावा किया गया था। डॉ. गिरी का कहना है कि शहर में छोटे से लेकर बड़े अस्पताल हैं। इनमें सिम्स, जिला अस्पताल और अपोलो भी शामिल हैं। सिर्फ सरकारी अस्पतालों में रोजाना दो से तीन हजार मरीज़ इलाज करने पहुंचते हैं। जिला दवा व औषधि संघ के क्या ये चार मोबाइल नंबर इतने मरीजों के पास दवा पहुंचाने के लिए पर्याप्त थे।

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