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बिलासपुर

छत्तीसगढ़ भाजपा: राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दे गए हैं संदेश… बाप-दादा-परदादा के नाम पर नहीं मिलेगा टिकट…


बिलासपुर/ राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से बूथों के कार्यकर्ता कितने रिचार्ज हुए ये तो पता नहीं, पर वे यह साफ कर गए कि अब भाजपा में बाप-दादा और परदादा के नाम से किसी को टिकट नहीं मिलेगा। उनका ये संकेत उनके लिए है, जो विरासत में टिकट लेकर विधानसभा पहुंचना चाहते हैं। उनके उस बयान से भाजपा में वंशवाद के जरिए टिकट की चाह रखने वालों में खलबली मच गई है, जिसमें भरे मंच से उन्होंने कहा था कि भाजपा में वंशवाद को महत्त्व नहीं दिया जाएगा।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह बीते 12 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ के दो दिनी दौरे पर आए हुए हैं। बीते शुक्रवार को पहले उन्होंने सरगुजा संभाग के कार्यकर्ताओं को चुनावी घुट्‌टी पिलाई। फिर शाम को बिलासपुर के साइंस कॉलेज मैदान में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए चुनाव में जुट जाने का आह्वान किया। इस दौरान उन्होंने मंच से टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं को संकेत दिया कि भाजपा में वंशवाद खत्म हो गया है। उनके इस इशारे से बिलासपुर जिले में टिकट के ऐसे दावेदारों की नींद उड़ गई है। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार रात विश्राम करने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह ने प्रदेश के बड़े नेताओं से बंद कमरे में चर्चा की। इस दौरान उन्होंने मिशन 65 को लेकर कई टिप्स दिए और नेताओं को सीधे तौर पर चेताया कि जो प्रत्याशी जीतने लायक है, उसी को टिकट दिया जाएगा। टिकट वितरण में वंशवाद को बिल्कुल ही तवज्जो नहीं दिया जाएगा। उनके बयान और प्रमुख नेताओं को दिए गए निर्देश से बाप-दादा के नाम को आगे रखकर टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं में खलबली मच गई है। जिले में इस दायरे में दो नेता सामने आ रहे हैं। पहली महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं हर्षिता पांडेय और दूसरा विजयधर दीवान। हर्षिता पांडेय पूर्व सांसद स्व. मनहरण लाल पांडेय की पुत्री हैं। उनके पिता भाजपा के जाने-माने नेता थे। उन्होंने भाजपा के लिए बहुत काम किया था। वह तखतपुर से टिकट की दावेदारी कर रही हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान और निर्देश से उनकी मुश्किलें एक तरह से बढ़ गई हैं। वैसे भी भाजपा के आला नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जो निगम, आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके पीछे नेताओं का तर्क ये है कि निगम, आयोग में रहते हुए ऐसे नेता सत्ता का सुख भोग लिए हैं। इस लिहाज से भी हर्षिता पांडेय टिकट की दौड़ में काफी पीछे हो गई हैं। दूसरे नेता विजयधर दीवान की बात करें तो उनके पिता बद्रीधर दीवान विधानसभा उपाध्यक्ष हैं। वे विरासत में अपने पुत्र को बेलतरा विधानसभा का उत्तराधिकार बनाना चाह रहे हैं।

बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में विजयधर दीवान के प्रभाव की बात करें तो क्षेत्र में उनका जनाधार कम ही है। लोग उन्हें आज भी बद्रीधर दीवान के बेटे के नाम से जानते हैं। उनके पिता बद्रीधर दीवान तीन बार से विधायक हैं। इन 15 सालों में विजयधर दीवान क्षेत्र में अपनी खुद की पहचान नहीं बना पाए हैं। अब देखना यह है कि अमित शाह द्वारा वंशवाद पर दिए गए निर्देश का पालन भारतीय जनता पार्टी करती है। याफ फिर दोनों की दावेदारी सफल होती है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश को अनसुना कर दिया जाएगा।

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