मस्तूरी विधानसभा: भाजपा प्रत्याशी डॉ. बांधी मुश्किल में…क्षेत्रीय नेताओं ने किया किनारा…24 हजार वोटों की खाई पाटने का जिम्मा नौसिखिए सिपाहियों के कंधों पर…लहरिया के खिलाफ भी माहौल…बसपा नाराजगी भुनाने के फिराक में…
बिलासपुर/ मस्तूरी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी की डगर कठिन होते दिखाई दे रही है। क्षेत्र के बड़े भाजपा नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया है। 24 हजार वोटों की खाई पाटने के लिए डॉ. बांधी नई टीम के साथ पसीना बहा रहे हैं। इसके लिए उन्हें किसी चमत्कार की तलाश है। दूसरी ओर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ हुई महिला उत्पीड़न की शिकायत को विरोधी खूब हवा दे रहे हैं। इधर, कांग्रेस विधायक दिलीप लहरिया की कार्यशैली को लेकर जनता नाराज चल रही है। बसपा प्रत्याशी भारद्वाज दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के खिलाफ चल रहे माहौल को वोटों में तब्दील करने में जुट गए हैं।
मस्तूरी विधानसभा से भाजपा के टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी। दावेदारों को उम्मीद थी कि इस बार यहां से भाजपा नया चेहरा उतारेगी। इसकी वजह भी साफ थी। पिछले चुनाव डॉ. बांधी 24 हजार वोटों से हार गए थे। इतनी बड़ी हार के बाद टिकट मिलना संभव नहीं नजर आ रहा था। अलबत्ता, क्षेत्र के बड़े नेता खुद के अलावा अन्य के लिए लॉबिंग कर रहे थे, लेकिन टिकट डॉ. बांधी की झोली में गिरा। टिकट की घोषणा होते ही मस्तूरी क्षेत्र के बड़े नेताओं में नाराजगी फैल गई है। ये नेता डॉ. बांधी से दूरी बनाकर चल रहे हैं। न तो ये उनके जनसंपर्क में शामिल हो रहे हैं और न ही खुद भाजपा के लिए काम करने निकले हैं। अपनों की नाराजगी दूर करने अब डॉ. बांधी के पास समय भी नहीं बचा है। लिहाजा, उन्होंने क्षेत्र में कुछ नई टीमें उतार दी हैं, जो टुकड़ों में बंटकर भाजपा के पक्ष में जनसंपर्क कर रहे हैं। कोशिश कर रहे हैं कि मतदान से दो दिन पहले तक स्थिति अच्छी बन जाए, लेकिन राजनीति में अनपढ़ लोगों की टीम के सदस्य उतनी बेबाकी से जनता के सामने भाजपा सरकार की उपलब्धियों और कांग्रेस विधायक लहरिया के खिलाफ अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं। जनता भी नौसिखियों की बातों को तवज्जो नहीं दे रही है। दूसरी ओर विरोधी खेमे ने डॉ. बांधी के खिलाफ कड़ा मोर्चा खोल रखा है। विरोधी जनता के बीच अपनी बातें तो पहुंचा ही रहे हैं। पांच साल तक क्षेत्र की अनदेखी करने और अब टिकट मिलने पर सक्रिय होने का आरोप डॉ. बांधी पर लगा रहे हैं। कोशिश है कि जनता के बीच उनके खिलाफ आक्रोश फैलाया जाए। यही नहीं, पिछले चुनाव में एक महिला ने थाने में डॉ. बांधी के खिलाफ जो शिकायत की थी, विरोधी उस महिला के बारे में बता रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस विधायक लहरिया के खिलाफ क्षेत्र में काफी नाराजगी है। लोगों को शिकायत है कि पांच साल में कोई सौगात देना तो दूर, उनका हालचाल जानने तक विधायक नहीं पहुंचे हैं। सबसे ज्यादा शिकायत उनके गृहग्राम धनगवां और गोदगांव बकरकुदा के मतदाताओं को है। दरअसल, विधायक लहरिया को पांच साल में निधि के रूप में 10 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें से 10 प्रतिशत भी दोनों गांवों पर खर्च नहीं किया गया। इसलिए दोनों गांवों के मतदाताओं की नाराजगी भी लाजिमी है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी लहरिया क्षेत्र का विकास नहीं कर पाने का ठीकरा भाजपा सरकार पर थोपकर सफाई देते फिर रहे हैं, लेकिन जनता अब उनकी बातों को दरकिनार कर रही है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे से गठबंधन के बाद बसपा की ताकत पहले से बढ़ गई है। मस्तूरी विधानसभा में बसपा का अपना वोट बैंक है। पिछले तीन चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो 2003 में बसपा को 29 हजार, 2008 में 34 हजार और 2013 में 17 हजार वोट मिले थे। इस बार परंपरागत वोटों के अलावा बसपा की नजर अन्य मतों पर भी है। इसके लिए जकांछ नेताओं के साथ मिलकर रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। बसपा प्रत्याशी को उम्मीद है कि इस बार चुनाव में वो दोनों पार्टियों को बराबर का टक्कर देगी। बहरहाल, बसपा नेता दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के खिलाफ चल रही नाराजगी को और तूल देने में लगे हुए हैं। राज्य निर्माण के बाद कांग्रेस के तीन साल और भाजपा के 15 साल के शासनकाल में क्षेत्र की अनदेखी के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रही है। अब वक्त ही बताएगा कि कौन नाराजगी दूर करने और कौन भुनाने में कामयाब हुए।