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बिलासपुर: नवजोत सिंह ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना… कहा- पीडीएस सबसे बड़ा घोटाला… वहां के किसानों की कमर तोड़ रहे और यहां के किसानों के मुंह से निवाला छीन रहे… देखिए वीडियो रमन सिंह पर कैसे किया कटाक्ष…


बिलासपुर/ पंजाब के उप मुख्यमंत्री व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्य की रमन और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि स्विस बैंकों में काला धन जमा करने वालों को नाम शायद इसलिए नहीं उजागर किया जा रहा है, क्योंकि उसमें सीएम डॉ. रमन सिंह के बेटे का भी नाम है।

वे शुक्रवार दोपहर एक होटल में पत्रवार्ता ले रहे थे। उप मुख्यमंत्री सिद्धू यहां बिलासपुर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश पांडेय के पक्ष में सभा लेने आए थे। सभा पहले उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि जेठमलानी ने एक लिस्ट सारी दुनिया के सामने लाई थी, वह केस आज भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। 2015 में यह कहा गया था कि 14 सौ भारतीयों ने स्विस बैंकों में पैसे जमा कराए हैं। उनके नाम दिए जाएंगे, लेकिन आज तक किसी का नाम उजागर नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि चिटफंड कंपनियों की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। इन कंपनियों को लाने के लिए कई लोग मिल गए। चिटफंड की 12 कंपनियों के उद्घाटन किसने किए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सीएम नहीं करते थे। क्या उनके मंत्री नहीं करते थे। क्या 50 हजार करोड़ रुपए हवा में गायब हो गए और किसी को पता नहीं लगा। क्या आदिवासियों की जमीन, जिसमें वो एक हजार साल से काबिज थे। अगर कोई 20 साल से काबिज हो तो सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट कहता है कि उसे तुम हटा नहीं सकते। तुमने उनकी स्मृति उनसे छीन ली। उनके देवी-देवताओं को छीन लिया। उन्होंने शायराना अंदाज में कहा कि इबादत नहीं, किसी माला को गुमा देना। इबादत है किसी भूखे को रोटी खिला देना। किसी रोते हुए हंसा देना। किसी उजड़े हुए को बसा देना। तुमने बसे हुए लोगों को उजाड़ा। चंद पूंजिपतियों को फायदा देने के लिए।

तुमने उनकी जमीन छीनकर बड़े दावों के उन पूंजिपतियों को दे दी। और क्या ये शर्मसार बात नहीं कि छत्तीसगढ़ की 27 हजार लड़कियां गायब हैं। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट पढ़ेंगे तो आप शर्मसार हो जाएंगे। ये लोग कहते हैं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ… लड़कियां बंबई में और बड़े-बड़े शहरों में शोषण की शिकार हुई हैं तो सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ की। क्या शर्मसार नहीं करता रमन को। इन्होंने कौन सा गरीब का भला किया है। पीडीएस घोटाला बहुत बड़ा है। पीडीएस में जो समृद्ध राज्य हैं पंजाब, हरियाण और महाराष्ट्र जैसे। उन समृद्ध राज्यों से 17 रुपए का धान आता है और यहां 5 रुपए में दिया जाता है। लेकिन वहां एक बार मंडी में उतार दिए जाने के बाद यहां लाया जाता है तो उसमें से 80 प्रतिशत अनाज बोरियों में भरकर फिर उन मंडियों में ले जाकर दोबारा बेच दिया जाता है। वहां गरीब किसान की कमर तोड़ रहे हो और यहां गरीब के मुंह का निवाला छीन रहे हो। गरीब का पेट फाड़कर आप अमीरों को दे रहे हो। अमीर का चिराग जलने दो और गरीब की झोपड़ी जलने दो। इन बातों के जवाब मैं हर स्टेज पर मांग रहा हूं।

… तो मोदी का गला मिलना झप्पी था

पाकिस्तान में जाकर पाकिस्तानी से गले मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें 10 बार बुलाया गया था, तब वो गए। सीना तानकर गए। गले मिल लिए तो गुनाह हो गया। और पीएम मोदी जब बिन बुलाए जाते हैं और गले मिलते हैं तो क्या वो झप्पी हो गया।

संकट के दौर में बेटा सामने

एक सवाल के जवाब में सिद्धू ने कहा कि कांग्रेस में कभी वंशवाद नहीं चला है। दो बार यूपीए की सरकार रही है, लेकिन गांधी परिवार से कोई पीएम नहीं बना। दूसरी बार चाहते थे तो गांधी परिवार से पीएम बन सकता था, लेकिन उन्होंने मनमोहन सिंह को ही आगे किया। आज पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है। इसलिए गांधी परिवार का बेटा सामने खड़ा है।

छत्तीसगढ़ में चंद पूंजिपतियों की सरकार

उन्होंने कहा कि एक वो भी समय था, जो रानी के पेट से पैदा हो गया, वो राजा। घृतराष्ट्र इसके उदाहरण हैं। राजतंत्र में जो बलवान होता था, वो राजा बन जाता था। आज लोकतंत्र है। लोकतंत्र में हर बेटी के गर्भ से राजा पैदा होता है। लोग बनाते हैं राजा। लोगों की सरकार लोगों के वास्ते होती है, लेकिन यहां छत्तीसगढ़ में लोगों की सरकार चंद पूंजिपतियों की सरकार बनकर रह गई है। लोगों की सरकार एक परिवार की सरकार बनकर रह गई है। और जो प्रधानमंत्री की लहर बनी थी, 2014 में, वो लहर अब नोटबंदी का कहर बन गई है। आम आदमी के लिए जहर बन गई है।

कहां है 90 लाख करोड़

उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार निशाना साधते हुए कि जो 90 लाख करोड़ विदेशों में पड़े थे। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वो 90 लाख करोड़ रुपए मैं वापस लाऊंगा। गरीबों के बैंक अकाउंट में 15-15 लाख रुपए जमा कराऊंगा। बुलेट ट्रेन चलाऊंगा। दो करोड़ युवाओं को हर साल नौकरी दूंगा। बड़े अफसोस की बात है कि जब नोटबंदी हुई तो हमारी जो हमारी इकोनॉमी है, वो 80 प्रतिशत कैश पर चलती है और 93 प्रतिशत इनफारमल इकोनॉकी है। जब दोनों इकोनॉकी की बात की जाती है तो सवाल यह सामने आता है कि क्या चार सौ रुपए रोजी कमाने वाला मजदूर टैक्स भरता है। चाय वाला दो-तीन बंदे को नौकरी में रखता है, क्या वो टैक्स भरता है। जो गृहणी 5-5 सौ रुपए जोड़ती है, क्या वो इनकम टैक्स भरती है। वो किसान जो अपने खेत में लेबर ले जाता है, वो टैक्स भरता है। छोटा व्यापारी क्या टैक्स भरता है। तो फिर हुआ क्या नोटबंदी में। नोटबंदी में वो जो इनफारमल इकोनॉमी थी, वो ग्रीन इकोनॉमी चार सौ रुपए कमाने वाली की चलती थी। 1000 रुपए कमाने वाले की चलती थी। दिहाड़ी करने वालों की कमर तोड़ डाली। 2008 में जब रजिस्ट्रेशन हुआ था, तब जीडीपी गिरी नहीं थी, क्योंकि उस समय जो सेविंग थी, वह बैंकों में पड़ी थी। लेकिन सरकार मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी के बाद दो प्रतिशत जीडीपी गिरेगी। क्योंकि जब मकसद था उसका आतंकवाद रोक दो। 38 प्रतिशत आतंकवाद बढ़ा। मनी की सर्कुलेशन और बढ़ गई। मोदी बताएं कि ये कौन हैं, जिस पार्टी के हैं देशद्रोही हैं। वो 90 लाख करोड़ रुपए वापस नहीं आया। यदि वो 90 लाख करोड़ रुपए वापस आ जाता तो चिप्स का पैकेज जो 30 रुपए का है, वो तीन रुपए का हो जाता। क्यों छिपाया जा रहा है।

पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे से बाहर क्यों

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर किसान डिफाल्ट करता है तो बैंक के सामने नोटिस चस्पा कर दिया जाता है। उसकी जमीन कुर्की की जाती है। ढोल बजाकर उसे जलील किया जाता है। पीएम मोदी बताएं कि अडानी को एक लाख करोड़ रुपए देना है या नहीं देना है। अंबानी को 45 हजार करोड़ रुपए देना कि नहीं देना है। अगर वन नेशन, वन टैक्स है तो फिर पेट्रोल और डीजल का दाम तेल की बढ़ती कीमतों के साथ घटता-बढ़ता क्यों नहीं है। जब सरदार मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब 150 डॉलर का एक बैयरल था, तब 80 रुपए प्रतिलीटर से पेट्रोल की कीमत आगे जाने नहीं दिया। लेकिन जब इनकी सरकार आई तो 40 डॉलर का बैयरल हो गया तो क्या इन्होंने चारगुना कीमत घटाई, नहीं। इन्होंने तेल कंपनियों को फायदा दिया। रिलांयस के बंद पड़े पंपों को दोबारा चालू कराया। मुनाफा बड़े-बड़े पूंजिपतियों को दिया। यूपीए की सरकार में किसानों का 72 हजार करोड़ रुपए माफ किया गया। अगर आप कहते हैं कि वन नेशन, वन टैक्स तो पेट्रोल-डीजल इससे बाहर क्यों। अगर इन दोनों को जीएसटी के दायरे में लाया तो फिर इसकी कीमत 40-18 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती।

बढ़ गए डिफाल्टर

उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार के समय जो डिफाल्टर थे, वो सिर्फ 2 लाख करोड़ रुपए के थे। इनकी सरकार में ये डिफाल्टर 12 लाख करोड़ से ज्यादा के हो गए हैं। मैं ये बता दूं कि इन लोगों ने करीब ढाई लाख करोड़ रुपए पूंजिपतियों का माफ किया है। इसे ये इनसेंटिव कहते हैं और गरीब को जब कोई चीज देते हैं तो ये इसे सब्सिडी कहते हैं। गरीब और अमीर के बीच ऐसा फर्क क्यों।

किसान हितैषी होने का ढोंग

उन्होंने कहा कि ये किसान की बात करते हैं। 1992 में डीजल की कीमत 6 रुपए लीटर थी और आज इसकी कीमत 74 रुपए है। यानी कि कीमत में 15गुना की बढ़ोतरी हुई है और किसान की एमएसपी मात्र 5गुना बढ़ी। ये जुर्म क्यों। ऐसा क्यों होता है। 1992 में गेहूं का भाव प्रतिक्विंटल 330 रुपए था और 270 रुपए धान का भाव। आज 15 सौ रुपए धान का और 17 सौ रुपए भाव गेहूं का है। यानी सिर्फ पांच गुना कीमत बढ़ी।

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