बिलासपुर/ बिल्हा विधानसभा में 15 किलोमीटर लंबी एक ऐसी सड़क है, जो कौशिक द्वय को आइना दिखाने का काम कर रही है। यह सड़क है, चकरभाठा से धमनी-कड़ार होते हुए बरतोरी को जोड़ने वाली। सड़क क्षेत्र की लाइफ लाइन है, लेकिन दुर्दशा आजादी से अब तक जस की तस है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और वर्तमान विधायक सियाराम कौशिक दोनों ही यहां से दो-दो विधायकी पारी खेल चुके हैं।
धरमलाल कौशिक तो विधानसभा अध्यक्ष तक की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। बावजूद इसके 15 किलोमीटर लंबी सड़क का विकास उनके कद से बड़ा साबित हुआ। स्वतंत्रता से आज तक सड़क की स्थिति में कुछ बदलाव हुआ तो बस इतना कि 10 फीट चौड़ी सड़क पर डामर का लेप लग गया। चकरभाठा बस्ती, धमनी, तेलसरा, कड़ार, सेंवार, भटगांव, कया, बुंदेला, सारधा, लिमतरी, नंगरौड़ी समेत आसपास की दो दर्जन से ज्यादा गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क पर दो दशक पहले से यातायात का भारी दबाव है। क्षेत्रवासियों से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि दोनों नेताओं से गुहार लगाकर थक गए, लेकिन सड़क चौड़ी हुई न फिर से डामरीकरण हुआ। गड्ढों में तब्दील सड़क पर किसी एक दिशा से भारी वाहन आ जाए तो दूसरी दिशा के साइकिल सवार को भी रुककर साइड देना पड़ता है। वैसे तो दोनों ही नेता अपने-अपने कार्यकाल में क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का दावा करते रहे हैं, लेकिन हकीकत दोनों के निवास से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर दिखाई देती है।
बदले की भावना, नहीं बनी सड़क
क्षेत्रवासियों की मानें तो सड़क की दुर्दशा के लिए सियाराम से कहीं ज्यादा धरमलाल जिम्मेदार हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बीते 15 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है। इस दौरान दो कार्यकाल सियाराम कौशिक का रहा। सियाराम ने बार-बार एक ही जवाब दिया कि विपक्ष में होने के कारण अफसर उनकी नहीं सुनते। धरमलाल सत्ता पक्ष में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने सड़क चौड़ीकरण कराया भी, लेकिन चकरभाठा हवाईपट्टी से ग्राम पंचायत चकरभाठा बस्ती तक। यानी कि महज एक किलोमीटर। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि इस सड़क से जुड़े गांवों में धरमलाल को हार का सामना करना पड़ा है। यही वजह है कि इस सड़क के निर्माण पर ध्यान ही नहीं दिया गया। अब ग्रामीण इस चुनाव में कौशिक द्वय से हिसाब बराबर करने के मूड में दिखते हैं।