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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: वनवासियों को वन भूमि से बेदखली मामले में सरकार अगली सुनवाई में खड़ा करेगी अपना वकील : भूपेश

रायपुर/ सुप्रीम कोर्ट के आदिवासियों और वनवासियों को वन भूमि से बेदखल करने के आदेश के मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि सरकार अगली सुनवाई में अपना वकील खड़ा करेगी। इस मामले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर करने की जरूरत पड़ी तो छत्तीसगढ़ सरकार तैयारी में है। दरअसल पिछले दिनों छत्तीगढ़ सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल समेत 20 राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा है कि वे इस आदेश की पालना-रिपोर्ट जुलाई में दायर करें।

शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार, जिन परिवारों के वनभूमि के दावों को खारिज कर दिया गया था, उन्हें राज्यों द्वारा इस मामले की अगली सुनवाई से पहले बेदखल किया जाना है। राहुल गांधी ने बघेल को 23 फरवरी को लिखे अपने पत्र में कहा था कि वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया एवं अन्य बनाम भारत संघ व अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के संबंध में आपका तुरंत दखल देना जरूरी है। अदालत ने राज्य सरकारों को आदिवासियों एवं अन्य वनवासियों को बेदखल करने का आदेश दिया है जिनका दावा वन अधिकार कानून के तहत खारिज कर दिया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर उन्हें बेदखल किये जाने के मद्देनजर इस संबंध में पुनर्विचार याचिका दायर करना ठीक होगा।

अब इस मामले में भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा है कि जल-जंगल और जमीन की लड़ाई में हम कंधे से कंधा मिलाकर आदिवासी भाई-बहनों के साथ खड़े हैं। राहुल गांधी के निर्देशानुसार वनाधिकार कानून की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में राज्य सरकार अपनी ओर से अपना वकील खड़ा करेगी और जरूरत पड़ी तो पुनर्विचार याचिका भी लगाएगी। दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने 13 फरवरी को संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि जिन आदिवासियों-वनवासियों के खिलाफ जमीन से बेदखल किये जाने का आदेश जारी हुआ था, उन्हें हटाया गया या नहीं और अगर ऐसा नहीं हुआ है तो वजह बतायी जाए।

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