देश के पहले लोकपाल नियुक्त: प्रधानमंत्री-पूर्व प्रधानमंत्री भी जांच के दायरे में आएंगे…जानिए कौन-कौन है सदस्य, क्या है अधिकार
देश में पहले लोकपाल का गठन हो गया है। पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष लोकपाल के अध्यक्ष होंगे। राष्ट्रपति ने मंगलवार को लोकपाल के गठन को मंजूरी दे दी। लोकपाल में अध्यक्ष के अलावा चार न्यायिक और चार गैर न्यायिक सदस्य भी नियुक्त किए गए हैं। न्यायिक सदस्यों में जस्टिस दिलीप बी भोसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी हैं। एसएसबी की पूर्व प्रमुख अर्चना रामसुंदरम और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन गैर न्यायिक सदस्य बनाए गए हैं। महेन्द्र सिंह और इंद्रजीत प्रसाद गौतम को भी गैर न्यायिक सदस्य बनाया गया है। प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष , पूर्व अटॉर्नी जनरल की चयन समिति ने न्यायाधीश घोष के नाम की सिफारिश की थी।
लोकपाल को प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री की जांच करने का अधिकार होगा। इसके अलावा उसे सभी केंद्रीय मंत्रियों, दोनों सदनों के सदस्यों, ग्रुप ए बी सी और डी के अधिकारियों की भी जांच का अधिकार होगा।
वहीं ऐसे ट्रस्ट, सोसायटियां और एनजीओ जो सरकार से आर्थिक मदद लेते हैं, उनके निदेशक और सचिव भी उसकी जांच के दायरे में आएंगे। न्यायपालिका और सेनाएं इसकी जांच के दायरे में नहीं होंगी। प्रधानमंत्री के खिलाफ वही मामले आ सकेंगे जो अंतरराष्ट्रीय, आंतरिक, बाहरी सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रम से जुड़े हुए नहीं होंगे।
प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के लिए लोकपाल की पूर्ण बेंच अध्यक्ष की अगुवाई में बैठगी और दो तिहाई के बहुमत से फैसला करने पर ही प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच होगी। यह कार्रवाई गोपनीय होगी और अगर शिकायत जांच लायक नहीं पाई जाएगी तो उसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
शिकायत कैसे होगी
– कोई भी व्यक्ति जनसेवकों के भ्रष्टाचार की बाबत लोकपाल से शिकायत कर सकेगा। शिकायत किस प्रकार से की जाएगी, यह लोकपाल तय करेगा और इसकी जानकारी दी जाएगी।
– भ्रष्टाचार के मामले में लोकपाल खुद भी संज्ञान लेने में सक्षम होगा।.
आरंभिक जांच के लिए तंत्र
– लोकपाल के पास शिकायतों की आरंभिक जांच के लिए एक तंत्र होगा। .
– लोकपाल के जांच अधिकारी संबंधित अधिकारी का पक्ष जान सकते हैं।.
– लेकिन जिस मामले में लगेगा कि तुरंत छापेमारी करनी है, या भ्रष्ट जनसेवक से संपत्ति या दस्तावेज जब्त करने हैं, उसमें सीधे कार्रवाई की जाएगी।
शिकायत सही पाई तो जांच होगी
– यदि शिकायत में दम हुआ तो उसे आगे जांच के लिए भेजा जाएगा। अन्यथा उसे निरस्त कर दिया जाएगा।
– जांच के लिए शिकायत या तो सीबीआई को सौंपी जाएगी या फिर सीवीसी को। ग्रुप सी और डी के मामले में शिकायतें सीवीसी देखेगा। बाकी मामले सीबीआई को जाएंगे।
सीबीआई की लोकपाल विंग
– सीबीआई में अलग से एक लोकपाल शाखा बनेगी जो लोकपाल द्वारा भेजे गए मामलों की जांच करेगी।.
– लोकपाल विंग की निगरानी लोकपाल करेगा। इससे जुड़े अधिकारियों के तबादले आदि भी लोकपाल की अनुमति के बगैर नहीं होंगे।
– लोकपाल विंग केस की प्रगति के बारे में लोकपाल को रिपोर्ट करेंगे।.
गैर न्यायिक सदस्य
1. दिनेश कुमार जैन
1983 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी। 30 अप्रैल 2018 से 31 जनवरी 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्य सचिव रहे।
2. अर्चना रामासुंदरम
1980 बैच की भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी। सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) की पूर्व प्रमुख देश में किसी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की पहली महिला प्रमुख होने का श्रेय
3. महेंद्र सिंह
4. डॉ इंद्रजीत प्रसाद गौतम
पहली लोकपाल कमेटी के न्यायिक सदस्य
जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती
– 10 जून 1955 को ओडिशा के कटक में जन्म। स्टेंस हत्याकांड में विशेष लोक अभियोजक थे झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। पिता जुगल किशोर सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे।.
जस्टिस अभिलाषा कुमार
– 23 फरवरी 1956 को जन्म, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की बेटी। डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से अंग्रेजी में बीए। मणिपुर हाईकोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी। गुजरात मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष रहीं।.
जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी
– 12 नवंबर 1957 को जन्म, दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कानून की पढ़ाई की। जस्टिस त्रिपाठी केंद्र और आयकर विभाग के वकील रह चुके हैं। वह सीबीआई और भारत के महालेखा परीक्षक की ओर से भी पेश हो चुके हैं।
जस्टिस दिलीप बी भोसले
शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल बिल 2013 में संसद में पारित हुआ था। राज्यसभा ने 17 एवं लोकसभा ने 18 दिसंबर में इसे पारित किया था। जनवरी 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे मंजूरी भी दे दीथी। लेकिन विपक्ष के नेता का पद खाली होने के कारण अब तक नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण लागू नहीं किया जा सका था। लंबी जद्दोजहद के बाद बना लोकपाल कैसे कार्य करेगा, पेश है इसका ब्योरा-
अधिकार
अनुशासनात्मक कार्रवाई: लोकपाल जांच के दौरान आरोपी अधिकारी के तबादले, अनुशासनात्मक कार्रवाई या निलंबन का आदेश भी दे सकेगा।
सजा: भ्रष्टाचार के मामलों में दो से 10 साल तक की सजा संभव.
जब्ती: जांच में लोकसेवक के भ्रष्ट तरीकों से संपत्ति अर्जित का पता चलने पर लोकपाल उसे जब्त करेगा।.
शाखाएं: लोकपाल देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी शाखाएं खोलने का निर्णय ले सकता है।
मुकदमे की प्रक्रिया.
– जांच में दोषी पाए गए अधिकारी के खिलाफ लोकपाल मुकदमा चलाने की अनुमति देगा।
– लेकिन संयुक्त स्तर एवं ऊपर के अधिकारियों के मामले में सरकार से अनुमति लेनी होगी।
– लोकपाल को मुकदमा चलाने की अनुमति देने के अलावा बंद करने की भी शक्ति होगी।
– एक अभियोजन निदेशक की नियुक्ति सीवीसी की मदद से की जाएगी जो लोकपाल के मुकदमों को देखेगा।