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बिलासपुरराजनीति

बिलासपुर लोकसभा: ग्रामीण बोले- हमें नहीं पता कौन है सांसद…चुनाव जीतने के बाद कोई दोबारा झांककर नहीं देखता…लखनलाल साहू का नाम पहली बार सुना…जानिए क्या कहते हैं तखतपुर और बिल्हा विधानसभा के ग्रामीण…

अखलाख खान(9826978603)…

बिलासपुर। यह सुनकर आश्चर्य लगेगा कि बिल्हा और तखतपुर विधानसभा के कई गांव ऐसे हैं, जहां के ग्रामीण यह नहीं जानते कि सांसद कौन है, पर यह 100 प्रतिशत सच है। ग्रामीणों का कहना है कि टोली में लोग वोट मांगने आते हैं, चुनाव जीतने के बाद कोई चेहरा दिखाने नहीं आता है। ऐसे में उन्हें कैसे पता चलेगा कि कौन सांसद है। उनके लिए गांव का पंच और सरपंच ही सब कुछ है।

वर्ष 2014 में भाजपा ने “सबका साथ, सबका विकास” नारे के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा और रिकार्ड सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की। पांच साल बाद बिलासपुर लोकसभा के गांवों में “सबका साथ, सबका विकास” पर किस हद तक अमल हुआ है, यह जानने के लिए ताजाखबर36गढ़.कॉम की टीम ने तखतपुर और बिल्हा विधानसभा के गांवों का दौरा किया। नेशनल हाईवे से महज दो किमी अंदर ग्राम पंचायत नगोई है। प्रदेश में 15 साल तक बीजेपी की सरकार थी और केंद्र में 5 साल तक, लेकिन इस गांव को जोड़ने वाली सड़क आज भी कच्ची है। तंग रास्ते से होते हुए टीम गांव पहुंची। पूछताछ करने पर पता चला कि यहां करीब 1800 वोटर हैं। साइकिल दुकान के पास कुछ लोग आपस में चर्चा कर रहे थे। उनसे मुलाकात और बातचीत करने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ग्रामीणों का दो टूक कहना था कि उनके क्षेत्र का सांसद कौन है, उन्हें नहीं पता। चुनाव के समय कुछ लोग आते हैं और वोट मांगकर चले जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद फिर कोई दोबारा यहां नहीं आता। सैदा, दैजा, जरेली, कुरेली, ठाकुरकापा, मेड़पार, कुकुसदा, बरछा, पकरिया, बदरा, चंदली, कोकड़ी, पुछेली आदि गांवों के ग्रामीणों ने भी यही बातें दोहराईं।

लखनलाल साहू का नाम पहली बार सुना…

बिल्हा और तखतपुर विधानसभा के इन गांवों के ग्रामीणों को जब लखनलाल साहू का नाम बताया गया तो उनका कहना था कि वे यह नाम पहली बार सुने हैं। हालांकि उन्होंने पूर्व और वर्तमान विधायकों का नाम गिनाया और आक्रोश के साथ यह भी कहा कि उन्हें इनसे क्या मतलब। उनके लिए गांव का पंच और सरपंच ही सबकुछ है। पंच-सरपंच मेहरबानी कर दे तो राशन, पानी, पेंशन आदि आसानी से मिल जाते हैं। आवास भी सरपंच की देन है। इसलिए उन्हें सांसद से क्या मतलब। जो चुनाव जीतने के बाद एक बार भी उनके गांव की ओर नहीं देखा।

धनवानों को मिला मोबाइल… अब पैसे भी उन्हें मिलेंगे

टीम ने हर गांव की चार-पांच महिलाओं से बातचीत की। बीजेपी सरकार के खिलाफ गुस्सा उनकी आंखों में झलक रहा था। कुछ महिलाओं का कहना था कि केंद्र की मोदी सरकार ने सबके लिए आवास योजना लागू की है, लेकिन इसका फायदा भी धनवानों को मिल रहा है। श्रीमती भारतीय ने बताया कि गांव में न तो उनका खेत है और न ही घर। वह आबादी जमीन पर झोपड़ी बनाकर सालों से रह रही है। फिर उनके नाम पर आज तक आवास नहीं आया है, जबकि उनके पड़ोसी के पास कई एकड़ जमीन है और आलीशान घर भी। फिर भी उनके नाम पर सरकारी आवास बना दिया गया। कुछ महिलाएं रमन सरकार की मोबाइल योजना को लेकर व्यथित दिखीं। उनका कहना था कि गांव में चेहरा देखकर-देखकर मोबाइल बांटा गया है। पंच-सरपंच कहते थे कि उन्हें भी मोबाइल मिलेगा, लेकिन अब तक नहीं मिला। मोबाइल भी ऐसे लोगों को मिला है, जिनके पास पहले से ही दो-तीन सेट थे।

अब किसी पर विश्वास नहीं, पर देंगे वोट

ग्रामीणों को इतना जरूर पता है कि उन्हें 23 अप्रैल को वोट डालने जाना है। उन्हें कैसी सरकार चाहिए… यह सवाल पर ग्रामीणों का कहना था कि अब उन्हें किसी भी पार्टी पर विश्वास नहीं रहा। चुनाव जीतने के बाद सब अपनी जेबें भरते हैं। कोई गरीब जनता को पूछने नहीं आता। भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र के बारे में बताए जाने पर उनका कहना था कि चुनाव जीतने के लिए हर कोई बड़े-बड़े वायदे करता है, लेकिन निभाता कोई नहीं। फिर मतदान उनका अधिकार है। इसलिए वे वोट डालने जरूर जाएंगे।

सबका दरवाजा खटखटाया… पर नहीं मिला न्याय

तखतपुर और बिल्हा विधानसभा के गांवों में गर्मी के सीजन में पेयजल संकट गहरा जाता है। गर्मी का सीजन शुरू हो चुका है और कई गांवों का जल स्तर काफी नीचे चला गया है। अधिकांश गांवों की समस्या पेयजल की है। पेयजल सुविधा के लिए कोई उपाय करने के सवाल पर उनका कहना था कि वे जनपद, कलेक्टोरेट से लेकर नेता-मंत्री तक के दर तक गए हैं, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। गर्मी में पेयजल संकट के बीच गुजर-बसर करना अब उनकी आदत में शामिल हो गया है।

नहीं पता… कौन-कौन लड़ रहे हैं चुनाव

अधिकांश गांव के ग्रामीणों को यह नहीं पता कि बिलासपुर लोकसभा से कौन-कौन चुनाव लड़ रहे हैं। वे तो सिर्फ इतना जानते हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस से है और नरेंद्र मोदी भाजपा से। स्थानीय प्रत्याशियों के बारे में वे कुछ नहीं जानते।

पंच ने कहा- शुक्ला जी है सांसद

ग्राम पंचायत पकरिया में एक पंच से मुलाकात हुई। उसने बताया कि उसके गांव में 600 वोटर हैं। उन्होंने भाजपा के 15 साल और कांग्रेस के तीन महीने की सरकार की तुलना करते हुए कहा कि अभी कांग्रेस सरकार अच्छा काम कर रही है। बाद में क्या होगा, कह नहीं सकते। जब उनसे सांसद का नाम पूछा गया तो काफी सोच-विचार उसने कहा कि वो शुक्ला जी तो हैं।

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