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राजनीति

नवंबर से मई तक ऐसा क्या हुआ… जो मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मटियामेट हो गई…काम कर गया रानी तेरी खैर नहीं…मोदी तुझसे बैर, नहीं का नारा…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान। तीन ऐसे राज्य, जहां नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद गाजे-बाजे के साथ कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन आज की तारीख में वो तीन राज्य भी जहां से कांग्रेस के लिए बुरी खबरों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। तीनों ही सूबों में कांग्रेस की मिट्टी पलीद होती दिख रही है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा था। यहां की 90 सीटों में से कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं, लेकिन यहां भी कांग्रेस को हताशा का सामना करना पड़ा है। बस्तर और कोरबा को छोड़कर पार्टी राज्य की 11 में से 9 सीटों पर पीछे है।

मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा सीट पर मुख्यमंत्री कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा का कब्जा जमता नजर आ रहा है। उधर, राजस्थान की सभी 25 सीटों पर एनडीए मजबूत बढ़त बनाए हुए हैं।

नवंबर से मई तक ऐसा क्या हो गया?

जिन तीन राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बनाई उनमें लोकसभा सीटों के आंकड़े को जोड़ दिया जाए तो कुल सीट होती हैं– 65। इनमें से भाजपा 62 सीटों पर मजबूती से आगे चल रही है। ये 2014 में भाजपा के प्रदर्शन का रिपीट टेलीकास्ट है। वो भी तब जब कांग्रेस न सिर्फ तीनों राज्यों में सरकार चला रही है बल्कि किसान कर्ज माफी के दावे को हकीकत में बदलने पर अपनी पीठ हर मंच पर थपथपा रही है। कारणों पर आगे चलें उससे पहले नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन देखिए-

मध्यप्रदेश- 230 सीट में 114 सीट
राजस्थान- 200 में से 99 सीट
छत्तीसगढ़- 90 में से 68 सीट

अब बात करते हैं उन चीजों की जिनकी वजह से कांग्रेस को इतनी करारी हार का सामना करना पड़ा।

इन कारणों से मिली हार

जब कांग्रेस जीत कर आई तो माना गया कि इसमें किसान कर्ज माफी के एलान की बड़ी भूमिका रही। लेकिन ये योजना जिस अफरा तफरी के माहौल के बीच लागू की गई, जिस अव्यवस्था के आलम में अस्तित्व में आई, उसने विरोधियों को कांग्रेस की घेराबंदी का मौका दे दिया। तीनों ही राज्यों से किसानों की शिकायत की खबर आई। हजारों की संख्या में ऐसे किसान आए जिन्होंने कर्ज माफी का लाभ न मिलने की बात कही। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले मुद्दे को पूरी तरह समझते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोर्चा खोल दिया। माना जा रहा है कि इस मोर्चे पर खासकर मध्यप्रदेश में पार्टी को खासा नुकसान उठाना पड़ा। बिजली संकट ने भी कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने का काम किया।

‘रानी तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं’

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में भी ये नारा खूब चला- रानी तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं। यानी प्रदेश की जनता वसुंधरा राजे को सबक सिखाने के मूड में तो आ चुकी थी लेकिन मोदी से अदावत लोगों के जेहन में नहीं थी। इसका असर राजस्थान के नतीजों में साफ दिखता है जहां कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी और भाजपा सभी 25 सीटें जीतती नजर आ रही है। जहां 24 सीटें अकेले भाजपा जीत रही है वहीं एक सीट सहयोगी, राष्ट्रीय लोक दल के हनुमान बेनीवाल जीत रहे हैं।

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