रायपुर। गौठान को एक आजीविका गतिविधि केन्द्र के रूप में देखना अपने आप में एक सुखद अनुभूति है। गांवों में यूं तो गौठान जीवनशैली का एक अहम हिस्सा रहा हैं लेकिन इसे एक आय जनित गतिविधि केन्द्र के रूप में देख पाना मुश्किल था। लेकिन आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दूरगामी सोच ने इस सपने को हकीकत में बदल दिया।
आज गांव-गांव में बने नये गौठान आजीविका गतिविधि केन्द्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। गरियाबंद जिले के ग्राम पारागांव, सढ़ौली, फुलकर्रा और मालगांव में महिला समूहों द्वारा गौठान के एकत्र किये हुए गोबर और गौ-मूत्र से नये उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं और एक नये आय जनित गतिविधि का सृजन कर रहे हैं। गौठान के गोबर से कंडे बनाने का प्रशिक्षण ले चुकी गंगा देवी और पार्वती ने बताया कि प्रशिक्षण से हमें एक नया अवसर मिला है। अब हम गोबर से नये वस्तुओं का निर्माण करेंगे और बाजार में बेचेंगे एवं इससे हमारी आय भी बढ़ेगी।
जिले में नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी कार्यक्रम अंतर्गत बिहान द्वारा गौठान ग्राम पंचायतों में गौठान से प्राप्त गोबर व गौमूत्र के द्वारा विभिन्न प्रकार की जैविक खाद व दवाईया निर्माण करने का प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। यह जैविक खेती को बढ़ावा देने एवं आजीविका संवर्धन के लिए उपयुक्त होगा। प्रशिक्षण में जैविक खाद नाडेप खाद, वर्मी कम्पोस्ट, घनाजीवामृत, द्रव जीवामृत, गोबरखाद, पंचगब्य खाद बनाने की विधि बताया जायेगा। जिसमें गौठान से प्राप्त गोबर, गौमूत्र एवं सूखा पत्ता, हरा पत्ता, दीमक मिट्टी, गुड़, बेशन, दुध, घी, केला पका हुआ, नारियल पानी, दही, महुआ दारू, सल्फी का उपयोग किया जायेगा। साथ ही गांव में उपलब्ध निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नास्त्र, बेशरम पत्ती की दवाई, खट्टा मट्ठा, बेलपत्ती की दवाई, हरी मिर्च लहसून की दवाई, हण्डी की दवाई, नीगुर पत्ती की दवाई, अण्डा नीबू की दवाई, दूध सोठ की दवाई, तुलसी पत्ती की जैविक दवाई बनाया जाएगा।
जिसमें स्थानीय स्तर पर प्राप्त गौमूत्र, गोबर, नीम पत्ता, सीता पत्ता, धतुरा पत्ता, करंज पत्ता, बेल पत्ता, जाम पत्ता, नीगुर पत्ता, बेशरम पत्ता, फुडहड़ पत्ता, तम्बाकू, लहसून, हरी मिर्च, तुलसी पत्ता, मही, मिट्टी तेल, कच्चा दूध, सोंठ, सूखा मिर्च का उपयोग किया जावेगा। प्रशिक्षण में गरियाबंद के 11 गौठान क्षेत्र के समूह की महिलाओं का चयन किया गया है। जिला पंचायत के सीईओ आर.के. खुटे ने बताया कि बिहान अंतर्गत यह प्रशिक्षण गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर व छुरा विकासखण्ड के समस्त गौठानों में भी प्रदाय किया जा रहा है। अगले चरण में विकासखण्ड मैनपुर एवं देवभोग में भी यह प्रशिक्षण प्रदाय किया जावेगा। इस परिप्रेक्ष्य में प्रथम चरण में जनपद पंचायत गरियाबंद के ग्राम पंचायत पारागॉव, मालगॉव एवं फुलकर्रा में जैविक खाद जैसे-नाडेप खाद,वर्मी कम्पोस्ट, घनाजीवा मृत, द्रव जीवामृत, गोबरखाद, पंचगब्य खाद बनाने हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जिलें में स्व-सहायता समूहों द्वारा किये जा रहे जैविक खाद निर्माण से मृदा की उर्वरा शक्ति, लाभदायक सुक्ष्मजीव की संख्या में वृद्धि, मुख्य एवं सुक्ष्म पोषक तत्व की पूर्ति होगी। जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ आजीविका का एक सशक्त माध्यम बनेगा। गोबर एवं गौमूत्र के उपयोग से ही प्रत्येक गौठानों में 4-5 व्यक्तियों को वर्ष भर आजीविका प्राप्त होगा।