
बिलासपुर, 8 मई 2025: शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से एक षड्यंत्र को अंजाम देने की कोशिश बिलासपुर पुलिस की सतर्कता और गहन जांच के चलते विफल हो गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देशन में बिल्हा पुलिस ने एक सनसनीखेज मामले का खुलासा किया है, जिसमें मृतक के परिजनों, एक वकील और डॉक्टर ने मिलकर सामान्य मृत्यु को सर्पदंश बताकर तीन लाख रुपये मुआवजा लेने का षड्यंत्र रचा।
मामला थाना बिल्हा क्षेत्र के ग्राम पोड़ी का है, जहाँ 12 नवंबर 2023 को शिवकुमार घृतलहरे (उम्र 36 वर्ष) की तबियत बिगड़ने पर उसे सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 14 नवंबर को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। परिजनों ने दावा किया कि उसकी मृत्यु बाएँ पैर में सांप के काटने से हुई है। डॉक्टर द्वारा दी गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही उल्लेख था। इसके आधार पर शासन से तीन लाख रुपये का मुआवजा पाने के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया गया।
हालाँकि, मामले की गहराई से जांच करने पर पुलिस को संदेह हुआ। जांच में सामने आया कि शव निरीक्षण के दौरान किसी प्रकार के सर्पदंश का कोई निशान नहीं था। वहीं, सिम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि मृतक की मौत शराब और जहर के सेवन से हुई थी, न कि सांप काटने से।
पुलिस ने जब परिजनों से दोबारा पूछताछ की तो उन्होंने खुलासा किया कि वकील कामता प्रसाद साहू ने उन्हें सलाह दी थी कि यदि मौत का कारण सांप काटना बताया जाए, तो सरकार से मुआवजा राशि मिल सकती है। इसी लालच में परिजनों ने झूठा बयान दर्ज कराया और डॉक्टर प्रियंका सोनी ने भी वास्तविक तथ्यों को नजरअंदाज कर गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की।
जांच में यह भी सामने आया कि मृतक शिवकुमार कर्ज से परेशान था और शराब पीने का आदी था। उसने आत्महत्या करते हुए जहर खाया था, जिसकी जानकारी उसने स्वयं परिजनों को दी थी। इसके बावजूद, आरोपी वकील, डॉक्टर, मृतक के पिता परागदास घृतलहरे, पत्नी नीता घृतलहरे, और भाई हेमंत घृतलहरे ने जानबूझकर झूठे तथ्य प्रस्तुत किए।
बिल्हा थाना में इस प्रकरण को अपराध क्रमांक 194/2025 के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 511, एवं 120 (बी) के तहत दर्ज किया गया है। अभी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है और उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्यवाही जारी है। बहुत जल्द गिरफ्तार करने की बात कही है
पुलिस का प्रहार:
एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया कि यह मामला शासन की आर्थिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था से जुड़ा हुआ है। किसी भी परिस्थिति में ऐसे षड्यंत्रकारियों को बख्शा नहीं जाएगा जो मुआवजा प्राप्ति के लिए झूठ का सहारा लेकर सरकार को धोखा देने का प्रयास करते हैं। पुलिस की सतर्कता से न केवल एक गंभीर अपराध का खुलासा हुआ, बल्कि शासन की लाखों की राशि का दुरुपयोग भी रोका गया।