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छत्तीसगढ़

राजनांदगांव / फर्जी दस्तावेजों से निकाले लाखों के केसीसी लोन, 21 किसानों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज

तत्कालीन बैंक प्रबंधक और दलालों ने मिलकर रची साजिश, डोंगरगांव में भी 101 किसानों के नाम पर निकाली गई थी राशि

जिन्हें आरोपी बनाया उन्हें लोन का पता ही नहीं, 6 साल पहले पीएनबी में की गई थी गड़बड़ी, नोटिस भेजा तो जाने किसान

राजनांदगांव/डोंगरगढ़. किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से फर्जीवाड़ा कर लोन निकालने के मामले में 21 किसानों के खिलाफ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिन किसानों के नाम से लोन निकाले गए है, उन्हें मालूम ही नहीं है और उनके नाम से लोन भी जारी हो गया। मामला पंजाब नेशनल बैंक के भंडारपुर शाखा का है। मंगलवार को बैंक के मैनेजर सुमीत कुमार श्रीवास्तव ने डोंगरगढ़ थाना पहुंचकर 21 किसानों के नाम से धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से केसीसी लोन निकालने का मामला दर्ज कराया।

पीएनबी की ओर से 21 किसानों के नाम पर दिया गया 52.57 लाख रुपए का लोन

  1. पीएनबी भंडारपुर ने वर्ष 2013 में 21 किसानों को 52 लाख 57 हजार रुपए का लोन दिया। लोन निकालने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए गए। इसमें बड़े दलाल और बैंक कर्मियों के शामिल होने की आशंका है। क्योंकि जितने लोगों के आवेदन के साथ दस्तावेज जमा हुए है, वह सारे फर्जी करार हुए हैं। यानी 2013 में लोन की कागजी प्रक्रिया को ही पूरी कर 21 किसानों के नाम से राशि निकाल ली गई। बैंक प्रबंधन ने रिकवरी के लिए जब आवेदन में लिखे गए एड्रेस पर नोटिस भेजा तो पता चला कि जिस किसान के नाम से लोन पास हुआ है, उस नाम का व्यक्ति गांव में नहीं रहता।
  2. अब मामले में आगे क्या

    बैंक प्रबंधन ने तो जिन किसानों के नाम से केसीसी लोन पास हुए है, उनके खिलाफ धोखाधड़ी करने की शिकायत की है। एफआईआर के बाद अब पुलिस सबसे पहले यह जांच करेगी कि जिनके नाम से लोन पास हुए है, वह किसान वास्तविक रूप से है या नहीं। साथ ही किसान होने पर उनसे जवाब मांगा जाएगा। वहीं इस बड़े फर्जीवाड़े में दलाल की भूमिका ही मुख्य है, जिसने तत्कालीन बैंक मैनेजर के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कराया और लाखों के लोन पास करा लिया। पूरी जांच की जाएगी।

  3. तत्कालीन मैनेजर की संलिप्तता तय

    पीएनबी भंडारपुर फर्जी केसीसी लोन बांटने के मामले में पहले भी सुर्खियों में रहा है। 2013 में जिन 21 किसानों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन निकाले गए हैं। उसमें तत्कालीन बैंक मैनेजर की संलिप्तता तो तय है। क्योंकि बिना बैंक मैनेजर की सहमति के लोन किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। लोन देने के पूर्व दस्तावेजों की भौतिक सत्यापन करने बैंक मैनेजर स्वयं कृषि भूमि का निरीक्षण करता है, उसके बाद ही लोन पास किया जाता है। लेकिन यहां 21 किसानों के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 52 लाख 57 हजार रु पास हो गए। पूरा खेल मिलीभगत से होने की आशंका है।

  4. डोंगरगांव में भी ऐसा ही मामला

    इसी तरह का फर्जीवाड़ा डाेंगरगांव के सेंट्रल बैंक आफ इंडिया में भी हुआ था। जहां 2011-12 में 101 किसानों के नाम पर फर्जी ढंग से 1 करोड़ रुपए से अधिक का लोन निकाल लिया गया था। जब बैंक से लोन चुकाने का नोटिस जारी किया गया, तो पता चला कि इनमें से 60 फीसदी नाम वाले व्यक्ति का अस्तित्व ही नहीं है। इसके बाद मामले की जांच हुई और तत्कालीन बैंक प्रबंधक सुनील पन्ना सहित अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला मई 2019 में दर्ज किया गया। इस मामले में अब तक सुनील पन्ना की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। वहीं 60 फीसदी नाम फर्जी होने और शेष किसानों को लोन की जानकारी तक नहीं होने की बात कही। मामले की जांच की जा रही है।

  5. केसीसी के लिए प्रक्रिया
    • किसान से बैंक आवेदन लेती है, जिसके बाद दस्तावेजों की जांच होती है।
    •  कृषि भूमि का निरीक्षण करने बैंक मैनेजर या सक्षम अधिकारी स्पॉट पर जाते हैं।
    •  बैंक के वकील से सर्च रिपोर्ट तैयार कराया जाता है।
    •  सारी प्रक्रिया के बाद ही किसान को लोन दिया जाता है।
  6. बीएम ने लिखवाई रिपोर्ट

    पीएनबी भंडारपुर के बैंक मैनेजर (बीएम) ने 21 किसानों के खिलाफ धोखाधड़ी कर केसीसी लोन निकालने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। जिनके खिलाफ धारा 34, 420, 467, 468 व 471 के तहत जुर्म दर्ज कर लिया है। जांच के बाद आरोपी तय होंगे। इसमें दलालों व तत्कालीन बैंक मैनेजर की भूमिका सकता।

    नासिर बाठी, टीआई डोंगरगढ़ फर्जी दस्तावेज लगाए गए
  7. जितने लोगों के नाम से 2013 में लोन निकाले गए हैं। उनमें से सारे दस्तावेज फर्जी मिले हैं। आवेदन किसी के नाम का तो फोटो किसी और की लगाई है। भौतिक सत्यापन में संबंधित किसान नहीं मिले। जिन लोगों के नाम से लोन पास हुए है,ं उनके खिलाफ एफआईआर कराया है।

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