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शिक्षा

CBSE / 12वीं बोर्ड के एग्जाम पैटर्न में 2 बड़े बदलावों से रिजल्ट के स्कोर पर आ सकता है 40 अंकों तक का असर

12वीं बोर्ड में ऑब्जेक्टिव सवाल बढ़ाए गए हैं और मैथ्स, इंग्लिश समेत कई विषयों में प्रैक्टिकल शामिल किया गया है

एजुकेशन. इसी साल मार्च में सीबीएसई ने बारहवीं बोर्ड- एग्जाम पैटर्न में दो बड़े बदलाव किए हैं। पहला- मैथेमैटिक्स, लैंग्वेज, पॉलिटिकल साइंस और लीगल स्टडीज जैसे विषयों में प्रैक्टिकल/इंटरनल असेसमेंट शामिल किया गया है। वहीं दूसरे बदलाव के रूप में  ऑब्जेक्टिव सवालों (एमसीक्यू, फिल इन दी ब्लैंक्स, वन वर्ड आदि) की संख्या बढ़ा दी गई है। हालांकि प्रैक्टिकल पहले भी होते थे, लेकिन अब इन्हें लगभग सभी विषयों में अनिवार्य कर दिया गया है।

नए पैटर्न से 2020 में होने वाली 12वीं बोर्ड परीक्षा में अलग-अलग विषयों में कुल 40 अंकों तक का डिस्ट्रीब्यूशन बदला गया है। मोटे तौर पर 7 पेपर्स में ऑब्जेक्टिव क्वेश्चंस(1 अंक, प्रत्येक) की संख्या बढ़ाकर अधिकतम 20 तक कर दी गई है। इसी तरह नए विषयों में जोड़े गए प्रैक्टिकल एग्जाम भी 20 अंकों के होंगे। सरल शब्दों में कहें तो डिस्क्रिप्टिव पार्टको कम करके अलग-अलग विषयों में लगभग 40 अंकों के प्रैक्टिल व ऑब्जेक्टिव पार्ट को शामिल किया गया है। ऐसे में बदले हुए पैटर्नका असर किस तरह आपकी मार्कशीट पर हो सकता है, यह जानना अापके लिए बेहद जरूरी है।

सीबीएसई ने क्रिटिकल थिंकिंग और क्रिएटिव राइटिंग को बढ़ाने के लिए एग्जाम पैटर्न में बदलाव किए हैं

अब मुश्किल हो सकता है 100/100 का स्कोर लाना

डीपीएस, वडोदरा में इकोनॉमिक्स टीचर कल्पना वाध्वा बताती हैं, ऑब्जेक्टिव क्वेश्चंस बढ़ने से 100/100 अंक हासिल करना मुश्किल हो सकता है। सीबीएसई कॅरिकुलम का अध्ययन बताता है, प्रमुख 6 विषयों में अंडरस्टैंडिंग पार्टकरीब 10% व 5 प्रमुख विषयों में रिमेम्बरिंग 11% तक बढ़ा है। मेमोरी के साथ रीजनिंग को मजबूत बनाना होगा, क्योंकि एग्जाम में कॉन्सेप्ट बेस्ड सवाल ज्यादा होंगे।

60:40 के रेशो से ज्यादा बैलेंस्ड मार्किंग हो पाएगा

जय अंबे इंटरनेशनल स्कूल भरूच में इंग्लिश टीचर धर्मेश व्यास बताते हैं, पहले 80% पेपर थ्योरी बेस्ड थे। स्टूडेंट आधा पेज भी लिखता था तो मार्किंग स्कीम के चलते उसे कुछ न कुछ अंक देने पड़ते थे। वहीं ऑब्जेक्टिव में यह गुंजाइश नहीं होती। चूंकि कई विषयों में 60 मार्क्सके डिस्क्रिप्टिव और 40 मार्क्सके प्रैक्टिकल व ऑब्जेक्टिव सवाल हैं। ऐसे में एग्जाम में बैलेंस्ड व स्टैंडर्ड मार्किंग होगी।

क्या डिस्क्रिप्टिव सवाल कम होने से ज्यादा समय मिलेगा?

बाल भवन स्कूल, भोपाल की अकाउंटेंसी टीचर, साक्षी पंडित के अनुसार भले ही डिस्क्रिप्टिव सवालों की संख्या घटने से पेपर छोटा हो गया है। अकाउंटेंसी में पहले 15 डिस्क्रिप्टिव क्वेश्चंस आते थे, वहीं इस साल इनकी संख्या 12 होगी। स्टूडेंट्स को लग रहा है कि अब उन्हें ज्यादा समय मिलेगा, लेकिन यह सच नहीं है। बोर्ड का पेपर इस तरह से डिजाइन होगा कि उसे 3 घंटे में ही पूरा किया जा सकेगा।

प्रमुख विषयों में कितने घटे-बढ़े हैं ऑब्जेक्टिव व डिस्क्रिप्टिव सवाल

ऑब्जेक्टिव सवाल डिस्क्रिप्टिव सवाल कुल सवाल कुल अंक
सब्जेक्ट 2018-19 2019-20 2018-19 2019-20 2018-19 2019-20 2018-19 2019-20
इंग्लिश कोर 26 20 14 13 40 33 100 80
मैथेमेटिक्स 4 20 25 16 29 36 100 80
अकाउंटेंसी 8 20 15 12 23 32 80 80
इकोनॉमिक्स 8 20 16 14 24 34 80 80
सोशियोलॉजी 0 20 25 18 25 38 80 80
पॉलिटिकल साइंस 5 20 22 14 27 34 100  80
फिजिक्स 5 20 22 17 27 37 70 70
केमिस्ट्री 5 20 22 17 27 37 70 70
बायोटेक्नोलॉजी 6 15 22 18 28 33 70 70

टॉपिक भी बढ़ेंगे और पास होने वाले स्टूडेंट्स भी 

जयपुरिया विद्यालय, जयपुर में केमिस्ट्री टीचर सीमा चतुर्वेदी कहती हैं, केमिस्ट्री में पिछले साल तक कुल 27 प्रश्न आते थे, इस साल इनकी संख्या 37 होगी। यानी अब ज्यादा टॉपिक कवर हो पाएंगे। इसके अलावा सवालों में 33% इंटरनल चॉइस भी मौजूद होगी। ऐसे में एग्जाम पास करना आसान होगा और फेल होने वाले स्टूडेंट्स का प्रतिशत घट जाएगा।

प्रैक्टिकल में पूरे अंक लाना आसान नहीं होगा

जीवीएन स्कूल, भोपाल के प्रिंसिपल डॉ. मनोहर शर्मा बताते हैं, स्कूल लैब में एक्सटरनल आने से स्टूडेंट्स को फायदा मिलता है। सीबीएसई इस सिस्टम को बदलने पर विचार कर रहा है। संभावना है कि अब हर रीजनल सेंटर में बोर्ड एग्जाम की तरह एक सेंटर बना दिया जाएगा। जहां स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल एग्जाम देना होगा। ऐसे में प्रैक्टिकल्स में फुल स्कोर करना आसान नहीं होगा।

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