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राजनीति

महाराष्ट्र का सत्ता संग्राम: 59 साल में तीसरा राष्ट्रपति शासन, इस बार अब तक क्या-क्या हुआ…

* चुनाव बाद किसी पार्टी द्वारा सरकार न बना पाने पर पहली बार अनुच्छेद 356 का हुआ इस्तेमाल

* एक मई 1960 को अस्तित्व में आए महाराष्ट्र में अब तक कुल तीन दफा राष्ट्रपति शासन लगा है

* पहली बार इंदिरा गांधी ने फरवरी 1980 में पवार सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया था

* किसी भी पार्टी के सरकार न बना पाने के कारण अनुच्छेद 356 के तहत महाराष्ट्र में लगाया गया राष्ट्रपति शासन प्रदेश के 59 वर्ष के इतिहास में पहला मौका है।

* एक मई 1960 को अस्तित्व में आए प्रदेश में अब तक कुल तीन दफा राष्ट्रपति शासन लगा है।

पहला मौका, 1980 : शरद पवार ने 1978 में कांग्रेस की वसंत दादा पाटिल सरकार गिराई। वे इस सरकार में मंत्री थे। उन्होंने प्रगतिशील लोकतांत्रिक फ्रंट (पीडीएफ) बनाया और सत्ता पर काबिज होकर 1978 से 1980 तक सीएम रहे। लेकिन केंद्र में सत्ता में लौटी इंदिरा गांधी ने फरवरी 1980 में पवार सरकार को बर्खास्त करते हुए राष्ट्रपति शासन लगा दिया। इसके बाद उसी वर्ष जून में चुनाव हुए। कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता हासिल की और एआर अंतुले सीएम बने।

दूसरा मौका, 2014 : एनसीपी द्वारा 28 सितंबर 2014 को समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया। दोनों सहयोगियों में प्रदेश की सीटों और सीएम पद के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था। इस पर राष्ट्रपति शासन लगा और अक्तूबर में चुनाव करवाए गए। इसमें भाजपा ने जीत हासिल की और देवेंद्र फडणवीस सीएम बने। अलग चुनाव लड़ने वाली शिवसेना भी बाद में सरकार में शामिल हो गई।

इस बार अब तक यह सब हुआ महाराष्ट्र में

21 अक्तूबर 2019 को विस चुनाव हुआ, 24 अक्तूबर को परिणाम आए

भाजपा 105 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, साथ चुनाव लड़ी शिव सेना को 56 सीटें मिलीं।

एनसीपी-कांग्रेस ने भी क्रमश: 54 व 44 सीटें पाईं।

भाजपा-शिवसेना ने बहुमत के लिए जरूरी 288 में से 145 से कहीं अधिक 161 सीटें पाईं थीं, लेकिन सीएम पद को लेकर हुए विवाद के बाद सरकार बनाने में देरी होती गई।

पिछले सप्ताहांत सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने राज्यपाल बीएस कोशियारी को सरकार बनाने में अपनी अक्षमता जताई, इस पर राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने की रुचि जताने को कहा।

सोमवार को उद्धव ठाकरे राज्यपाल से मिले, सरकार बनाने में रुचि जताई, लेकिन संख्या बल का पत्र नहीं दे सके।

राष्ट्रपति शासन : यूं चली घड़ी

10.45 बजे : दिल्ली में कांग्रेस कोर कमेटी की सोनिया गांधी के घर होने वाली बैठक रद्द। कहा गया अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल चार बजे मुंबई में एनसीपी के नेताओं से बैठक करेंगे।

11.45 बजे : राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की चर्चाएं। शिवसेना ने कहा ऐसा हुआ तो सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।

1.45 बजे : साफ हो गया कि राष्ट्रपति शासन लगेगा। तैयारियां शुरू हुईं।

2.00 बजे : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बुलाई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक। राष्ट्रपति शासन को दी हरी झंडी।

3.30 बजे : राष्ट्रपति शासन के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने की सिफारिश। केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा पत्र।

4.45 बजे : कांग्रेस के नेता एनसीपी के साथ बैठक के लिए मुंबई पहुंचे।

5.30 बजे : कैबिनेट की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने राज्यपाल की सिफारिश को स्वीकार किया। राष्ट्रपति शासन लागू।

6.10 बजे : सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की याचिका स्वीकृत। बुधवार को न्यायमूर्ति शरद बोबडे की खंडपीठ में सुनवाई।

7.15 बजे : एनसीपी-कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस। कहा, सोमवार को पहली बार शिवसेना ने सहयोग के लिए अधिकृत बातचीत की। पहले आपसी मुद्दे-नीतियां तय करेंगे। सरकार बनाने की जल्दी नहीं।

8.00 बजे : उद्धव ठाकरे ने कहा, राज्यपाल दयालु इंसान हैं। 48 घंटे के बजाय सरकार बनाने के लिए हमें छह महीने का समय दिया।

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