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इस साल लॉन्च हो सकती है भारत की अपनी डिजिटल करेंसी, जानिए बिटकॉइन से कैसे होगी अलग?…

क्रिप्टोकरेंसी बाजार ने पिछले एक साल में खासतौर पर कोरोना काल में तेजी से रफ्तार पकड़ी है। क्रिप्टो बाजार की तेजी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह अब 2 ट्रिलियन के पार हो चुका है। दुनिया के बड़े वित्तीय संस्थान इसके महत्व को समझ चुके हैं और इसकी तरफ कदम बढ़ा चुके हैं। ऐसे में भारत भला कैसे पीछे रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक तो एक कदम आगे बढ़ते हुए अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। रिजर्व बैंक इस साल के अंत तक केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च कर सकता है।

सीबीडीसी की शुरुआत काफी ऐतिहासिक है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सीएनबीसी के साथ साक्षात्कार में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक दिसम्बर तक अपनी पहली डिजिटल करेंसी शुरू कर सकता है। यह एक संकेत है कि देश पहली डिजिटल करेंसी के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा हम इसके बारे में सावधान हैं क्योंकि यह न केवल आरबीआई के स्तर पर बल्कि विश्व स्तर पर पूरी तरह से एक नया उत्पाद है।

क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मूल रूप से डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जो केंद्रीय बैंक की निविदा के रूप में जारी की जाती है। यह मौजूदा फिएट करेंसी की तरह ही काम करती है। इसके साथ ही इस करेंसी को कानूनी रूप से मान्यता मिली होती है जो इसकी सबसे बड़ी खासियत है। इसका फिएट करेंसी के साथ विनियम भी किया जा सकता है और यह ऐसी चीज है जो इसे बिटकॉइन और ईथर जैसी निजी डिजिटल करेंसी से काफी अलग बनाती है। सीधे शब्दों में कहें तो यह आपके पैसे जो डिजिटलाइज करने की तरह ही है जिसमें मूल्य वही रहता है।

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग?

बिटकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी को जो बात अलग बनाती है वह इसका मौद्रिक प्रणाली की मुद्रा के सटीक मूल्य का प्रतिनिधित्व करने के बजाय वस्तु के रूप में खड़े होना है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि बिटकॉइन एक रुपये के बराबर नहीं होता है। अगर आपको बिटकॉइन में निवेश करना है तो इसे मुद्रा से खरीदना होता है। एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह है कि क्रिप्टोकरेंसी बेहद अस्थिर हैं और उनका कोई कानूनी जारीकर्ता नहीं है, जबकि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा को आरबीआई जारी कर रही है। इसका मतलब यह हुआ कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा को पैसा माना जा सकता है।

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