सौर मंडल में कई बदलाव होते रहते हैं, लेकिन ताजा रिपोर्ट आपकी परेशानी को बढ़ाने वाली है। आने वाले दिनों में धरती( Earth) को बड़े सौर तूफान( Solar Superstorms) का सामना करना पड़ सकता है। इस सौर तूफान का असर पूरे विश्व या विश्व के कुछ देशों को पूरी तरह से प्रभावित करन वाला है। धरती पर न केवल इंटरनेट प्रलय की आशंका जाहिर की जा रही है बल्कि इस सौर तूफान के कारण कई देशों का इकोनॉमी मुंह के बल गिर जाएगी और कई देश पूरी तरह कंगाल हो सकते हैं।
क्या है सौर तूफान
यूनिलर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निंया की वैज्ञानिक संगीता अब्दू ज्योति ने अपनी ताजा स्टडी में इस बात का दावा किया है। संगीता की स्टडी के मुताबिक आने वाल भविष्य में धरती को बड़े सौर तूफान का सामना करना पड़ सकता है। सौर तूफान का मतलब सूरज से निकलने वाला कोरोनल मास है, जो बेहद नुकसानदायक और प्रयलकारी साबित हो सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस सौर तूफान के कारण धरती पर इंटरनेट सर्विस ठप हो सकती है लया कई दिनों तक बंद हो सकती है। इसका असर बिजली आपूर्ति पर भी पड़ सकता है। कई देशों में पावर ग्रिड फेल हो सकते हैं, जिसके कारण उन्हें कई दिनों तक अंधेरे में रहना पड़ सकता है। संगीता ने सिगकॉम 2021 डेटा कम्यूनिकेशन कॉन्फ्रेंस में अपनी स्टडी वैज्ञानिकों को दिखाई , जिसके बाद स वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है।
क्या कहता है वैज्ञानिकों का रिसर्च
संगीता ने अपनी रिसर्च में कहा है कि सौर तूफान के कारण स्थानीय इंटरनट प्रणाली पर कम असर होगा, लेकिन दुनियाभर के समुद्रों में फैली इंटरनेट केबल पर इसका असर पड़ सकता है। शोध के मुताबिक इंटरनेट के फाइबर ऑप्टिक्स पर सौर तूफान के दौरान निकली जियोमैग्नेटिक करंट का सीधा असर नहीं होगा, लेकिन दुनिया के देशों को जोड़ने वाली समुद्री इंटरनेट केबल इससे प्रभावित होगी और जिन देशों ने इन केबल को अपने ऑप्टिक्स से जोड़ा है, वहां कई दिनों तक इंटरनेट सेवा बाधित रह सकती है। शोधकर्ता के मुताबिक सौर तूफान को लेकर हमारी जानकारी कम है और हमारे पास इससे संबंधित डेटा की कमी है, जिसक कारण इसका नुकसान अधिक हो सकता है। शोध के मुताबिक सौर तूफान पावर ग्रिड्स को नुकसान पहुंचाता है। धरती पर आने वाले सौर तूफान की आशंका को देखते हुए दुनिया के कई देशों में ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है। दुनिया के कई देश अंधेरे में डूब सकते हैं। इंटरनेट सर्विस को नुकसान पहुंच सकता है। इसका असर नविगेशन, सैटलाइट्स पर पड़ सकता है।
इंटरनेट सर्विस को नुकसान
संगीता ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया के देशों को जोड़ने के लिए समुद्री केबल में करंट के बहाव को बनाए रखने के लिए रिपीटर्स लगाए जाते हैं, जो सौर तूफान के लिए काफी सेंसिटिव होता है, यानी अगर सौर तूफान आता है तो ये रिपीटर्स खराब हो सकते हैं और केबल की सप्लाई बाधित हो सकती है। अगर इंटरनेट सर्विस बंद होती है तो हालाकार मच सकता है। इकोनॉमी धड़ाम हो सकती है। कई देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है। टेलीकॉम सेक्टर ठप हो सकता है, डिफेंस सेक्टर, आईटी, बैंकिंग सर्विसेस बंद हो सकती है। शोध के मुताबिक सौर तूफान को लेकर कम जानकारी के कारण इसका असर और भी भयानक हो सकता है। संगीता के मुताबिक दुनिया इस सौर तूफान के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है, जिसके कारण इसका असर और प्रलरकारी हो सकता है। हम इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते है कि अगर इंटरनेट सेवा ठप हुई तो क्या असर होने वाला है। कई देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है।
नुकसान का अंदाजा लगा पाना मुश्किल
संगीता क मुताबिक हमारे पास सौर तूफान को लेकर डेटा बहुत कम है, इसलिए हम इस बात का अंदाजा भी नहीं सकते हैं कि इससे कितना नुकसान होगा। साल 1859, 1921 और 1989 में दुनिया सौर तूफान का दंश झेल चुकी है। 1859 में आए सौर तूफान के कारण समुद्री यातायात ठप हो गई, वहीं 1989 में आए सौर तूफान क कारण कनाडा का हाइड्रो पावर ग्रिड फेल हो गया था। लगभग पूरा देश कई घंटों तक अंधेरे में रहा, हालांकि पिछले दो दशकों स सौत तूफान नहीं आया है, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि सूरज में हो रही गतिविधियां कमजोर हो गई हैं।