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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कहीं पटाखों पर फुल बैन, तो कहीं दो घंटे कर सकेंगे आतिशबाजी; जानें किस राज्य में क्या नियम

प्रदूषण पर लगाम के लिए राज्यों ने कमर कस ली है। इस दीपावली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर रोक के लिए कुछ राज्यों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध है तो कहीं सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही अनुमति दी गई है। कुछ प्रदेशों ने आतिशबाजी के लिए समय सीमा भी तय कर दी है।

राजस्थान: दिवाली पर दो घंटे चला सकेंगे ग्रीन पटाखे

जयपुर राज्य सरकार ने प्रदेश में पटाखों पर प्रतिबंध के मामले में यू टर्न ले लिया है। यहां एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर अन्य जिलों में दीपावली पर दो घंटे रात 8 से 10 बजे तक के लिए ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति दी गई है। गृह विभाग की ओर से जारी आदेशों में क्रिसमस और नववर्ष पर रात्रि 11.55 से रात्रि 12.30 बजे, गुरु पर्व पर रात्रि 8 से रात्रि 10 बजे तक तथा छठ पर्व पर सुबह 6 से सुबह 8 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति होगी। मालूम हो कि कुछ दिन पहले प्रदूषण और कोरोना मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए सरकार ने राज्य में 1 अक्तूबर 2021 से 31 जनवरी 2022 तक इनके विक्रय व उपयोग पर रोक लगा दी थी।

इन राज्यों में पटाखों पर पूरी तरह से रोक

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए दिवाली पर पटाखे जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने दिल्ली में पटाखा बेचने और जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये रोक जनवरी 2022 तक लगा हुआ है। हरियाणा और ओडिशा सरकार ने भी इस पर रोक लगा दी है। चंडीगढ़ यूटी प्रशासन लगातार दूसरे साल आतिशबाजी पर रोक लगा चुका है। इसके अलावा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, सिक्किम में भी पिछले साल पटाखों पर प्रतिबंध की घोषणा की गई थी। दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार ने भी एसओपी जारी करते हुए पटाखे न जलाने की अपील की है।

जान की कीमत पर उत्सव मनाने की अनुमति नहीं दे सकते…पटाखा कंपनियों को SC ने लताड़ा…राज्यों को चेतावनी…

देश की सर्वोच्च अदालत ने एक सप्ताह पूर्व कहा था कि हमने पटाखे पर प्रतिबंध को लेकर जो आदेश पारित कर रखा है, उसका प्रत्येक राज्य पालन करें। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह उत्सव के खिलाफ नहीं है, लेकिन इंसान की जिंदगी को खतरे में डालकर उत्सव मनाने की छूट नहीं दी जा सकती है। उत्सव फुलझड़ी चलाकर या बिना शोर के भी हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ग्रीन पटाखे की आड़ में पटाखा निर्माता प्रतिबंधित रसायन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे जहां लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है वहीं, वातावरण भी प्रदूषित होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी कोई उत्सव होता है तो आप देख सकते हैं कि बाजार में प्रतिबंधित पटाखे उपलब्ध हैं।

पटाखों पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

23 अक्तूबर 2018 को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे बनाने, बेचने और उन्हें फोड़ने पर पूरी तरह बैन लगाने से इनकार किया था, लेकिन पूरे देश में पटाखों के इस्तेमाल के लिए कड़ी शर्तें लगाई थीं। अदालत ने कहा था कि इन शर्तों के उल्लंघन पर संबंधित थानों के एसएचओ पर कोर्ट की अवमानना का केस चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखे यानी पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों को बनाने और बेचने की ही अनुमति दी थी।

एनजीटी भी नोटिस कर चुकी है जारी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 4 नवंबर 2020 को कर्नाटक और तमिलनाडु सहित 18 राज्यों को पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए नोटिस जारी किया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के रिकॉर्ड के अनुसार, एनजीटी पीठ ने कहा है कि इन राज्यों के 122 शहरों में हवा की गुणवत्ता अनुकूल सीमा से नीचे है। एनजीटी के इस नोटिस के बाद दिल्ली सहित छह राज्यों ने अपने यहां पर नवंबर में पटाखे जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

इन पटाखों पर है रोक

लड़ियों और सांप की टिकिया पर रोक लगा दी गई है। आर्सेनिक, लिथियम, लेड, मरकरी, बेरियम और एल्युमिनियम वाले पटाखे प्रतिबंधित हैं।

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?

तय सीमा में आवाज और धुएं वाले पटाखों को ही सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन यानी ईको फ्रेंडली पटाखा माना है। ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। इनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की कम मात्रा इस्तेमाल होती है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 प्रतिशत तक कम हानिकारण गैस पैदा होते हैं। नीरी के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. साधना रायलू कहती हैं, इनसे जो हानिकारक गैसें निकलेंगी, वो कम निकलेंगी। ये कम हानिकारक पटाखे होंगे।

सामान्य पटाखे क्यों हानिकारक हैं?

सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर डाई ऑक्साइड गैस निकलती हैं। जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होती हैं। पटाखों से सबसे ज्यादा नुकसान उन बुजुर्गों को होता है, जो एक तरफ बुढ़ापे का मार झेल रहे होते हैं और दूसरी तरफ तमाम बीमारियों से घिरे होते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे किसी विनाशकारी हथियार से कम नहीं हैं। पटाखों की धुंध यानी स्मॉग से सांस फूलने, घबराहट, खांसी, हृदय और फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में संक्रमण, दमा का अटैक, गले में संक्रमण आदि के खतरे होते हैं।

तमिलनाडु ने ग्रीन पटाखों की बिक्री को मंजूरी देने की गुजारिश की

चेन्नई तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को दिल्ली, ओडिशा, राजस्थान एवं हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे पटाखों की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर पुनर्विचार करें। साथ ही ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दें। पत्र में स्टालिन ने कहा कि राज्य में पटाखा निर्माण उद्योग में शामिल लगभग आठ लाख श्रमिकों की आजीविका मुश्किल के दौर में है। मालूम हो कि देशभर के 80 प्रतिशत पटाखे तमिलनाडु में ही बनते हैं। इसीलिए स्टालिन ने राज्यों से गुजारिश की है।

चीनी पटाखे भी खतरनाक

देश में 30 प्रतिशत पटाखे गैरकानूनी तरीके से चीन से आते हैं। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के मुताबिक, चीनी पटाखों में प्रतिबंधित लाल सीसी, कॉपर ऑक्साइड और लीथियम सहित कई हानिकारक रसायसनों का इस्तेमाल होता है। इन पटाखों से आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं। खासकर बच्चों के लिए ये पटाखे ज्यादा नुकसानदायक हैं।

पिछले वर्ष खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी वायु गुणवत्ता

पिछले वर्ष दिवाली के दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर 414 था। वहीं, अगले दिन यह बढ़कर 435 हो गया। इस स्तर को गंभीर श्रेणी में माना जाता है। यह स्थिति तब थी जब दिल्ली में पटाखे पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ था।

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