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307 (34) , 498a और 328 के एफआईआर को हाईकोर्ट ने किया निरस्त…जानिए क्या है वजह…

बिलासपुर। एफआईआर (FIR) निरस्त करने के मामले में हाईकोर्ट (haicort) ने बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने पति–पत्नी की आपसी सहमति के बाद पति, सास और ननद के खिलाफ लगी धारा 307(34), 498 और धारा 328 को निरस्त कर दिया है। दरअसल कोंडागांव की रहने वाली आबेदा बानो का निकाह वर्ष 2016 में ओडिशा के रहने वाले मोहम्मद अफजल से हुआ।

शादी के दो माह बाद ही झगड़ा शुरू हो गया। एक साल बाद 2017 में आबेदा ने केशकाल थाने में पति मोहम्मद अफजल, ननद और सास के ऊपर आरोप लगाया कि उन्होंने उसे दहेज की मांग करते हुए प्रताड़ित किया और ऑल ऑउट लिक्विड पिलाकर मारने की कोशिश की। पुलिस ने पति, ननद और सास के ऊपर धारा 294, 323, 506B, 328, 498A और 307 34 के तहत अपराध दर्ज किया।

मामला निचली अदालत में पहुंचा, पर दोनों पति–पत्नी ने कोर्ट के बाहर ही आपसी समझौता कर लिया और कोर्ट में आवेदन पेश किया। कोर्ट ने आपसी समझौते के अनुसार समझौता योग्य धाराओं का निराकरण कर दिया, पर 307(34), 498 और 328 का निराकरण नहीं किया। इन तीनों धाराओं की निरस्तीकरण के लिए दोनों ने अधिवक्ता रविन्द्र शर्मा, अचल चौबे और यथार्थ सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

हाईकोर्ट ने दोनों पति-पत्नी की सहमति से पेश आवेदन पर सुनवाई करते हुए पति, ननद और सास पर लगे धारा 307 (34), 498 और 328 को निरस्त कर दिया है, जिससे की उनकी एफआईआर निरस्त हो गई, क्योंकि धारा 307(34) को गंभीर माना जाता है, इसलिए इस एफआईआर को निरस्त किए जाने के फैसले को आगामी सुनवाई में न्याय दृष्टांत माना जा सकता है।

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