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Twin Towers Demolition: आखिर क्यों गिराए जा रहे हैं सुपरटेक ट्विन टावर, मंजूरी से लेकर कोर्ट के आदेश तक, जानें क्या है पूरा मामला…

नोएडा के सेक्टर-93 स्थित सुपरटेक ट्विन टावरों (Supertech Twin Towers) को गिराने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. आज 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे दोनों टावरों को ब्लास्ट कर गिरा दिया जाएगा. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. 32 मंजिला इस इमारत को गिराने के लिए विस्फोटक लगाने का काम भी पूरा हो चुका है. बिल्डिंग को गिराने के लिए लगभग 3,700 किलो विस्फोटक लगाया गया है. आज के दिन बिल्डिंग गिराई जाएगी एक्सप्रेस-वे पर कुछ देर के लिए ट्रैफिक बंद रहेगा. इसके अलावा, आसपास की बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को भी कहा गया है कि वे दिनभर के लिए अपने घर खाली कर दें. आखिर इन इमारतों को क्यों गिराया जा रहा है? इमारत को मंजरी से लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक क्या हुआ, विस्तार से समझते हैं.

सुपरटेक ट्विन टावरों को क्यों गिराया जा रहा है?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन टावरों को गिराने की कार्रवाई की जा रही है. दरअसल इन टावरों को निर्माण शर्तों का उल्लंघन कर किया गया था. नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था. सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. हालांकि, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे. इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है. साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया.

– नोएडा के सेक्टर-93ए में एक हाउसिंग सोसाइटी के निर्माण के लिए नवंबर 2004 में नोएडा विकास प्राधिकरण सुपरटेक को जमीन का एक भूखंड आवंटित किया.

– 2005 में न्यू ओखला औद्योगिक विकास क्षेत्र भवन विनियम और निर्देश, 1986 के तहत भवन योजना को मंजूरी मिली. जिसके तहत कुल 14 टावरों और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण को मंजूरी दी गई थी.

– सुपरटेक लिमिटेड ने नवंबर 2005 में एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) नाम से एक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण शुरू किया.

– जून 2006 में सुपरटेक को उन्हीं शर्तों के तहत अतिरिक्त जमीन आवंटित कर दी गई

– दिसंबर 2006 में 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स के निर्माण के लिए प्लान में बदलाव किया गया.

– 2009 में सुपरटेक ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलीभगत कर ट्विन टावर का निर्माण शुरू कर दिया. ये T-16 और T-17 (Apex और Ceyane) टावर थे.

– दोनों टावरों को लेकर स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध करना शुरू कर दिया. क्योंकि उनकी सोसाइटी के ठीक सामने, जिसे नोएडा अथॉरिटी ने पहले ग्रीन बेल्ट बताया था, वहां ये विशालकाय टावर खड़े हो रहे थे.

– इन ट्विन टावरों के निर्माण के दौरान अग्नि सुरक्षा मानदंडों और खुले स्थान के मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया था.

– इन टावरों के निर्माण के दौरान NBR 2006 और NBR 2010 का उल्लंघन किया गया था. जिसके मुताबिक इन बिल्डिंगों के निर्माण के दौरान पास की अन्य बिल्डिंगों के बीच उचित दूरी का खयाल नहीं रखा गया था.

– नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC), 2005 को भी ताक पर रखकर इनका निर्माण किया गया. NBC 2005 के मुताबिक ऊंची इमारतों के आसपास खुली जगह का प्रावधान है. टावर T-17 से सटे खुली जगह लगभग 20 मीटर होनी चाहिए थी, 9 मीटर का स्पेस गैप उससे काफी कम है.

– सुपरटेक ट्विन टावर्स (T-16 और T-17) का निर्माण यूपी अपार्टमेंट्स एक्ट का भी उल्लंघन है. मूल योजना में बदलाव किया गया था लेकिन बिल्डरों ने मूल योजना के खरीदारों की सहमति नहीं ली थी.

– जिस एरिया को सुपरटेक ने अपने ग्राहकों को पहले ग्रीन एरिया में दिखाया था, बाद में धोखे से उसी में दो बड़ा टावर खड़े कर दिए गए. ब्रॉशर में ग्रीन एरिया देखकर घर खरीदने वालों के लिए ये एक ठगी से कम नहीं था.

कैसे आगे बढ़ा पूरा मामला

– नोएडा के सेक्टर-93ए में एक हाउसिंग सोसाइटी के निर्माण के लिए नवंबर 2004 में नोएडा विकास प्राधिकरण सुपरटेक को जमीन का एक भूखंड आवंटित किया.

– 2005 में न्यू ओखला औद्योगिक विकास क्षेत्र भवन विनियम और निर्देश, 1986 के तहत भवन योजना को मंजूरी मिली. जिसके तहत कुल 14 टावरों और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण को मंजूरी दी गई थी.

– सुपरटेक लिमिटेड ने नवंबर 2005 में एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) नाम से एक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण शुरू किया.

– जून 2006 में सुपरटेक को उन्हीं शर्तों के तहत अतिरिक्त जमीन आवंटित कर दी गई

– दिसंबर 2006 में 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स के निर्माण के लिए प्लान में बदलाव किया गया.

– 2009 में सुपरटेक ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलीभगत कर ट्विन टावर का निर्माण शुरू कर दिया. ये T-16 और T-17 (Apex और Ceyane) टावर थे.

– दोनों टावरों को लेकर स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध करना शुरू कर दिया. क्योंकि उनकी सोसाइटी के ठीक सामने, जिसे नोएडा अथॉरिटी ने पहले ग्रीन बेल्ट बताया था, वहां ये विशालकाय टावर खड़े हो रहे थे.

– इन ट्विन टावरों के निर्माण के दौरान अग्नि सुरक्षा मानदंडों और खुले स्थान के मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया था.

– इन टावरों के निर्माण के दौरान NBR 2006 और NBR 2010 का उल्लंघन किया गया था. जिसके मुताबिक इन बिल्डिंगों के निर्माण के दौरान पास की अन्य बिल्डिंगों के बीच उचित दूरी का खयाल नहीं रखा गया था.

– नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC), 2005 को भी ताक पर रखकर इनका निर्माण किया गया. NBC 2005 के मुताबिक ऊंची इमारतों के आसपास खुली जगह का प्रावधान है. टावर T-17 से सटे खुली जगह लगभग 20 मीटर होनी चाहिए थी, 9 मीटर का स्पेस गैप उससे काफी कम है.

– सुपरटेक ट्विन टावर्स (T-16 और T-17) का निर्माण यूपी अपार्टमेंट्स एक्ट का भी उल्लंघन है. मूल योजना में बदलाव किया गया था लेकिन बिल्डरों ने मूल योजना के खरीदारों की सहमति नहीं ली थी.

– जिस एरिया को सुपरटेक ने अपने ग्राहकों को पहले ग्रीन एरिया में दिखाया था, बाद में धोखे से उसी में दो बड़ा टावर खड़े कर दिए गए. ब्रॉशर में ग्रीन एरिया देखकर घर खरीदने वालों के लिए ये एक ठगी से कम नहीं था.

कोर्ट पहुंचा मामला 2009 में पूरा मामला कोर्ट पहुंचा. एमराल्ड कोर्ट के रेजिडेंट्स ने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया. 2010 में इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले में एक्शन न होने पर सोसाइटी के लोग 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) पहुंचे. करीब डेढ़ साल तक हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चली. इसके बाद 11 अप्रैल 2014 में हाईकोर्ट ने विवादित टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया. इतना ही नहीं कोर्ट ने आरोपी नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही थी.

सुप्रीम कोर्ट में 7 साल चली सुनवाई इसके बाद

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट में करीब 7 साल तक पूरा मामला चला. 31 अगस्त 2021 को कोर्ट ने सुपरटेक को बड़ा झटका देते हुए रेजिडेंट्स के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने तीन महीने के अंदर दोनों टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. हालांकि कुछ कारणों से इसकी तारीख तीन बार आगे बढ़ाई जा चुकी है.

खरीदारों का क्या होगा?

कोर्ट ने अपने फैसले में फ्लैट खरीदारों का भी ध्यान रखा है. कोर्ट ने बिल्डर को दो महीने के भीतर 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ ट्विन टावरों में फ्लैट खरीदारों को सभी राशि वापस करने का निर्देश दिया था. इसके साथ ही बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था. मार्च 2022 में सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने दिवालिया घोषित कर दिया है. कंपनी पर करीब 1200 करोड़ रुपये का कर्ज है.

बारूद लगाने का काम हुआ पूरा इमारत को ढहाने के

लिए बारूद लगाने का काम पूरा कर लिया गया है. इस इमारत को गिराने का काम एडिफिस और साउथ अफ्रीका की जेट कंपनी कर रही है. चीफ इंजीनियर का कहना है कि इसमें कुल 9640 होल किए गए हैं. जिसमें तकरीबन 3 हजार 700 किलो बारूद लगाया गया है. एक होल में इतना बारूद डाला गया जितना कि वो सही से जिस कॉलम में डाला जाए उसे फाड़ सके. इनके कनेक्शन का काम 25 अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा.

आसपास के लोगों को सुबह ही खाली करना होगा

अपार्टमेंट जिन टावरों को गिराया जाना है उनके पास एटीएस विजेज समेत अन्य अपार्टमेंट हैं. ब्लास्ट वाले दिन आसपास की सोसायटी में रहने वालों को सुबह साढ़े छह बजे तक सोसायटी खाली करनी होगी. इसके ठीक आधे घंटे बाद यानी 7 बजे बिजली पानी बंद कर दिया जाएगा. ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण से पहले टावर के चारों ओर करीब 500 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को इलाके से बाहर भेज दिया जाएगा. इतना ही नहीं टावर के गिराए जाने के बाद भी लोगों को बिना इजाजत अपार्टमेंट में नहीं जाने दिया जाएगा. टावरों को ढहाने के बाद सीबीआरआई की टीम आसपास के टावरों का परीक्षण करेगी. इन टावरों में अगर कोई कमी नहीं पाई गई तभी लोगों को जाने की इजाजत दी जाएगी. सबसे पहले लिफ्ट की जांच की जाएगी. इसके बाद बिजली और पानी और गैस कनेक्शन की जांच की जाएगी. टावर के पिलर समेत अन्य जां पूरी होने के बाद ही लोगों को जाने की इजाजत दी जाएगी.

नोएडा एक्सप्रेस-वे रहेगा बंद 28 अगस्त की दोपहर

2:15 से लेकर 2: 45 तक नोएडा एक्सप्रेसवे को बंद रखा जाएगा. इस दौरान महामाया फ्लाईओवर से रूट को डायवर्ट किया जाएगा. इसके अलावा आसपास की कनेक्टिंग सड़कों को भी बंद कर दिया जाएगा. वहीं ट्विन टावर के चारों ओर एमराल्ड कोर्ट के सहारे बनी सड़क, दक्षिण दिशा में दिल्ली को ओर जाने वाले एक्सप्रेसवे की सर्विस लेन, पूर्व में सृष्टि और एटीएस विलेज के बीच सड़क तक, पश्चिम में पार्क से जुड़े फ्लाईओवर तक नाकाबंदी की जाएगी. ट्विन टावर के आसपास का एरिया सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक सभी लोगों के लिए बंद रहेगा. जानवरों की एंट्री रोकने के लिए भी खास इंतजाम किए जाएंगे.

कैसी करेगी सुरक्षा व्यवस्था ट्विन टॉवर के

ध्वस्तीकरण के समय आपातकालीन सेवाओं को भी मौके पर तैनात किया जाएगा. एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस पिकेट स्थापित की जाएगी. 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी, पीएसी और फायर डिपार्टमेंट के कर्मचारी व अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. इसके साथ ही एक डीसीपी, एडिशनल डीसीपी, एसीपी और इंस्पेक्टर रैंक के पांच अफसरों को ध्वस्तीकरण के दौरान मौके पर तैनात करने की योजना बनाई है.

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