बिलासपुर। हाई कोर्ट ने प्रदेशभर के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को अदालत परिसर में अपनी नियमित बैठक के अलावा हर शनिवार को जेल परिसर में अदालत लगाने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य उन मामलों का निपटारा किया जा सके जिनमें आरोपित अपना आरोप स्वीकार कर प्रकरण को निराकृत कराना चाहते हैं।
दरअसल देश भर की निचली अदालतों में लंबित प्रकरणों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाईकोर्ट को निर्देश जारी कर शनिवार को जेल में अदालत लगाने व मामलों की सुनवाई के निर्देश जारी किए है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इससे जल्द न्याय मिलेगा व लंबित प्रकरणों की संख्या कम होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अरविंद कुमार वर्मा ने एक परिपत्र जारी कर कहा है कि जिन स्थानों पर दो से अधिक न्यायिक मजिस्ट्रेट हैं वहां अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) या न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) की बैठकें होती हैं, ऐसे स्थानों पर न्यायालय परिसर में नियमित बैठक स्थल के अलावा हर शनिवार को भी जेल परिसर अदालत लगाई जाए। इससे आपराधिक मामलों में जेलों में बंद लोगों को अपने मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का अवसर मिलेगा।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग से हो रही सुनवाई
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराई है। जेल में बंद कैदियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये गवाही ली जा रही है। हाई कोर्ट के अलावा जिला कोर्ट में भी इस तरह की व्यवस्था लागू की गई है।
सुरक्षा व्यवस्था की दूर होगी चिंता
प्रदेश की प्रमुख जेलों में नक्सल गतिविधियों में संलिप्त लोग भी बंद हैं। निचली अदालतों में सुनवाई के दौरान जेल से भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ले जाना पड़ता है। जब तक सुनवाई न हो जाए तब तक अदालत परिसर में ही कड़ी चौकसी के बीच रखना पड़ता है। अदालत परिसर से पुलिस की सुरक्षा से फरार होने की घटना भी घटित हो चुकी है।