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बिलासपुर लोकसभा: गोटी बिठाने वाले कांग्रेसियों के पीछे लगी इंवेस्टिगेशन टीम… सचिन पायलट द्वारा बंद कमरे में ली गई बैठक के बाद घर के भेदियों से निपटने बनी ये रणनीति…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से बिलासपुर कांग्रेस में जो परंपरा चली आ रही है, उसी के मुताबिक अब भी यहां के कांग्रेसी अपनी गोटी बिठाने में लगे हुए हैं। गुटबाजी में बंधे कांग्रेसियों का साफ मकसद है कि मैं नहीं, तो मेरे आका या फिर समर्थक। इसके अलावा कोई और नहीं। चाहे वो पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता ही क्यों न हो। यही वजह है कि पिछले विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी कुछ नामी कांग्रेसी घर बैठ गए थे। हालांकि बड़े नेता या प्रत्याशी के पहुंचने पर मन मसोसकर ये कांग्रेसी नजर आ जाते हैं। इसकी जानकारी आला कमान से लेकर प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट को भी है।

दरअसल, बीते दिनों बिलासपुर दौरे पर आए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पायलट को इसकी भनक लग गई। उन्होंने कांगेस में एक बनाने की गरज से बंद कमरे में बैठक ली। सभी से चुनाव की तैयारी को लेकर फीडबैक लिया। चुनाव जीतने के टिप्स भी दिए। गुटबाजी को लेकर भी चर्चा हुई। चूंकि बंद कमरे में कांग्रेसी ही मौजूद थे, इसलिए प्रदेश प्रभारी पायलट ने क्या कहा, यह तो सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन बैठक के बाद कांग्रेसियों के बीच कानाफुसी शुरू हो गई है। एक कान से दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें… तक बात फैलती जा रही है। कानोंकान जो जानकारी मिली है, उसे सही मानें तो प्रदेश प्रभारी पायलट ने कुछ नामी कांग्रेसियों को आड़े हाथों लिया। कहा- आप क्यों घर में बैठ गए हैं। दिक्कत क्या है। जब आप चुनाव लड़ते हैं तो आपके समर्थक दिन-रात मेहनत करते दिखाई देते हैं। लोकसभा चुनाव में ऐसा क्या हो गया कि आपके साथ समर्थक भी गायब हैं। आप लोगों की यही हरकत कांग्रेस की नैया डूबा रही है। उन्होंने इशारों ही इशारों में संकेत दिया कि इस चुनाव में जो कांग्रेसी काम नहीं करेंगे, उनका काम लगा दिया जाएगा।

गुटबाजी में बंधे कांग्रेसियों के लिए उनका यह इशारा ही काफी था। ऐसे कांग्रेसियों ने अपनी सफाई में मख्खन लगाने की कोशिश भी की, लेकिन प्रदेश प्रभारी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। बैठक समाप्त करने से पहले उन्होंने यह भी इशारा किया कि यहां कोई चेहरा नहीं, कोई जाति, कोई धर्म नहीं, बल्कि कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। हम सभी का अस्तित्व कांग्रेस से ही है। गुटबाजी और भितरघात की पुष्टि हुई तो यह तय है कि चुनाव के बाद संगठन से उन्हें आउट कर दिया जाएगा। कानोंकान पहुंची इस खबर से कांग्रेसियों में खलबली मची हुई है। राजनीतिक पंडितों तक भी यह बात पहुंच गई। जाहिर है, मतदान से पहले कांग्रेस-भाजपा की राजनीति में क्या उथल-पुथल मची हुई है, इसका वे पता लगाकर आंकलन कर रहे हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो प्रदेश प्रभारी की दो टूक से वो कांग्रेसी डरे और सहमे नजर आ रहे हैं, जिन पर पहले भी फूलछाप कांग्रेसी होने का धब्बा लग चुका है। अब ये न चाहते हुए भी फील्ड में नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं। समर्थकों को सक्रिय कर रहे हैं। यही नहीं, खुद के द्वारा किए जा रहे कार्यों से प्रत्याशी से लेकर प्रदेश प्रभारी तक संदेश भिजवाया जा रहा है, ताकि चुनाव के बाद भी पार्टी में उनकी साख कम न हो।

पीठ पीछे ‘काम’ लगाने वाले कांग्रेसियों की बन रही लिस्ट

कानों कान पहुंची खबर पर भरोसा करें तो प्रदेश प्रभारी पायलट ने उन कांग्रेसियों की अलग से लिस्ट बनाने के लिए कहा है, जो पीठ पीछे ‘काम’ लगाने (भितरघात) में माहिर हैं। ऐसे कांग्रेसियों की हर एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। मसलन, सुबह से लेकर रात तक वे क्या कर रहे हैं। कहां जा रहे हैं। किससे मिल रहे हैं। मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं तो उनके कानों में क्या मंत्र फूंक रहे हैं। इसके लिए एक इंवेस्टिगेशन टीम तक लगाने की सूचना है, जो ऐसे कांग्रेसियों की एक माह की कुंडली तैयार कर रही है। ऐसा करने के पीछे फोकस इस बात पर है कि ये कांग्रेसी जिस क्षेत्र में अपनी साख होने का दंभ भरते हैं, वहां से चुनाव में कांग्रेस को क्या मिला।

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