बिलासपुर। हाल ही में मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम भटचौरा स्कूल की एक घटना ने शिक्षा व्यवस्था और अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना तब सामने आई जब स्कूल में अध्यनरत छात्राओं का बीयर पार्टी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस घटना ने न केवल स्कूल प्रबंधन बल्कि समाज को भी झकझोर कर रख दिया। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के आदेश पर एक जांच टीम का गठन किया गया, जिसने इस मुद्दे की जांच की और विद्यालय के प्राचार्य की लापरवाही को उजागर किया। इस जांच के आधार पर डीईओ ने प्राचार्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है।
मामला ग्राम भटचौरा स्कूल का है, जहां कुछ छात्राओं का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे बीयर की बोतल दिखाते और समोसा खाते हुए नजर आईं। यह वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय समुदाय और स्कूल प्रबंधन में खलबली मच गई। विद्यालय को शिक्षा का मंदिर माना जाता है, और वहां इस तरह की घटनाएं अस्वीकार्य हैं।
जांच प्रक्रिया और छात्राओं के बयान
जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू के आदेश पर गठित टीम ने मंगलवार को स्कूल में जांच शुरू की। जांच में स्कूल की छात्राओं और प्राचार्य लक्ष्मीचरण वारे के बयान लिए गए। छात्राओं के बयान में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने केवल समोसा खाया था और बीयर की बोतल खाली थी। उनका कहना था कि वे इसे सिर्फ मजाक के तौर पर दिखा रही थीं, जबकि बीयर पीने का कोई इरादा नहीं था।
प्राचार्य की भूमिका और लापरवाही
जांच टीम ने अपने रिपोर्ट में प्राचार्य की गंभीर लापरवाही को उजागर किया। विद्यालय में अनुशासनहीनता और प्रबंधन की कमियों को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकला कि प्राचार्य लक्ष्मीचरण वारे ने इस मामले में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। स्कूल के भीतर हो रही गतिविधियों पर नियंत्रण और अनुशासन बनाए रखना प्राचार्य की जिम्मेदारी होती है, लेकिन इस मामले में उनकी लापरवाही साफ तौर पर दिखाई दी।
अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा
घटना की गंभीरता और जांच टीम की रिपोर्ट को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने प्राचार्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है। इस अनुशंसा में प्राचार्य को पद से हटाने या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो और विद्यालयों में अनुशासन बनाए रखा जा सके।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे स्कूलों में बच्चों की नैतिक शिक्षा और अनुशासन का स्तर क्या है। क्या स्कूल केवल किताबों का ज्ञान देने का केंद्र बनकर रह गए हैं या फिर वहां अनुशासन और नैतिक मूल्यों की भी शिक्षा दी जा रही है? समाज के भविष्य निर्माता समझे जाने वाले छात्र, जब इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त होते हैं, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र के लिए चिंताजनक स्थिति होती है।