Sunday, October 6, 2024
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छत्तीसगढ़: राजीनामा योग्य मामलों के निराकरण में लोक अदालतों की महत्वपूर्ण भूमिका: चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने आगामी नेशनल लोक अदालत की तैयारियों के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक में हाईकोर्ट -सह-कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जस्टिस गौतम भादुड़ी तथा जस्टिस-सह-अध्यक्ष उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति न्यायमर्ति संजय के. अग्रवाल की विशिष्ट उपस्थिति में न्यायाधीशों और संबंधित अधिकारियों को संबोधित किया। इस बैठक में उन्होंने न्यायालयों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और उनके समाधान के लिए लोक अदालतों के महत्व पर जोर दिया।

21 सितंबर 2024 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत के मद्देनज़र, मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर बल दिया कि पक्षकारों की आपसी सहमति से राजीनामा योग्य मामलों का विधिसम्मत निराकरण करने का प्रयास अत्यंत आवश्यक है। लोक अदालतों के माध्यम से मामलों का निपटारा केवल पक्षकारों के हित में ही नहीं होता, बल्कि इससे न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या भी कम होती है, जिससे न्यायाधीश अन्य लंबित मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कहा कि वर्तमान समय में न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए यह जरूरी है कि लोक अदालतों के आयोजन में राजीनामा योग्य मामलों को प्राथमिकता दी जाए। लोक अदालतें न केवल मामलों का शीघ्र निपटारा करती हैं, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां दोनों पक्षकारों को लाभ मिलता है। राजीनामा योग्य मामलों के निराकरण से दोनों पक्ष संतुष्ट रहते हैं, और न्यायालयों का समय भी बचता है। इससे न्यायालय अपने अन्य लंबित मामलों को सुलझाने के लिए अधिक समय दे सकते हैं।

चीफ जस्टिस ने न्यायालयों में पांच वर्ष और दस वर्ष से अधिक समय से लंबित राजीनामा योग्य मामलों के निराकरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बैंकों, वित्तीय संस्थानों, विद्युत वितरण कंपनियों, बीएसएनएल, बीमा कंपनियों जैसे संगठनों के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्री-लिटिगेशन आवेदनों का भी जल्द से जल्द निपटारा करने का आह्वान किया।

प्रमुख रूप से, प्री-लिटिगेशन स्तर पर मामलों का निपटारा होने से ये मामले न्यायालयों तक नहीं पहुंचते, जिससे न्यायालयों पर बोझ कम होता है। इससे न केवल पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिलता है, बल्कि न्यायालयों की कार्यकुशलता भी बढ़ती है।

नेशनल लोक अदालत का आयोजन

 मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि 21 सितंबर 2024 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक राजीनामा योग्य सिविल, आपराधिक और अन्य प्रकरणों को चिन्हांकित कर विधिसम्मत तरीके से निराकृत किया जाए। इसके लिए समस्त जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीशों, फैमिली कोर्ट के न्यायाधीशों, स्थायी लोक अदालतों के चेयरमेन और अन्य संबंधित अधिकारियों से सहयोग की अपील की गई है।

अब तक 180259 प्री-लिटिगेशन मामलों और 34824 न्यायालयों में लंबित मामलों को चिन्हांकित किया गया है, जिनका निराकरण लोक अदालत के माध्यम से किया जाएगा।

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