शिक्षा

बिलासपुर: सेंट जेवियर्स स्कूल की चार ब्रांच फर्जी..? दबाव में गलत रिपोर्ट देने से इनकार करने पर डीईओ ने तीसरी बार बदली जांच कमेटी…देखिए वीडियो…

Bilaspur: Four branches of St. Xavier's School are fake..? DEO changed the investigation committee for the third time after refusing to give a wrong report under pressure...Watch the video...

बिलासपुर। सेंट जेवियर्स ग्रुप के चार स्कूलों के फर्जी होने के दावे ने जिला शिक्षा विभाग की नींदें उड़ा दी हैं। इन स्कूलों को पाक-साफ बताने के लिए प्रबंधन ने पूरी ताकत झोंक दी है। प्रबंधन जांच कमेटी से हर कीमत पर क्लिन चीट चाहता है, लेकिन शिकायतकर्ता भी पूरे दस्तावेज के साथ स्कूल प्रबंधन को बेनकाब करने के लिए अड़े हुए हैं। यही वजह है कि छह माह में स्कूल की जांच पूरी नहीं हो पाई है।

बताया जा रहा है कि पालिटिकल प्रेशर में जिले के ओहदेदार अफसर जांच कमेटी पर लगातार गलत रिपोर्ट देने दबाव बना रहे हैं, लेकिन जांच कमेटी शामिल कोई भी अफसर अपनी कलम फंसाना नहीं चाहते। मनमाफिक रिपोर्ट नहीं मिलने पर डीईओ टीआर साहू ने तीसरी बार जांच कमेटी बदल दी है। इस बार जांच का जिम्मा नोडल अधिकारियों को दिया गया है। जांच कमेटी बदलने के खेल से शिकायतकर्ता भी नाराज चले हैं। इस बार उन्होंने डीईओ से लिखवा लिया है कि उन्हें 20 सितंबर तक चारों स्कूलों की सीबीएसई से एफिलेशन से संबंधित जांच रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने सेंट जेवियर्स ग्रुप द्वारा जबड़ापारा सरकंडा, उसलापुर, कोटा और सिरगिट्‌टी में सीबीएसई से बिना एफिलेशन के स्कूल चलाने का दावा पेश किया है। उन्होंने सीबीएसई से इन स्कूलों को एफिलेशन नहीं मिलने का प्रमाण भी पेश किया है। उनकी शिकायत पर पहली जांच कमेटी बनाई गई, जिसे एक माह बदल दिया गया। दूसरी बार सहायक संचालक पी दासरथी के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। यह कमेटी करीब डेढ़ माह तक मामले की जांच की, लेकिन रिपोर्ट तैयार नहीं की।

शिकायतकर्ता एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश संह का दावा है कि प्रबंधन से मिलीभगत कर डीईओ टीआर साहू फर्जी स्कूलों को सही साबित करने पर तूला हुआ है। इसके लिए तरह-तरह हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इसका सबूत एक बार फिर से जांच कमेटी बदलना है। लगातार जांच कमेटी बदलने और रिपोर्ट पेश नहीं करने से यह तो साबित हो गया है कि स्कूल प्रबंधन को इन चारों स्कूलों को संचालित करने के लिए सीबीएसई से कोई एफिलेशन नहीं मिला है।

कोर्ट में परिवाद पेश लगाई जाएगी

शिकायतकर्ता एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह का कहना है कि बार-बार जांच कमेटी बदलने से यह समझ में आ रहा है कि डीईओ इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराना चाहते। वे जांच कमेटी बनाने का खेल खेलकर समय खींचना चाहता है, ताकि हम परेशान होकर यह मामला छोड़ दें, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम जबड़ापारा सरकंडा, कोटा, उसलापुर और सिरगिट्‌टी में संचालित सेंट जेवियर्स स्कूलों की जांच कराकर रहेंगे। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 20 सितंबर को अगर जांच रिपोर्ट नहीं दी गई तो वे जिला शिक्षा विभाग और सेंट जेवियर्स स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर करेंगे। दोनों पक्षों से कोर्ट में जवाब मांगा जाएगा।

पालकों को लूट रहा सेंट जेवियर्स प्रबंधन: रंजेश

एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने दो माह पहले डीईओ साहू को तीन बिंदुओं पर ज्ञापन दिया था। उन्होंने बताया था कि सीबीएसई बोर्ड ने जिले में सेंट जेवियर्स स्कूल संचालित करने के लिए सिर्फ दो स्थानों भरनी और व्यापार विहार में अनुमति दी है, लेकिन सेंट जेवियर्स स्कूल प्रबंधन द्बारा जबड़ापारा सरकंडा, उसलापुर, सिरगिट्टी और कोटा में फर्जी तरीके से सेंट जेवियर्स हाईस्कूल का संचालन किया जा रहा है, जहां वर्तमान में पालकों को धोखे में रखकर भारी संख्या में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। छात्र नेता रंजेश ने कहा कि इन चारों स्कूलों में स्टूडेंट्स के पालकों से मोटी फीस वसूली जा रही है। यहां हर साल एडमिशन फीस ली जाती है।

इन चारों संस्थानों की आय व्यय का ब्यौरा छिपाया जा रहा है। इन स्कूलों में बोर्ड कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को परीक्षा दिलाने के लिए भरनी स्थित मुख्य ब्रांच ले जाया जाता है। इन चारों जगहों पर जिला शिक्षा विभाग से सिर्फ नर्सरी से आठवीं तक स्कूल संचालित करने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन इन स्थानों पर शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार सुविधाएं तक नहीं है।

जब मान्यता एक जगह से तो पुस्तकें अलग-अलग क्यों

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा किजिले में संचालित सीबीएसई और सीजीबीएसई संस्थान द्बारा मान्यता प्राप्त लगभग सभी स्कूल संस्थान द्बारा अलग-अलग पब्लिकेशन की बुक का उपयोग किया जाता है, जिससे छात्र और पालक इन पुस्तकों को खरीदने के लिए बाध्य हो जाते हैं। ये बुक स्कूल या प्रबंधन द्बारा बताई गई शॉप से ही खरीदने की मजबूरी होती है। बुक्स की आड़ में स्कूल प्रबंधन द्बारा कमीशनखोरी की जाती है।

एक जानकारी के अनुसार एनसीईआरटी प्रकाशन की कुछ क्लास की पुस्तकें महज 500 रुपए में मिल जाती हैं, जबकि इसी क्लास की प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकों की कीमत 2500 से 3000 रुपए होती है। अगर सभी संस्थान को एक माध्यम से मान्यता मिली हुई है तो फिर यहां बुक्स अलग-अलग क्यों चलाई जा रही है। छात्रनेता रंजेश ने कहा कि सभी प्राइवेट स्कूलों में उन्हीं पुस्तकों को चलाया जाए, जो पुस्तकें मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल और स्वामी आत्मानंद स्कूलों में चल रही है।

 

error: Content is protected !!
Latest