रायपुर। छत्तीसगढ़ के जिला कवर्धा के लोहारीडीह गांव में हाल ही में हुए अग्निकांड और पुलिस द्वारा की गई कथित बर्बरता के चलते 33 महिलाओं को दुर्ग जेल में बंद किया गया था। इस घटना की जांच छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक द्वारा की गई। उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर कई गंभीर खुलासे सामने आए हैं, जिसे उन्होंने विभिन्न उच्च अधिकारियों को भेजा है।
डॉ. नायक ने 21 सितंबर 2024 को दुर्ग जेल का दौरा किया, जहां लोहारीडीह गांव से गिरफ्तार की गई महिलाओं को कैद रखा गया है। जांच के दौरान उन्होंने पाया कि इन महिलाओं को पुलिस की बर्बरता का शिकार बनाया गया था। उनकी जांच के नतीजे और सिफारिशें मुख्य न्यायाधीश (उच्चतम न्यायालय), मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई हैं।
जांच रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि उनके साथ जांच दल भी शामिल था, लेकिन जेल प्रशासन ने जांच के दौरान बाधाएं उत्पन्न करने की कोशिश की, जो उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इसके बावजूद, जांच पूरी की गई और गंभीर तथ्य सामने आए। महिलाओं के साथ हुई बर्बरता और उनके अधिकारों के हनन के प्रमाण प्राप्त हुए।
डॉ. नायक द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कुछ प्रमुख सिफारिशें की गई हैं, जो पुलिस प्रशासन और जेल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती हैं। प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं:
1. मेडिकल जांच और वीडियोग्राफी: दुर्ग जिला जेल में बंद 33 महिलाओं का तुरंत मेडिकल परीक्षण कराया जाए। जांच के दौरान महिलाओं पर हुए चोटों की वीडियोग्राफी की जाए ताकि सबूत संरक्षित हो सकें। इस कार्य को पूर्व शासकीय अभिभाषक, तहसीलदार और डॉक्टर की निगरानी में किया जाए।
2. शिनाख्ती परेड: लोहारीडीह घटना के दौरान पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों की पहचान की जाए। इसमें एस.पी. अभिषेक पल्लव और अन्य पुलिस अधिकारियों को शामिल कर शिनाख्ती परेड कराई जाए, जिससे महिलाओं को मारने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान हो सके।
3. मृत कैदी की मौत की जांच: जेल में बंद एक अन्य कैदी, प्रशांत साहू की मौत के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई है। प्रशांत साहू की मृत्यु पुलिस की बर्बरता के परिणामस्वरूप मानी जा रही है, जिसके लिए जांच की मांग की गई है।
4.अवैध गिरफ्तारी और थर्ड डिग्री का इस्तेमाल: पुलिस द्वारा बिना सर्च वारंट के महिलाओं को गिरफ्तार करना और उनके घरों में तोड़फोड़ कर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करना गंभीर अपराध माना गया है। इस पर तुरंत एफ.आई.आर दर्ज करने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
5. एस.पी. अभिषेक पल्लव की भूमिका की जांच: घटना के दौरान एस.पी. अभिषेक पल्लव की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। उनके सरकारी और व्यक्तिगत मोबाइल कॉल डिटेल और लोकेशन की जांच की सिफारिश की गई है ताकि घटना के समय उनकी मौजूदगी की पुष्टि हो सके। इस दौरान उन्हें निलंबित करने की भी अनुशंसा की गई है।
महिला आयोग की सख्त कार्रवाई की मांग
महिला आयोग की यह जांच रिपोर्ट बेहद संवेदनशील है और छत्तीसगढ़ सरकार तथा पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करती है। डॉ. किरणमयी नायक ने जोर दिया है कि महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने पुलिस द्वारा इस्तेमाल की गई हिंसा की निंदा की और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए आयोग पूरी गंभीरता से कार्य कर रहा है। अब देखना यह है कि रिपोर्ट के आधार पर राज्य और केंद्र सरकार क्या कदम उठाती हैं और क्या न्याय की उम्मीदें पूरी होती हैं।