बिलासपुर। सड़क दुर्घटनाएं आज एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती बन चुकी हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में, जहाँ आवारा पशुओं के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार और प्रशासन कई प्रकार के उपाय कर रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र में आवारा पशुओं को सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए एक अनूठी पहल की गई है, जिसमें पशुओं के गले में रेडियम बेल्ट पहनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार और कलेक्टर अवनीश शरण के मार्गदर्शन में, कोटा क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए आवारा पशुओं के गले में रेडियम बेल्ट बांधने का कार्य शुरू किया गया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है, रात के समय वाहनों के लिए सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं को स्पष्ट रूप से दिखाना, ताकि दुर्घटनाओं की संभावना कम हो सके।
रेडियम बेल्ट की खासियत यह है कि यह रात के समय वाहनों की हेडलाइट से चमकता है, जिससे वाहन चालकों को सड़क पर मौजूद पशु दूर से ही नजर आ जाते हैं। इससे उन्हें समय रहते वाहन की गति को कम करने का या दिशा बदलने का अवसर मिल जाता है और दुर्घटना की संभावना घट जाती है।
कोटा क्षेत्र में यह पहल तहसीलदार के नेतृत्व में पशु विभाग, नगर पंचायत के कर्मचारियों और कोटवारों की टीम द्वारा संचालित की गई। इस अभियान के अंतर्गत लगभग 250 आवारा पशुओं के गले में रेडियम बेल्ट बांधी गई। यह कार्य न केवल कोटा नगर में बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी किया गया, ताकि ज्यादा से ज्यादा इलाकों में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने का प्रयास हो सके।
यह पहल न केवल पशु प्रबंधन का हिस्सा है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी उदाहरण है। आवारा पशुओं को अक्सर सड़कों पर छोड़ दिया जाता है, जिससे वे खुद के लिए और वाहन चालकों के लिए खतरा बन जाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने रेडियम बेल्ट पहनाने का फैसला किया, जो एक सकारात्मक कदम है।
इसके अलावा, इस पहल से यह भी सुनिश्चित किया गया है कि न सिर्फ दुर्घटनाओं में कमी आए, बल्कि पशुओं की सुरक्षा भी हो। रेडियम बेल्ट की मदद से पशु सड़क पर वाहन से टकराने से बच सकते हैं, जिससे उनकी जान को भी खतरा कम होगा।
इस पहल की सफलता के बाद, उम्मीद की जा रही है कि अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाएगा। आवारा पशुओं की समस्या केवल कोटा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में एक गंभीर मुद्दा है। ऐसे में यह पहल एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकती है, जिसे अन्य जिलों और राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।
रेडियम बेल्ट पहनाने की यह पहल सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। इस पहल से न केवल वाहन चालकों को लाभ मिलेगा, बल्कि आवारा पशुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके साथ ही, प्रशासन और समाज दोनों के संयुक्त प्रयास से इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के और भी रचनात्मक उपाय सामने आ सकते हैं।