
बिलासपुर: सड़क अतिक्रमण मामले में हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले के कलेक्टर, एसडीओ और तहसीलदार द्वारा निर्देशों की अनदेखी करने के कारण याचिकाकर्ता ने इन अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। मामला तब गंभीर हो गया जब हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेशों का पालन करने के लिए अधिकारियों को छह महीने की मोहलत दी गई, लेकिन इस समय सीमा के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वर्ष 2021-22 में पेंड्रा से अमरपुर जाने वाली सड़क के चौड़ीकरण की योजना बनाई गई थी। हालांकि, इस योजना के तहत नई सड़क का निर्माण कर दिया गया, जबकि पुराने मार्ग पर स्थित भूमि पर अतिक्रमण अब भी बरकरार है। ग्राम अमरपुर में सड़क के लिए आरक्षित खसरा नंबर 48 और 54 पर स्थानीय लोगों का अवैध कब्जा है। इन कब्जों को हटाने के लिए पहले भी कई बार प्रयास किए गए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
लोक निर्माण विभाग पर आरोप है कि उसने सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित सरकारी भूमि पर कब्जाधारियों को नजरअंदाज करते हुए निजी किसानों की भूमि पर सड़क और नाली का निर्माण किया। याचिकाकर्ता मनीष पांडेय ने अपनी रिट पिटीशन में इसे प्रशासनिक लापरवाही और अवैध संरक्षण का मामला बताते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कलेक्टर को निर्देश दिए थे कि छह महीने के भीतर इस मामले में उचित कार्रवाई करें और अतिक्रमण हटवाएं। लेकिन आदेश के बावजूद, न केवल कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई बल्कि स्थानीय एसडीएम ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए अतिक्रमणकारियों को बचाने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, एसडीएम ने खसरा नंबर 48 और 54 पर कब्जे को हटाने की कार्रवाई पर स्थगन आदेश जारी कर दिया।
कलेक्टर और अन्य अधिकारियों द्वारा कोर्ट के आदेश की अनदेखी और अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता अच्युत तिवारी के माध्यम से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि अधिकारियों ने जानबूझकर न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया और अब यह मामला कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है।
इस याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अपील की है कि न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मामले की सुनवाई अब अवमानना याचिका के तहत होगी, जिससे यह तय होगा कि कलेक्टर, एसडीओ और तहसीलदार पर क्या कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला शासन और प्रशासन में जवाबदेही के सवाल को सामने रखता है, जहां न्यायालयीन आदेशों की अवहेलना करने वाले अधिकारियों को सजा का सामना करना पड़ सकता है।