Friday, October 18, 2024
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बिलासपुर: जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किया तीखा हमला…

बिलासपुर। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने बिलासपुर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान देश के समकालीन मुद्दों पर बेबाकी से अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने राजनीति, धर्म, सांस्कृतिक मूल्यों और समाज में बढ़ती विकृतियों पर अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं, जो समाज के सभी वर्गों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती हैं।

भाजपा की आलोचना

शंकराचार्य जी ने मौजूदा सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार बैसाखियों के सहारे चल रही है और भाजपा ने धर्म की मर्यादा का अतिक्रमण किया है। उनके अनुसार, राम मंदिर से जुड़ी मर्यादाओं का उल्लंघन भाजपा की सत्ता की महत्वाकांक्षाओं का परिणाम है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भाजपा की धार्मिक दृष्टिकोण की कमी और उसके नेताओं की कथित धर्मसंगत कार्य न करने की प्रवृत्ति ने भाजपा की दुर्गति का कारण बना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना करते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि लोग मोदी की गारंटी को भूल चुके हैं और केवल उनकी बड़ी दाढ़ी को देख रहे हैं, लेकिन यह उन्हें संत नहीं बनाती। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी के कार्यकाल में वह कांग्रेसियों के रूप में माने जाते हैं, जबकि कांग्रेस के शासनकाल में भाजपा के साथ जुड़े रहते हैं। यह बयान दर्शाता है कि शंकराचार्य जी किसी भी राजनीतिक पक्ष के पक्षधर नहीं हैं, बल्कि वे धार्मिक और नैतिकता के मानकों पर राजनीति की आलोचना करते हैं।

महंगाई

स्वामी निश्चलानंद जी ने देश में बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर भी अपनी राय दी। उन्होंने इसके लिए मुनाफाखोरों और दलालों को जिम्मेदार ठहराया, जो उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले उत्पाद सीधे दुकानदारों तक पहुँचते थे, लेकिन अब दलालों के कारण चीजें महंगी हो गई हैं। उनका मानना है कि यह पूरी व्यवस्था दलालों के कब्जे में आ चुकी है, जिसे सुधारने की जरूरत है।

सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों पर चिंता

धार्मिक और सांस्कृतिक फूहड़ता पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि धर्म के नाम पर जो अश्लीलता हो रही है, उसे तुरंत रोका जाना चाहिए। गरबा और डांडिया जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में अश्लीलता के बढ़ते प्रभाव पर उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ धर्म की मर्यादाओं का उल्लंघन हैं, जिन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए।

उन्होंने धार्मिकता और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए परिवारों को अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने की भी अपील की। शंकराचार्य जी का मानना है कि परिवार की शिक्षा ही बच्चों को सही दिशा दिखाती है और उन्हें भटकने से रोकती है।

धर्मांतरण और लव जिहाद पर विचार

धर्मांतरण के मुद्दे पर शंकराचार्य जी ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण करने वालों को राजनेताओं का संरक्षण मिल रहा है और उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को या तो फांसी पर लटका देना चाहिए या जेल में डाल देना चाहिए, जो सनातन धर्म का पालन नहीं करते और अन्य धर्मों को अपनाने के लिए मजबूर करते हैं।

लव जिहाद के मुद्दे पर भी उन्होंने कहा कि युवाओं को भगवान के चरणों में ध्यान लगाना चाहिए, ताकि वे भ्रमित न हों। उनका मानना है कि धार्मिक आस्था और भगवान की भक्ति ही युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकती है।

शिक्षा और परंपरा की रक्षा

शंकराचार्य जी ने मठ और मंदिरों को शिक्षा, सेवा और रक्षा के केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया। उनका कहना है कि मठ और मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक शिक्षा के केंद्र भी हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानी ही सच्चा भक्त होता है और बिना श्रवण के ब्रह्म की निष्ठा संभव नहीं है।

पर्यावरण और गौ संरक्षण पर चिंता

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने चारागाह की भूमि के विलोप और गौ संरक्षण के मुद्दे पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आधुनिक मशीनों और कृत्रिम दूध के बढ़ते उपयोग के कारण गाय और बैलों की उपयोगिता समाप्त हो रही है, जिससे गोचर भूमि का विनाश हो रहा है। उन्होंने विकास के नाम पर चल रही इन प्रक्रियाओं का विरोध किया और परंपरागत संसाधनों की रक्षा पर जोर दिया।

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज की बातें समाज के विभिन्न पहलुओं पर एक गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता को दर्शाती हैं। चाहे वह राजनीति हो, महंगाई, धार्मिक आस्था या सांस्कृतिक विकृतियां, उनका हर वक्तव्य समाज को आत्मविश्लेषण की ओर प्रेरित करता है। उनकी स्पष्टवादिता और निष्पक्ष दृष्टिकोण उन्हें समकालीन धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण आवाज बनाते हैं। उनका मानना है कि धर्म, समाज और परंपरा की मर्यादाओं की रक्षा ही सच्ची उन्नति की राह है, और इस दिशा में सभी को सामूहिक रूप से कार्य करना होगा।

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