बिलासपुर। जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही है, बाजार में सोने-चांदी की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल देखने को मिल रहा है। खासकर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सोने की कीमतें 80,600 रुपये प्रति तोला और चांदी 1,00,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। यह अचानक हुई वृद्धि न केवल आम जनता के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह देशभर के सर्राफा व्यापारियों के लिए भी गंभीर मंथन का कारण बन गई है।
कीमतों में उछाल के प्रमुख कारण
1. वैश्विक संघर्ष: छत्तीसगढ़ सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पश्चिमी देशों में जारी युद्ध और गृह युद्धों का इस उछाल में बड़ा योगदान है। पिछले एक साल से जारी संघर्षों ने वैश्विक बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी है। सोना और चांदी को पारंपरिक रूप से सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है, और जैसे ही वैश्विक अस्थिरता की खबरें आती हैं, इनकी मांग बढ़ जाती है। इससे कीमतों में वृद्धि होती है।
2. नेशनल पॉलिसी का प्रभाव: जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर संघर्ष और अस्थिरता की खबरें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक नीतियों में बदलाव देखने को मिलता है। महंगाई और मुद्रा की गिरावट जैसी स्थितियों में भी सोने-चांदी की कीमतें प्रभावित होती हैं। निवेशक अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने के लिए इन धातुओं की ओर रुख करते हैं, जिससे बाजार में इनकी कीमतें बढ़ती हैं।
3. त्योहारों का मौसम: भारत में दीपावली और धनतेरस जैसे त्योहारों के दौरान सोने और चांदी की खरीदारी एक परंपरा मानी जाती है। लोग इस समय पर इन धातुओं को शुभ मानते हुए खरीदते हैं। विशेषकर शादी-ब्याह और संकट के समय के लिए लोग पहले से ही सोने और चांदी को सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं। इसलिए भले ही कीमतें बढ़ रही हों, फिर भी इन त्योहारों पर सोने-चांदी की मांग में कमी नहीं आती है।
आम जनता पर प्रभाव
आसमान छूती कीमतों ने आम जनता के लिए चिंताओं को बढ़ा दिया है। सोना और चांदी जैसी कीमती धातुओं में निवेश करना हमेशा से ही भारतीय समाज का हिस्सा रहा है, लेकिन इनकी कीमतों में इतनी बड़ी वृद्धि से मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए इन्हें खरीदना कठिन हो गया है। कई लोग अपनी योजनाओं को स्थगित कर सकते हैं या फिर कम मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं।
सर्राफा व्यापार पर प्रभाव
बिलासपुर जैसे शहरों में, जहां सोने और चांदी की बड़ी खपत होती है, इस उछाल से व्यापारियों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। कमल सोनी का कहना है कि इस तरह की अस्थिरता से सर्राफा बाजार में मांग कम नहीं होती क्योंकि सोने-चांदी को शादी और अन्य विशेष अवसरों के लिए खरीदा जाता है। त्योहारों के दौरान बाजार में रौनक बरकरार रहती है, और लोग भले ही अधिक कीमत चुकाएं, लेकिन परंपरा और आवश्यकता के कारण खरीदारी करते ही हैं।
भविष्य की संभावनाएं
अगर वैश्विक संघर्षों का अंत नहीं होता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता बनी रहती है, तो सोने-चांदी की कीमतों में और भी वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में आम लोगों को अपनी खरीदारी योजनाओं को लेकर और भी सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशक इनकी कीमतों में बढ़ोतरी का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन मध्यम और निम्न वर्ग के लिए यह चिंता का कारण बना रहेगा।
सोने-चांदी की कीमतों में इस ऐतिहासिक बढ़ोतरी ने वैश्विक संघर्षों, नेशनल पॉलिसी और त्योहारों के मौसम के कारण अपना स्थान बनाया है। हालांकि, आम जनता की चिंताएं और व्यापारियों की उम्मीदें दोनों ही अपनी जगह पर कायम हैं। जहाँ एक तरफ कीमतें मध्यम और निम्न वर्ग के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर त्योहारों और सामाजिक आवश्यकताओं के कारण बाजार में उत्साह बरकरार है।