बिलासपुर। हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत एक महत्वपूर्ण मामले में, वाई.एस. ठाकुर, जो राज्य के अपर महाधिवक्ता हैं, राज्य और प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए। उनके साथ ही प्रतिवादी संख्या 14, 16, 17 और 19 की ओर से वकील पंकज अग्रवाल, प्रतिवादी संख्या 15 के लिए ए.एस. कछवाहा का पक्ष रखते हुए श्रुति प्रमार, और प्रतिवादी संख्या 23 के लिए वकील डॉ. सुदीप अग्रवाल का पक्ष रखते हुए विवेक कुमार अग्रवाल भी सुनवाई में उपस्थित हुए।
मामले की सुनवाई के दौरान, विद्वान राज्य वकील ने अदालत को अवगत कराया कि याचिका में शामिल मुद्दे को विधि एवं विधायी कार्य विभाग के समक्ष भेजा गया था। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय केवल राज्य के मंत्रिमंडल द्वारा ही लिया जा सकता है। इस वजह से, राज्य वकील ने मामले में कुछ अतिरिक्त समय की मांग की, ताकि मंत्रिमंडल द्वारा इस संबंध में उचित निर्णय लिया जा सके।
अदालत ने यह उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाएगी। अदालत ने सुझाव दिया कि सरकार मंत्रिमंडल के समक्ष इस मुद्दे पर प्रस्ताव रखे, जिस पर मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिया जाए। अदालत ने इस पूरे अभ्यास को आज से चार सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया।
यह मामला अब चार सप्ताह बाद पुनः सूचीबद्ध किया जाएगा, ताकि अदालत यह सुनिश्चित कर सके कि सरकार ने याचिका में उठाए गए मुद्दों पर आवश्यक कदम उठाए हैं या नहीं।
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि अदालत ने सरकार को याचिका में शामिल मुद्दों के समाधान के लिए पर्याप्त समय दिया है, और यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस अवधि में समुचित कार्रवाई करेगी। यह मामला न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि विधायिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन बनाए रखने का भी उदाहरण है।