बिलासपुर। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से शुरू की गई मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। हाल ही में हुई जांच के दौरान जिले में शासकीय स्कूल भवनों के निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है। इस जांच के परिणामस्वरूप, जिला प्रशासन ने ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर शुरू हुई इस जांच में जिला प्रशासन ने 78 निर्माण कार्यों में से कई में गंभीर कमियां पाई हैं। इनमें स्कूलों की छतों का प्लास्टर गिरने, खिड़कियों की कमी, और छतों से पानी के रिसाव जैसी समस्याएं शामिल हैं। इन खामियों से न केवल बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करते हैं।
जिला कलेक्टर ने इस स्थिति को देखते हुए कड़े कदम उठाने का आदेश दिया है। उन्होंने आयुक्त नगर निगम, आर.ई.एस. के कार्यपालन अभियंता, और संबंधित सी.एम.ओ. को इन निर्माण कार्यों के इस्टीमेट के अनुसार न होने पर निर्माण एजेंसियों और ठेकेदारों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, ऐसे ठेकेदारों को ब्लैकलिस्टेड करने की भी प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया है।
गड़बड़ियों के प्रमुख बिंदु:
- 1. छत का प्लास्टर गिरना: कई स्कूल भवनों में छत का प्लास्टर पूरी तरह से गिरा हुआ पाया गया है, जिससे बच्चों के लिए सुरक्षा खतरे में है।
- 2. खिड़कियों की कमी: निर्माण कार्यों में खिड़कियों को ठीक से नहीं लगाया गया है, जिससे भवनों की संरचना अधूरी रह गई है।
- 3. पानी का रिसाव: छतों से लगातार सीपेज होने के कारण कई कक्षाओं में पानी भरने की समस्या पाई गई है।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जिम्मेदार निर्माण एजेंसियों और ठेकेदारों से न केवल वित्तीय वसूली की जाएगी, बल्कि भविष्य में इन्हें ठेकेदार पैनल से भी हटाया जा सकता है। यह कदम सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और उसे मजबूत बनाने के प्रति गंभीर है। स्कूल जतन योजना का उद्देश्य स्कूलों की बुनियादी संरचना को सुदृढ़ करना है ताकि विद्यार्थियों को एक सुरक्षित और उपयुक्त वातावरण में शिक्षा मिल सके। लेकिन इस तरह की गड़बड़ियां सरकारी योजनाओं के प्रति ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों की उदासीनता को दर्शाती हैं।
इस जांच और कार्रवाई से एक संदेश साफ है— सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे ईमानदारी और गुणवत्ता के साथ काम करें, ताकि जनता का विश्वास सरकारी व्यवस्था में बना रहे।
मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के अंतर्गत आई गड़बड़ियों ने एक बार फिर सरकारी योजनाओं के प्रति सख्ती और निगरानी की आवश्यकता को उजागर किया है। हालांकि सरकार ने समय रहते कदम उठाए हैं, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। सरकारी धन का सही उपयोग और शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए पारदर्शिता बेहद आवश्यक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जिला प्रशासन की इस कड़ी कार्रवाई से भविष्य में निर्माण कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी और बच्चों को सुरक्षित शैक्षिक वातावरण मिलेगा।