Thursday, February 13, 2025
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बिलासपुर: कोटवारी जमीन को बेचने वाले कोटवार को किया गया बर्खास्त, कलेक्टर के निर्देश पर की गई बड़ी कार्यवाही, ग्रामीणों की थी शिकायत…

बिलासपुर। ग्राम कोटवार द्वारा कोटवारी भूमि बेचने और सार्वजनिक रास्ते पर कथित कब्जे के मामले में बिलासपुर प्रशासन ने त्वरित और कठोर कार्रवाई की है। ग्राम बसहा, तहसील बेलतरा के कोटवार संतोष कुमार गंधर्व को उनकी पदस्थापना से बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई कलेक्टर बिलासपुर के निर्देश पर की गई, जिनके पास ग्रामीणों ने शिकायत दर्ज कराई थी।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि संतोष कुमार गंधर्व ने कोटवारी भूमि बेच दी है, जो कि शासकीय संपत्ति होती है और इसका विक्रय प्रतिबंधित है। मामले की जांच अनुविभागीय अधिकारी पीयूष तिवारी के निर्देश पर नायब तहसीलदार राहुल साहू द्वारा की गई। जांच में पाया गया कि ग्राम बसहा स्थित खसरा नंबर 221/1, रकबा 0.292 हेक्टेयर कोटवारी भूमि को संतोष कुमार ने धनेश्वर प्रसाद कश्यप के नाम बेच दिया।

नायब तहसीलदार ने कोटवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। संतोष कुमार ने दावा किया कि उन्होंने अपनी निजी पैतृक भूमि बेची है, जिससे कोटवारी भूमि बेचने का भ्रम उत्पन्न हुआ। लेकिन दस्तावेज़ीय जांच और हल्का पटवारी की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि विक्रय की गई भूमि वास्तव में कोटवारी भूमि थी।

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 230 की कंडिका 5 के अनुसार कोटवारी भूमि का विक्रय प्रतिबंधित है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने के लिए संतोष कुमार गंधर्व को कोटवार के पद से बर्खास्त कर दिया गया। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि कोटवारी भूमि को फिर से ग्राम नौकर के रूप में दर्ज किया जाएगा।

ग्रामीणों ने कोटवार पर रास्ते पर बेजा कब्जा करने का भी आरोप लगाया। प्रशासन ने इस आरोप की जांच और समाधान के लिए अलग से कार्रवाई का आश्वासन दिया है। नायब तहसीलदार राहुल साहू ने कहा कि कोटवार द्वारा शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न न हो, इसलिए पहले उन्हें सेवा से पृथक किया गया है। बेजा कब्जा हटाने की प्रक्रिया अलग से की जाएगी।

बिलासपुर प्रशासन की यह कार्रवाई ग्रामीणों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कलेक्टर के सख्त निर्देश और त्वरित जांच ने यह साबित किया कि सार्वजनिक संपत्ति से संबंधित मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि कोटवारी भूमि जैसी शासकीय संपत्तियां केवल जनता के उपयोग और ग्राम विकास के लिए हैं। इसका निजी उपयोग या विक्रय करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग भी है। प्रशासन ने अपनी सख्ती से यह संदेश दिया है कि ऐसी गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई जारी रहेगी।

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