सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के खड़गवा चौकी अंतर्गत जगन्नाथपुर गांव में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। भूमि विवाद के कारण हुई इस हिंसा में एक पत्रकार के परिवार के तीन सदस्यों – मां, पिता और भाई – की निर्मम हत्या कर दी गई। इस नृशंस घटना ने न केवल स्थानीय निवासियों को सहमा दिया है बल्कि समाज में बढ़ते विवाद और हिंसा पर गहरी चिंता भी पैदा की है।
जगन्नाथपुर के डूबकापारा में संयुक्त खाते की विवादित जमीन पर खेती करने के लिए पत्रकार उमेश टोप्पो अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। उनके परिवार में माघे टोप्पो (57), बसंती टोप्पो (55), और नरेश टोप्पो (30) शामिल थे। उसी दौरान उनके रिश्तेदार पक्ष के 6-7 लोग वहां पहुंच गए। पहले से चल रहे जमीन विवाद को लेकर दोनों पक्षों में बहस हुई, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई।
दूसरे पक्ष ने अचानक कुल्हाड़ी और लाठियों से हमला कर दिया। इस हमले में बसंती टोप्पो और नरेश टोप्पो की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल माघे टोप्पो को अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में उन्होंने भी दम तोड़ दिया। पत्रकार उमेश टोप्पो ने किसी तरह मौके से भागकर अपनी जान बचाई और ग्रामीणों को घटना की सूचना दी।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। सूरजपुर पुलिस ने बताया कि हत्या का कारण भूमि विवाद है, लेकिन मामले में और भी पहलुओं की जांच की जा रही है। पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
इस घटना ने समाज में बढ़ते भूमि विवादों की ओर एक गंभीर संकेत दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन को लेकर परिवारों के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह विवाद अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है। आर्थिक तंगी और जागरूकता की कमी के कारण छोटे-मोटे झगड़े भी खूनी संघर्ष में बदल रहे हैं।
पत्रकार उमेश टोप्पो, जिन्होंने इस घटना में अपनी मां, पिता और भाई को खो दिया, अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनके परिवार की यह त्रासदी न केवल उनकी निजी पीड़ा है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है।
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि भूमि विवाद केवल एक कानूनी समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक ताने-बाने को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। ऐसे मामलों में लोगों को संवाद और मध्यस्थता के माध्यम से समाधान की ओर बढ़ना चाहिए, न कि हिंसा का सहारा लेना चाहिए।
सूरजपुर की यह घटना केवल एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य और देश को सोचने पर मजबूर करती है। ऐसे मामलों में सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
जमीन पर खूनी खेल से सहमे इलाके को अब न्याय और शांति का इंतजार है। उम्मीद है कि इस मामले में जल्द से जल्द दोषियों को सजा मिलेगी और यह घटना एक सबक बनकर उभरेगी