बिलासपुर।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस घटना में दो विदेशी नागरिकों समेत कुल 26 लोगों की आतंकवादियों ने निर्मम हत्या कर दी। इस अमानवीय घटना के विरोध में शुक्रवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। वरिष्ठ पत्रकारों, संपादकों और प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने इस अवसर पर मृतकों को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की और समाज में भाईचारे व शांति बनाए रखने की अपील की।
सभा में पत्रकारों ने न केवल घटना की निंदा की, बल्कि इससे जुड़ी सुरक्षा चूक, राजनीतिक संदर्भ और मीडिया की नैतिक भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की।
“पत्रकारों की कलम बने सौहार्द का माध्यम”
पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष ज्ञान अवस्थी ने कहा कि ऐसे संवेदनशील समय में पत्रकारों को अपनी लेखनी में अत्यधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने पुराने एक घटनाक्रम का हवाला देते हुए बताया कि कैसे सूझबूझ से बड़े सांप्रदायिक टकराव को टाला जा सकता है। उन्होंने सभी पत्रकारों को समाज में सौहार्द बनाए रखने के प्रति सचेत रहने की सलाह दी।
“बिलासपुर की तासीर बचाए रखें”
वरिष्ठ पत्रकार सतीश जायसवाल ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि नफरत फैलाने वाले ‘नैरेटिव’ से सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अफवाहें वास्तविक खबरों से तेज़ी से फैलती हैं और मीडिया की भूमिका ऐसे समय में अत्यंत जिम्मेदारी भरी हो जाती है।
“हमने सवाल उठाना बंद कर दिया है”
इवनिंग टाइम्स के संपादक नथमल शर्मा ने कहा कि यह हमला देश की संप्रभुता पर हमला है। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था की चूक पर सवाल उठाए और कहा कि अब समय है कि हम सिर्फ प्रतिक्रिया न करें बल्कि समाधान की दिशा में सोचें।
“यह आम आतंकी हमला नहीं, भारत-पाक का छद्म युद्ध”
वरिष्ठ पत्रकार राजेश दुआ ने कहा कि यह हमला भारत और पाकिस्तान के बीच एक सीधा संघर्ष है। उन्होंने कहा कि अब देश की जनता को स्पष्ट निर्णय लेना होगा कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए कैसे आगे बढ़ा जाए।
“नैरेटिव के जाल में न फंसें”
पत्रकार निर्मल माणिक और युवा पत्रकार विकास चौबे ने कहा कि हमें उन गहरे स्तरों पर फैले नैरेटिव से सावधान रहना होगा जो समाज में विभाजन और नफरत फैलाते हैं। उन्होंने आपसी भाईचारा बनाए रखने की पुरजोर अपील की।
“मीडिया बने शांति का वाहक”
वरिष्ठ पत्रकार राजेश अग्रवाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मीडिया को अपनी सबसे बड़ी ताकत—कलम—का इस्तेमाल अत्यंत सोच-समझकर करना होगा ताकि नफरत की आग में घी न डाला जाए, बल्कि वह सौहार्द और शांति का मार्ग प्रशस्त करे।
एकजुटता का संदेश
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकारों के साथ-साथ प्रेस क्लब अध्यक्ष इरशाद अली और वरिष्ठ पत्रकार सईद खान, कार्यकारिणी सदस्य गोपीनाथ डे, सहसचिव दिलीप जगवानी, अखलाख खान, लोकेश वाघमारे, संतोष मिश्रा, पंकज गुप्ते, विशाल झा, मनीष शर्मा के अलावा मौजूद अन्य पत्रकारों ने उद्बोधन के बाद पहलगाम में मारे गए निर्दोष सभी सैलानियों की आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
यह सभा सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं थी, यह एक सामाजिक चेतावनी थी—कि हमें सिर्फ खबर नहीं लिखनी, बल्कि उसकी ज़िम्मेदारी भी समझनी है।