बिलासपुर शहर के सकरी क्षेत्र से निकलने वाला गोकने नाला न केवल एक प्राकृतिक जलधारा है, बल्कि यह शहर की जल प्रबंधन प्रणाली का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नाला सकरी, हांफा, उसलापुर, घुरु, अमेरी और तिफरा जैसे प्रमुख क्षेत्रों से होकर गुजरता है और अंततः अरपा नदी में मिल जाता है।
लेकिन वर्तमान में यह नाला कई समस्याओं से जूझ रहा है। सबसे बड़ी समस्या है नाले के किनारे हुए अवैध निर्माण और अतिक्रमण। इसकी वजह से नाले की चौड़ाई काफी कम हो गई है, जिससे बारिश के मौसम में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। स्थानीय निवासियों को इससे काफी परेशानी होती है, और शहर की साफ-सफाई व्यवस्था भी प्रभावित होती है।
यदि प्रशासन और सरकार इस नाले के विकास की ओर गंभीरता से ध्यान दें, तो यह नाला न केवल जल निकासी में मददगार हो सकता है, बल्कि शहर के जलस्तर को भी सुधार सकता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
- गहरीकरण और चौड़ीकरण – नाले की सफाई, गहरीकरण और दोनों किनारों का चौड़ीकरण करने से जल प्रवाह बेहतर होगा और बाढ़ की संभावना कम होगी।
- दोनों ओर सड़क निर्माण – यदि नाले के दोनों किनारों पर सड़कें बन जाएं, तो परिवहन व्यवस्था सुधरेगी और स्थानीय निवासियों को सीधा लाभ मिलेगा।
- एनीकट (छोटे बांध) का निर्माण – नाले में बीच-बीच में छोटे एनीकट बनाए जाएं ताकि बारिश का पानी थोड़ी देर रोका जा सके। इससे आसपास के गांवों में भूजल स्तर (वॉटर लेवल) बढ़ेगा, जो किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
आज जब जल संकट की स्थिति हर ओर चिंता का विषय बन चुकी है, तो गोकने नाले जैसे संसाधनों का संरक्षण और उपयोग न केवल शहर के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक पहल हो सकती है।
सरकार और जिला प्रशासन यदि इच्छाशक्ति दिखाए और जनसहयोग से इस दिशा में कदम बढ़ाए, तो गोकने नाला एक आदर्श शहरी जल परियोजना बन सकता है।
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