बिलासपुर। शैक्षणिक दस्तावेजों की जालसाजी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पूर्व पति द्वारा पत्नी की ग्रेजुएशन की अंकसूची में कूटरचना कर उसका दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाया गया है। पीड़िता शालिनी कलसा, निवासी राजकिशोर नगर बिलासपुर, ने प्रेस क्लब पहुंचकर मीडिया के सामने पूरा मामला रखा और पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई।
शालिनी कलसा ने बताया कि उनके पूर्व पति संकल्प तिवारी, जो वर्तमान में A.13 बी ब्लॉक, CV हाइट्स, सरजू बगीचा मसानगंज, बिलासपुर में निवासरत हैं, ने उनके बीएचएससी (होम साइंस) की मूल अंकसूची को कूट रचना द्वारा बदलकर, बीएससी (कंप्यूटर साइंस) के रूप में प्रस्तुत कर दिया। यह फर्जी दस्तावेज सीएमडी कॉलेज, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के नाम से तैयार की गई, जबकि असली अंकसूची जीडीसी गर्ल्स कॉलेज की है। उल्लेखनीय है कि अंकसूची में रोल नंबर, एनरोलमेंट नंबर और उत्तीर्ण वर्ष भी वही हैं जो शालिनी की मूल अंकसूची में हैं।
शालिनी ने दावा किया कि संकल्प तिवारी ने इसी फर्जी दस्तावेज के आधार पर फार्मा कंपनियों में एरिया मैनेजर की नौकरी हासिल की है। जब उन्हें इस गड़बड़ी की जानकारी हुई, तब उन्होंने आरटीआई के माध्यम से विश्वविद्यालय से विवरण मंगवाकर सच्चाई का खुलासा किया। इसके बाद 22 नवंबर 2024 को उन्होंने पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा था, लेकिन अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
थाना सिविल लाइन ने विश्वविद्यालय को सत्यापन हेतु पत्र लिखा था, जिसमें दस्तावेज की कूट रचना की पुष्टि की गई, बावजूद इसके संकल्प तिवारी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़िता का आरोप है कि अब संकल्प तिवारी ने एक और फर्जी अंकसूची, इस बार मैथ्स यूनिवर्सिटी रायपुर के नाम से तैयार की है और उसका उपयोग भी नौकरी के लिए कर रहा है।
सबसे गंभीर बात यह है कि अब शालिनी कलसा को शिकायत वापस लेने के लिए धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने बताया कि वे मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रही हैं और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठी हैं कि जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज कर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मांग की है कि संकल्प तिवारी के पास मौजूद 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन की फर्जी अंकसूचियों को जप्त कर कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए।
शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर पुलिस अधीक्षक से मिलकर आरोपी पर कार्रवाई की मांग की, जिस पर एसपी ने थाना सिविल लाइन को जांच और आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
यह मामला न केवल व्यक्तिगत उत्पीड़न का है, बल्कि समाज में फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे नौकरी प्राप्त करने जैसे गंभीर अपराध की ओर भी इशारा करता है। अब देखना यह है कि पुलिस प्रशासन इस मामले में कितनी संवेदनशीलता और तत्परता से कार्य करता है।