बिलासपुर।
कैंसर का नाम ही किसी भी मरीज और परिवार को डरा देने के लिए काफी होता है। अक्सर शुरुआती दौर में तकलीफ या दर्द न होने से लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं और जब तक कैंसर का पता चलता है, तब तक वह शरीर में काफी फैल चुका होता है। बिलासपुर निवासी 61 वर्षीय लक्ष्मण (परिवर्तित नाम) भी इसी लापरवाही के कारण कैंसर की अंतिम अवस्था तक पहुँच चुके थे। तंबाकू सेवन की वर्षों पुरानी आदत ने उनके मुंह में कैंसर को जन्म दिया, जो धीरे-धीरे गले तक फैल गया।
स्थिति गंभीर थी, क्योंकि कैंसर चौथे स्टेज तक पहुँच चुका था और मरीज का गले का लिंफ नोड 7×6 सेमी तक सूज चुका था। उम्र अधिक होने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर थी, जिससे सर्जरी करना चिकित्सकों के लिए बड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) के दंत चिकित्सा विभाग ने हार नहीं मानी और 7-8 घंटे लंबी जटिल सर्जरी कर मरीज को नया जीवन दिया।
तीन चरणों में हुई सफल सर्जरी
इस जीवनरक्षक ऑपरेशन को तीन चरणों में पूरा किया गया:
- कैंसर प्रभावित जबड़े के हिस्से को हटाया गया।
- गर्दन तक फैले कैंसर के टिश्यू और लिंफ नोड्स को निकाला गया।
- खाली हिस्से की रिकंस्ट्रक्शन के लिए छाती से लिया गया मांस (पीएमएमसी फ्लैप) प्रत्यारोपित किया गया।
चिकित्सकों की संगठित टीम ने लिखा सफलता का नया अध्याय
सर्जरी को दंत चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश और उनकी टीम ने अंजाम दिया। टीम में डॉ. जण्डेल सिंह ठाकुर, डॉ. केतकी किनिकर, डॉ. हेमलता राजमणी, डॉ. प्रकाश खरे और डॉ. सोनल पटेल शामिल थे।
निश्चेतना विभाग से डॉ. मधुमिता मूर्ति और उनकी टीम ने अहम भूमिका निभाई, वहीं रेडियोडायग्नोसिस विभाग की डॉ. अर्चना सिंह एवं स्टाफ ने जांच और तैयारी में सहयोग किया।
इस पूरी प्रक्रिया का संचालन डॉ. भूपेन्द्र कश्यप के मार्गदर्शन में हुआ।
सफल ऑपरेशन के बाद मरीज अब स्वस्थ हैं और धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं।
सिम्स ने रचा नया कीर्तिमान
सर्जरी की इस सफलता पर सिम्स के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा विभाग लगातार श्रेष्ठता साबित कर रहा है और भविष्य में भी मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं और विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।


