Monday, December 23, 2024
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बिलासपुर: आशीर्वाद वैली में 160 की जगह 220 मकान तान दिए…सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन मौन…बिल्डर प्रीतवानी को कंप्लीट सर्टिफिकेट भी जारी…

बिलासपुर। शहर के बिल्डर नेताओं और अफसरों को अपने रसूख के दम पर कैसे नचाते हैं, इसका नमूना देखना है तो बोदरी नगर पंचायत के अंतर्गत विकसित कॉलोनी आशीर्वाद वैली घूम आइए। मेसर्स आशीर्वाद बिल्डकॉन ने यहां 15.49 एकड़ जमीन पर ए, बी व सी टाइप के कुल 160 मकान बनाने की सशर्त अनुमति प्रशासन से ली और वहां 220 मकान तान दिए। इसकी जानकारी नेताओं और अफसरों को भी है, लेकिन किसी ने भी बिल्डर पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटाई है।

पुराना हाईकोर्ट रोड निवासी विजय कुमार प्रीतवानी व रविकुमार प्रीतवानी आशीर्वाद बिल्डकॉन के भागीदार हैं। दोनों ने बोदरी नगर पंचायत के वार्ड 4 स्थित खसरा नंबर 6/2, 37/2, 38, 39/1, 39/2, 39/3, 39/4, 43/1, 43/2, 47, 48/1, 49/3, 52/2 में शामिल कुल जमीन 15.49 एकड़ में आशीर्वाद वैली बसाने के लिए ले-आउट बनवाया। उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार आशीर्वाद बिल्डकॉन के ले-आउट पास करने के आवेदन को मंजूरी देते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त संचालक ने 18 मार्च 2014 को बोदरी के सीएमओ के नाम एक आदेश जारी किया है, जिसमें 18 शर्तें शामिल हैं। पत्र में साफ लिखा गया है कि मानचित्र में किसी प्रकार का पतिवर्तन/संशोधन मान्य नहीं होगा। भवन निर्माण की अनुमति नगर पंचायत बोदरी से प्रा’ करनी होगी। किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर यह अनुमति स्वमेव निरस्त हो जाएगी।

नगर पंचायत बोदरी के सीएमओ ने मेसर्स आशीर्वाद बिल्डकॉन को 13 मई 2014 को 11 शर्तों के साथ भवन निर्माण की अनुमति दी है। इसके अनुसार 15.49 एकड़ में से ए टाइप 48, बी टाइप 86 और सी टाइप 26 मकान बनाने की अनुमति दी गई है। सीएमओ ने भी मानचित्र में छेड़छाड़ करने पर अनुमति समा’ होने का उल्लेख किया है। अरविंद सिंह द्बारा प्रशासन को की गई शिकायत के अनुसार आशीर्वाद वैली में 160 मकान बनाने की अनुमति ली गई थी, लेकिन वहां पर 220 मकान बना दिए गए हैं। 60 मकान अतिरिक्त बनाने के लिए बिल्डर ने जमीन नहीं बढ़ाई है। जाहिर है, उन्होंने ए, बी या सी टाइप मकान को छोटा बनाया होगा। यहां कॉलोनी विकसित करने के लिए बिल्डर ने खसरा नंबर 43/1, 48/2 में से 101210.66 वर्गफीट भूमि सीएमओ ने होल्ड कर लिया था। इतनी बड़ी गफलत होने के बाद नगर पंचायत बोदरी के अफसरों ने बंधक प्लाटों को मुक्त कर दिया और बिल्डरों को उपयोगिता प्रमाण पत्र तक जारी कर दिया है। सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी गफलत अफसरों को कैसी नजर नहीं आई।

मौके पर गए राजस्व अफसरों ने क्या मकानों की गिनती नहीं की। आंख मूंदकर उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के पीछे पैसे की ताकत को बल मिल रहा है। बता दें कि मानचित्र में स्वीमिंग पुल का निर्माण करने का जिक्र है, लेकिन स्वीमिंग पुल के लिए आरक्षित जमीन पर बैडमिंटन कोर्ट बना दिया गया है, जहां देर रात तक शोर-शराबा मचते रहता है। इसकी शिकायत भी प्रशासन से की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

(नोट: अगले अंक में पढ़िए…ए, बी और सी टाइप मकान कितने वर्गफीट पर बनने थी और बनाए गए कितने वर्गफीट पर)

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