बिलासपुर। जीवन के एक नाजुक मोड़ पर 10 वर्षीय आकांक्षा पाटले को समय रहते हुए उचित उपचार मिलने से वह एक गंभीर बीमारी को मात देने में सफल रही। अकलतरा के ग्राम बामनीह निवासी जगन्नाथ पाटले एवं सुनीता पाटले की पुत्री कु. आकांक्षा पाटले को अचानक तबीयत बिगड़ने पर 18 जून 2025 को परिजनों द्वारा श्री शिशु भवन हॉस्पिटल, ईदगाह रोड, मध्य नगरी चौक में भर्ती कराया गया।
अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. श्रीकांत गिरी ने जाँच के दौरान HBA1C टेस्ट कराया, जिसमें स्पष्ट हुआ कि आकांक्षा को टाइप 1 डायबिटीज (T1D) है। यह बीमारी पहले जुवेनाइल डायबिटीज के नाम से जानी जाती थी और बच्चों में पाई जाने वाली एक गंभीर, लेकिन अब प्रबंधनीय स्थिति है। डॉक्टरों के अनुसार, इस रोग में अग्नाशय (पेनक्रियाज) इंसुलिन का उत्पादन करना लगभग बंद कर देता है, जिससे शरीर में ग्लूकोज का नियंत्रण बिगड़ जाता है।
डॉ. गिरी ने बताया कि यह एक गैर-संचारी रोग है जो नवजातों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी प्रभावित कर सकता है। आकांक्षा की हालत गंभीर थी, लेकिन हॉस्पिटल की विशेषज्ञ टीम द्वारा लगातार मॉनिटरिंग, इंसुलिन थेरेपी और समय पर दी गई चिकित्सा से उसकी तबीयत में तेज़ी से सुधार हुआ।
लगभग एक सप्ताह की चिकित्सकीय निगरानी और इलाज के बाद आकांक्षा की हालत सामान्य हो गई और उसे 25 जून 2025 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल प्रबंधन द्वारा परिजनों को इंसुलिन लगाने की विधि एवं दवा प्रबंधन की जानकारी भी दी गई, ताकि आगे चलकर घर में भी मरीज की देखभाल अच्छे से की जा सके।
स्वस्थ होकर घर लौटने पर आकांक्षा के माता-पिता ने श्री शिशु भवन के समस्त स्टाफ एवं डॉक्टरों का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अस्पताल की तत्परता, देखभाल और समर्पण के कारण ही उनकी बेटी की जान बच सकी।
इस पूरी जानकारी को प्रेस के माध्यम से श्री शिशु भवन हॉस्पिटल के प्रबंधक नवल वर्मा ने साझा किया। उन्होंने बताया कि श्री शिशु भवन बच्चों के लिए समर्पित एक प्रमुख चिकित्सालय है, जो हर प्रकार की बाल स्वास्थ्य समस्याओं का विशेषज्ञ उपचार उपलब्ध कराता है।