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चीन के बैक्टीरिया कर रहे भारतीय मरीजों पर हमला केजीएमयू के शोधकर्ताओं का खुलासा

चीन के खतरनाक बीजिंग बैक्टीरिया ने भारत पर हमला बोल दिया है। यह खतरनाक बैक्टीरिया टीबी के सामान्य मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। नतीजतन, सामान्य टीबी के मरीजों में पहले स्टेज की दवाएं फेल हो रही हैं।
इलाज के दौरान मरीज एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) की चपेट में आ रहे हैं। यह खुलासा केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग और सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोध में हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि इस घातक बैक्टीरिया की रोकथाम फिलहाल मुश्किल है।

यह शोध लंग इंडिया जर्नल में प्रकाशित हुआ है। रेस्परेटरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय वर्मा ने बताया कि फेफड़े के सामान्य टीबी के 107 मरीजों पर शोध हुआ। इनमें करीब 31.78 फीसदी मरीजों में बीजिंग बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। 25 से 60 साल की उम्र के लोगों को शोध में शामिल किया गया। लखनऊ और उसके आसपास के जिलों के लोगों पर शोध हुआ। उन्होंने बताया कि लगातार दो हफ्ते से ज्यादा खांसी व मुंह से खून आने की शिकायत लेकर मरीज ओपीडी में आए। बलगम व एक्सरे जांच कराई, जिसमें फेफड़े की टीबी की पुष्टि हुई। इन मरीजों में टीबी प्रथम स्टेज की दवा शुरू की गई। इलाज के बावजूद मरीजों की तबीयत में सुधार नहीं हुआ।

दवा चलने के बाद पनपा एमडीआर टीबी
शोध में शामिल टीबी के 107 मरीजों ने कभी बीच में दवा नहीं छोड़ी। लगातार पांच से छह माह टीबी की दवा खाई। इसके बावजूद मरीज की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। दोबारा बलगम की जांच की तो बैक्टीरिया की संख्या बढ़ गई। इस आधार पर एमडीआर टीबी की जांच कराई गई। मरीजों में एमडीआर की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि एमडीआर टीबी उन्हीं मरीजों को होता है जो बार-बार टीबी की दवा छोड़ देते हैं। बीमारी उभरने पर फिर दवा चालू कर देते हैं। शोध में शामिल मरीजों ने बीच में कभी दवा नहीं छोड़ी। इसके बावजूद बीमारी का प्रकोप कम होने की जगह बढ़ता गया। मरीज एमडीआर की चपेट में आ गए।

खतरनाक है बीजिंग बैक्टीरिया

डॉ. अजय वर्मा ने बताया कि भारत में बीजिंग के बैक्टीरिया का आना बेहद खतरनाक व चिंताजनक है। यूपी में बीजिंग बैक्टीरिया के प्रसार की प्रमुख वजह चीन के टीबी मरीज यहां आना हो सकता है। साथ ही, यहां का मरीज चीन गया हो तब वहां से बैक्टीरिया आ सकता है। खांसी व सांस के जरिए बैक्टीरिया से एक दूसरे मरीज के शरीर में दाखिल होता है।

-टीबी के सामान्य मरीजों का इलाज छह से आठ महीने चलता है। सामान्य मरीज में चार से छह दवाएं दी जाती हैं।
-एमडीआर टीबी का इलाज दो साल चलता है। इसमें छह तरह की दवाएं मरीजों को खिलाई जाती हैं। प्रतिदिन इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है। छह महीने तक रोज एक इंजेक्शन लगाया जाता है।
-चीन में टीबी के 90 फीसदी मरीजों में बीजिंग बैक्टीरिया पाया जाता है।

शोध में शामिल विशेषज्ञ

पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत, डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. अंकित कुमार, आनंद श्रीवास्तव, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. अमिता जैन, सीएसआईआर के डॉ. किशोर श्रीवास्तव तथा अन्य।
लक्षण
-दो हफ्ते से अधिक खांसी
-शरीर में थकान
-वजन कम होना
-भूख कम लगना
-लगातार खांसी आना
-शाम को बुखाराआना
-सांस लेने में तकलीफ
-कफ की वजह से छाती में दर्द
-रात में पसीना आने जैसी समस्या
-खांसी के साथ बलगम से खून आना
फैक्ट फाइल
-यूपी में टीबी के दो लाख 61 हजार मरीज पंजीकृत हैं।
-करीब एक लाख की आबादी में 257 टीबी के मरीज हैं।
-2000 जांच सेंटर हैं।
-40 हजार डॉट्स प्रोवाइडर हैं।
-टीबी का मरीज के एक बार खांसने से 3500 कीटाणु निकलते हैं।
-देश में हर डेढ़ मिनट में एक टीबी मरीज की सांसें थम रही हैं।

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