भारत में प्रोडक्शन यूनिट्स लगाने की चाह रखने वाली अमेरिका की डिफेन्स कंपनिया अब मेक इन इंडिया प्लान के तहत टेक्नोलॉजी पर पूरा मालिकाना हक़ चाहती है. यह बात रक्षा मंत्री को यूएस बिजनेस काउंसिल द्वारा लिखे गए एक पत्र में सामने आई है. जिसके अनुसार अमेरिकी डिफेन्स कंपनियां टेक्नोलॉजी के आधे मालिकाना हक के पक्ष में नहीं है.
कंपनियों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया मुहिम के तहत लोकल पार्टनर के साथ बनाए गए प्रोडक्ट्स में यदि किसी तरह का डिफेक्ट आता है तो उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगी.
बता दें कि रक्षा मंत्रालय के स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत भारत अमेरिका की डिफेन्स कंपनियों से करार करने वाला है. जिसके चलते अमेरिकी कंपनियों ने यह शर्त रखी है.
तो भारत में शिफ्ट होंगी अमेरिकी डिफेन्स कंपनियां
गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना से मिग विमान रिटायर होने की कगार पर हैं. मिग के रिटायर होने के बाद भारत को सैकड़ों नए लड़ाकू विमान की जरुरत होगी. जिसक चलते अमेरिका की लोकहीड मार्टिन और बोइंग भारत को लड़ाकू विमान सप्लाई करने की दौड़ में है.
लोकहीड ने भारत को यह ऑफर दिया है कि यदि उसे 100 सिंगल इंजन फाइटर विमान बनाने का आर्डर मिलता है तो वह अपने अमेरिका के टेक्सास और फोर्ट वर्थ स्थित f-16 प्रोडक्शन लाइन को भारत में शिफ्ट करेगा.
बता दें कि रक्षा मंत्रालय के स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत लोकहीड ने टाटा एडवांस सिस्टम को अपना लोकल पार्टनर चुना है. इस मॉडल के तहत भारतीय पार्टनर के साथ फॉरेन ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEMs) 49 प्रतिशत तक शेयर जॉइंट वेंचर में रख सकते हैं.
यूएस- इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) ने पिछले माह रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर यह आश्वासन मांगा है कि यूएस कंपनियों को पब्लिक प्राइवेट डिफेन्स पार्टनरशिप के बावजूद सेंसेटिव टेक्नोलॉजी पर कंट्रोल मिले. ताकि कंपनियां क्वालिटी बरकरार रख सके.