बिलासपुर 6 अप्रैल। आपातकालीन चिकित्सा वाहन 108 और महतारी एक्सप्रेस 102 के संविदा कर्मचारियों के बेमद्दत हड़ताल पर चले जाने से गांवों में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। गांवों में हाहाकार मचा हुआ है। हालात यह है कि गांवों से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ा। शहरी मरीजों के लिए राहत की बात यह है कि सिम्स प्रबंधन ने इनके लिए तीन वाहन की व्यवस्था कर रखी है, जो फोन आते ही मरीज के पास पहुंच जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के 108 और 102 के संविदा कर्मचारी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर बीते गुरुवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। वे मांगें मानने के बाद ही हड़ताल वापस लेने पर अड़े हुए हैं। उनके हड़ताल पर चले जाने से जिले की चिकित्सा व्यवस्था लड़खड़ा गई है। हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को जिले की चिकित्सा व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा। सुबह से लेकर शाम तक गांवों से मरीज रिक्शा, ऑटो व बाइक में सिम्स और जिला अस्पताल पहुंचे। इसी व्यवस्था से वे गांव लौटे। अस्पताल में भर्ती ऐसे मरीज, जिन्हें छुट्टी मिली, उन्हें भी घर वापस जाने के लिए निजी गाड़ियां किराए पर लेनी पड़ी। दूसरी ओर, हड़ताल का असर शहर में आंशिक रहा। दरअसल, सिम्स प्रबंधन ने आपात स्थिति से निपटने के लिए तीन वाहनों की व्यवस्था कर रखी है। शहर के किसी कोने से जैसे ही मरीज का फोन आता है, उसके घर ये वाहन भेजे जा रहे हैं। इससे शहर में थोड़ी राहत है।
मूर्ति बोले- शहर में 70 प्रतिशत स्थिति ठीक है
सिम्स के अस्पताल अधीक्षक डॉ. रमणेश मूर्ति का कहना है कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए वाहन की व्यवस्था कर रखी है। शहर के मरीजों को लेने के लिए ये वाहन चलाए जा रहे हैं। हड़ताल का असर शहर में खास नहीं है। यहां चिकित्सा व्यवस्था 70 प्रतिशत तक ठीक है। गांव में चिकित्सा व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सीएमएचओ की है। इसलिए गांवों के हालात के बारे में वे ही जानकारी दे सकते हैं।
जारी रहेगी हड़ताल: कर्मचारी संघ
108 व 102 के कर्मचारी संगठन का कहना है कि वे लोग कई बार अपनी समस्याएं व मांगों को लेकर जीवीके कंपनी और शासन से चर्चा कर चुके हैं, लेकिन केवल आश्वासन मिलता रहा है। अब हम आरपार की लड़ाई के मूड में है।
मोबाइल बंद कर सीएमएचओ गायब
गांवों में स्वास्थ्य सुविधा को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और जिम्मेदार अफसर सीएमएचओ डॉ. बीबी बोर्डे इस मामले को लेकर बेपरवाह नजर आ रहे हैं। शुक्रवार दोपहर में उनका मोबाइल चालू था। जब गांवों की स्थिति जानने के लिए उन्हें कॉल किया गया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। कुछ देर बाद जब दोबारा कॉल किया गया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ बताने लगा। इससे समझा जा सकता है कि वे अपने कर्तव्य के प्रति कितने गंभीर हैं।