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स्वास्थ्य

झोलाछाप डॉक्टरों के लिए बुरी खबर, बिना डिग्री के इलाज करने वालों की प्रैक्टिस पर रोक

झोलाछाप डॉक्टरों के लिए बुरी खबर, बिना डिग्री के इलाज करने वालों की प्रैक्टिस पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना किसी स्वीकृत या अनुमोदित योग्यता के किसी व्यक्ति को इस आधार पर देशी तरीके से मरीजों का इलाज करने की इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह उनका पुश्तैनी काम है। किसी भी पेशे या व्यवसाय को अपनाने के मौलिक अधिकार का यह कतई मतलब नहीं है कि बिना स्वीकृत योग्यता के लोगों को देशी इलाज करने की अनुमति दी जाए। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि बिना अपेक्षित योग्यता के बगैर किसी भी पारंपरिक या किसी अन्य तरीके से इलाज करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

आजादी के 70 वर्ष बाद भी देश में झोला छाप डॉक्टरों की चल रही दुकानदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि झोला छाप डॉक्टर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक फैसले में कहा कि हमारे देश में आवश्यता से कम क्वालीफाइड डॉक्टर हैं। पहले डॉक्टर, वैद्य और हकीमों की शिक्षा और प्रशिक्षण केलिए कम शिक्षण संस्थान थे लेकिन अब समय बदल गया है। अब देश में बड़ी संख्या में देशी मेडिसीन की शिक्षा देने वाले संस्थान हैं। लेकिन आजादी केसात दशक बाद भी देश में दवाइयों के बारे में हल्की-फुल्की जानकारी रखने वाले या बिना स्वीकृत योग्यता वाले लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं और लाखों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कभी-कभी ऐसे लोग भारी चूक कर देते हैं और लोगों की जान चली जाती है। ऐसे लोग समाज के लिए घातक हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय संविधान के तहत किसी भी व्यक्ति को कोई भी पेशा या व्यापार या व्यवसाय अपनाने का अधिकार है लेकिन पेशा या व्यवसाय अपनाना किसी तकनीकी या पेशेवर योग्यता से संबंधित कानून के दायरे में होता है। लेकिन इस अधिकार पर नियंत्रण लगाया जा सकता है क्योंकि न केवल इलाज करने वाले (मेडिकल प्रैक्टिसनर) का अधिकार महत्वपूर्ण है बल्कि मरीजों को उचित चिकित्सा सुविधा पाने का भी अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए केरल में सदियों से चली आ रही देशी इलाज करने वाले तथाकथित वैद्य को मेडिकल प्रैक्टिस की इजाजत देने से इनकार करते हुए दी है। ये वे लोग हैं पीढ़ी दर पीढ़ी इस पेशे को अपनाते चले आ रहे हैं। इनकी आजीविका का साधन भी यहीं हैं। इन लोगों की दलील थी कि वे सदियों से लोगों का इलाज कर रहे हैं और लोगों को स्वस्थ करते हैं।

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