Wednesday, December 11, 2024
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आदिवासी युवती को बंधक बनाकर मारपीट करने के मामले में न्याय दिलाने समाजसेविका आईं सामने, मानवाधिकार आयोग तक ले जायेंगे मामला-प्रियंका शुक्ला

बिलासपुर। ताज़ाख़बर36गढ़ – सिविल लाईन थाने में पदस्थ शैलेन्द्र सिंह द्वारा आदिवासी लड़की को दो सालों से बंधक बनाकर रखने के मामले में पुलिस के उदासीन रवैए को देखकर अब बंधक आदिवासी लड़की को न्याय दिलाने समाजसेवी सामने आ गए हैं। उनका कहना है कि वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय जनजाति आयोग व छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस जवाबदेही प्राधिकार में इस मामले की शिकायत दर्ज कराएंगे।

मालूम हो कि समाजसेविका एवं अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला, दिव्या जैसवाल तथा छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े नंद कश्यप व पीयूसीएल के नीलोत्पल शुक्ल ने आज शहर के इंदु चौक स्थित कश्यप कांपलेक्स में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि सिरगिट्टी पुलिस ने 3 मई को सिविल लाइन थाने में पदस्थ एएसआई शैलेंद्र सिंह व उनकी पत्नी शशि सिंह के अभिलाषा परिसर स्थित घर से बीजापुर में रहने वाली एक आदिवासी युवती को मुक्त कराया था। जहा युवती के कथनानुसार उसे यहां एएसआई द्वारा दो साल से बंधक बनाकर रखा गया था। शुरुआत में पुलिस मामले में सही तरीके से कार्रवाई कर रही थी, लेकिन बाद में पुलिस उदासीन हो गई। भारी दबाव के बाद दूसरे दिन सिरगिट्टी पुलिस ने आरोपी दंपती के खिलाफ धारा 342, 294, 506, 504, 34 आईपीसी व एससीएसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की परन्तु अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने बताया कि इस घटना से साफ पता चलता है कि आरोपी दंपती को संबंधित थाना और उसका विभाग बचाने की कवायद में जुटा हुआ हैं। हमें डर है कि घरवालों को धमका कर उन पर दबाव बनाकर मामले को रफा-दफा कराया जा सकता है।
पत्रवार्ता के दौरान अधिवक्ता शुक्ला ने बताया कि लगातार युवती के परिजनों से संपर्क करने का प्रयास जारी था परंतु संपर्क नही हो पा रहा था। रविवार को सूत्रों से पता चला कि युवती के पिता को कोई झूठ बोलकर ले जाया गया है। उन्हें किसी व्यक्ति ने कहा कि चलो अपनी बेटी को ले आओ और घरवालों के सामने ये झूठ बोला कि युवती को दंतेवाड़ा लेकर आ गए हैं, जबकि युवती उस समय और आज तक बिलासपुर में है। उन्होंने कहा कि यह घटनाएं गरीब व आदिवासियों के शोषण की एक कड़ी मात्र है जिसमें आदिवासियों की आर्थिक कठिनाइयों का फायदा उठाकर शैलेन्द्र सिंह व शशि सिंह जैसे न जाने कितने शहरी लोग आदिवासियों के भोलेपन और गरीबी का फायदा उठाते हुए एक अच्छे जीवन की झूठी तस्वीर बनाकर आदिवासियों को अपने घरों में नौकरी के नाम पर उनके अधिकारों का हनन व प्रताड़ना करते हैं। इस पूरे मामले में हम पहले दिन से आज तक नजर बनाए रखे हुए हैं जिसके बाद यह महसूस हुआ कि मामला सिर्फ एक बच्ची का नहीं बल्कि कई बच्चियों का है और सीधा-सीधा मानव तस्करी व बंधुआ मजदूरी का भी है।

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