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कैसे चलता है सट्टेबाजी का काला ‘धंधा’? ये होते हैं इसके सीक्रेट ‘कोड वर्ड’

कैसे चलता है सट्टेबाजी का काला ‘धंधा’? ये होते हैं इसके सीक्रेट ‘कोड वर्ड’

कैसे चलता है ये ‘खेल’

सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं, जो पैसे का हिसाब किताब रखता है, उसे बुकी कहा जाता है. सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है. सट्टा लगाने वाले फंटर 2 शब्द खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं. यानी किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं. ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं. इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है. डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन है, जो मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं.

कोड वर्ड से करोड़ों का लेनदेन

डिब्बा पर ही हर बॉल का रेट बताया जाता है. पूरे आईपीएल के दौरान डिब्बे का कनेक्शन ढाई से 3 हजार में मिलता है. डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है. आईपीएल मैच में सट्टा 2 सेशन में लगता है. दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं. ‘सेशन एक पैसे का है, ‘मैने चव्वनी खा ली है ‘डिब्बे की आवाज कितनी है ‘तेरे पास कितने लाइन है, ‘आज फेवरेट कौन है, ‘लाइन को लंबी पारी चाहिए. कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग अल्फाज लगें, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है.

कैसे तय होता है रेट

डिब्बे पर अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर डिब्बा उसका रेट 80-83 आता है तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाओगे तो 1 लाख रुपए मिलेंगे और दूसरी टीम पर 83 लगाओगे तो 1 लाख रुपए मिलेंगे. आईपीएल पर सट्टे बाजार में करोड़ों का सट्टा लगता है. सट्टे के खेल में स्टूडेंट्स को ज्यादा शामिल किया जाता है. आईपीएल मैच शुरू होने से पहले ही सभी 8 टीमों के रेट जारी कर दिए जाते हैं. साथ ही टॉप टू प्लेयर भी घोषित किए जाते हैं. हालांकि, भाव लगातार बदलता रहता है.

क्या होता रेट का कोड वर्ड

मैच की पहली गेंद से लेकर टीम की जीत तक भाव चढ़ते-उतरते हैं. एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है. जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं. एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है. अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को ‘मैंने चवन्नी खा ली कहना होता है.

कहां तय होते हैं कोड वर्ड

करोड़ों के सट्टे में बुकीज कोड वर्ड के जरिए हर गेंद पर दांव चलते हैं. हैरानी की बात है कि ये कोड नेम हिंदुस्तान से नहीं बल्कि जहां से सट्टे की लाइन शुरू होती है, वहीं इन कोड नेम का नामकरण किया जाता है. जी हां, ये कोड दुबई और कराची में रखे जाते हैं, जिनमें बहुत से कोड नेम का नाम डी कंपनी यानी अनीस इब्राहीम और छोटा शकील ने खुद रखे हैं.

इसलिए होता है कोड वर्ड का इस्तेमाल

दरअसल, कोड वर्ड का ये सारा खेल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से बचने के लिए किया जाता है. सट्टे की सैकड़ों टेलीफोन लाइनें टैप करते वक्त पुलिस फिक्सिंग के सच तक ना पहुंच सके इसलिए ऐसा किया जाता है. वो फिक्सिंग जिसकी शुरूआत अंडरवर्ल्ड के सबसे खतरनाक डॉन दाऊद इब्राहीम ने पाकिस्तान के एक बेहद नामी खिलाड़ी के साथ शुरू की थी.

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