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रवींद्र नाथ टैगोर ने रक्षाबंधन के दम पर रोका था बंंगाल का विभाजन, अंग्रेज सरकार को किया था पराजित

(ताज़ाख़बर36गढ़) साल 1905 में ब्रिटिश सरकार ने बंगाल के बंटवारे का ऐलान किया था. इसके बाद देशभर में हड़कंप मच गया था तो इसका विरोध करते हुए रबींद्रनाथ टैगोर ने रक्षाबंधन को एक अलग ही अर्थ दे दिया थाा. तब रवीद्र नाथ टैगोर ने रक्षाबंधन का इस्तेमाल हथियार के रूप में किया था और अंग्रेजी शासन की चूलें हिला दी थी.

दरअसल, भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन ने 19 जुलाई 1905 को बंगाल के विभाजन का ऐलान कर दिया था. तब बंगाल में आज का पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम और बांग्लादेश शामिल था. इसकी आबादी काफी ज्यादा थी. इतने बड़े इलाके खासकर इसके पूर्वी हिस्से का प्रशासन संभालना ब्रिटिश सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा था. यही बात कहकर सरकार ने इसके दो टुकड़े करने का ऐलान कर दिया था.

ब्रिटिश सरकार की योजना के तहत असम के साथ ढाका, त्रिपुरा, नोआखाली, चटगांव और मालदा जैसे इलाकों को मिलाकर पूर्वी बंगाल और असम नाम का एक नया राज्य बनना था. लेकिन बंगाली समुदाय को इसमें छिपी साजिश समझ आ गई थी.

यह अंग्रेजों की ‘डिवाइड एंड रूल’ यानि बांटो और राज करो जैसी नीति के तहत किया जा रहा था. दरअसल, बंगाल का पूर्वी हिस्सा मुस्लिम बहुल था जबकि पश्चिमी हिस्से में हिंदू समुदाय की आबादी ज्यादा थी. अंग्रेज सरकार इन दोनों समुदायों को बांटकर इनमें विभाजन पैदा करना चाहती थी.

जल्द ही लोगों में चर्चा होने लगी कि यह अंग्रेजों की बांटो और राज करो वाली पुरानी चाल है. फिर क्या था.. बंगाल के बंटवारे का पूरे देश में भारी विरोध होने लगा. कांग्रेस ने इसके विरोध में स्वदेशी अभियान की घोषणा की. इसके तहत सारे विदेशी सामानों का बहिष्कार किया जाना था. पूरे देश में विदेशी कपड़ों की होली जलने लगी. 

वहीं रवींद्रनाथ टैगोर ने इसके विरोध का एक अलग और अनोखा रास्ता निकाला. टैगोर ने ऐलान किया कि बंटवारे के दिन यानी 16 अक्टूबर को राष्ट्रीय शोक दिवस होगा और बंगालियों के घर में उस दिन खाना नहीं बनेगा. हिंदुओं और मुसलमानों के बीच आपसी भाईचारे का संदेश देने के लिए टैगोर ने राखी का उपयोग किया.

उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान एक दूसरे को राखी बांधें और शपथ लें कि वे जीवनभर एक-दूसरे की सुरक्षा का एक ऐसा रिश्ता बनाए रखेंगे जिसे कोई तोड़ न सके. 16 अक्टूबर को टैगोर ने गंगा में डुबकी के साथ अपना दिन शुरू किया. गंगा किनारे से उनकी अगुवाई में ही एक जुलूस शुरू हुआ. अपने साथ वह राखी का गट्ठर लिए कोलकाता की सड़कों पर चलते जा रहे थे और जो भी मिल रहा था उसे राखी बांध रहे थे.

जुलूस आगे बढ़ता गया. टैगोर जहां-जहां से गुजरे, सड़क के दोनों तरफ लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. साथ में चल रहे लोग उनके द्वारा लिखा गया गीत गा रहे थे. इस गीत में ईश्वर से बंगाल को सुरक्षित और एकजुट रखने की प्रार्थना की गई थी. छतों पर खड़ी महिलाएं जुलूस पर चावल फेंक रही थीं और शंख बजा रही थीं.

इस विरोध का असर हुआ और कुछ समय के लिए बंगाल विभाजित होने से बच गया. हालांकि बाद में सन 1912 में बंगाल का विभाजन कर बिहार, असम और उड़ीसा को इससे अलग कर दिया गया. लेकिन इस बार यह बंटवारा हिंदू-मुसलमान का न होकर भाषाई आधार पर हुआ था. इस तरह टैगोर ने राखी से एक अजब ही आंदोलन किया था.

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