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राजनीति

प्रदेश बीजेपी के मंत्रियों को दोबारा विधानसभा टिकट पाने के लिए करनी पड़ रही मशक्कत


बिलासपुर/ विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करने में भाजपा नेतृत्व केवल राज्य इकाइयों की सिफारिश पर ही फैसला नहीं करेगा। विभिन्न स्तरों से आए फीडबैक और सोशल मीडिया पर सक्रियता भी अहम कारक रहेगा। सबसे कठिन चयन प्रक्रिया भाजपा की अपनी सरकार वाले राज्यों छत्तीसगढ़, मघ्यप्रदेश व राजस्थान में होगी। यहां पर कई मंत्री व विधायकों को भी फिर से टिकट पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा 15 साल से लगातार सत्ता में है। यहां पर सरकार विरोधी माहौल सबसे ज्यादा रहने की आशंका है। कई विधायक व मंत्री इन तीनों सरकारों और उससे पहले से भी लगातार चुने जाते रहे हैं। ऐसे में हर विधायक के बारे में पूरी जानकारी एकत्रित की जा चुकी है। सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों के साथ इन नेताओं की सोशल मीडिया पर सक्रियता, अपने क्षेत्रों में लोकप्रियता व कामकाज को भी परखा जाएगा।

कई स्तरों से चयन प्रक्रिया

सूत्रों के अनुसार पार्टी पहले राज्य स्तर पर ही कई नामों की छंटनी कर देगी। इसके बाद केंद्रीय स्तर पर होने वाली प्रक्रिया में यह भी देखा जाएगा कि विकल्प कौन है और सामने का उम्मीदवार कौन है या हो सकता है। इस बात पर भी गौर किया जाएगा कि टिकट काटने से कहीं ज्यादा नुकसान तो नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार इसके लिए तीन स्तरों वाले फीडबैक पर काम किया जाएगा। भाजपा का अपना तंत्र, संघ के हर जिले के व राज्य के संगठन मंत्री और पार्टी का निजी सर्वेक्षण सबसे अहम भूमिका निभाएगा।

नेता बदल सकते हैं क्षेत्र

सूत्रों के अनुसार राज्य स्तर पर संगठन के कुछ मंत्रियों को अपना क्षेत्र बदलने की भी सलाह दी है, ताकि जीत की संभावनाएं बेहतर हो सकें। चूंकि राज्य में विधान परिषद नहीं होने से एक ही सदन है, ऐसे में सरकार के बेहतर कामकाज वाले मंत्रियों व अन्य प्रमुख नेताओं को जिनके मौजूदा क्षेत्र में कुछ दिक्कतें हैं उनको इस तरह का विकल्प दिया गया है। हालांकि कई नेताओं के टिकट काटे जा सकते हैं।

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