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देशराजनीति

लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव से पहले आए सर्वे ने बढ़ाई मोदी सरकार की मुश्किल

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में 17 दिन से भी कम समय बाकी है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में आए दो अलग-अलग सर्वे के परिणामों से सत्ता में दोबारा वापसी के प्रयासों में जुटी बीजेपी के लिए परेशानी की स्थिति पैदा हो सकती है। ताजा सर्वे में तो यहां तक दावा किया गया है कि देश के 543 लोकसभा क्षेत्रों में से 534 क्षेत्र के मतदाता मोदी सरकार के कामकाज से बहुत खुश नहीं हैं। बीजेपी की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि दोनों सर्वे में बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा माना गया है, जिसे विपक्ष पार्टियां जोर-शोर से उठा रही हैं।

सरकार का प्रदर्शन औसत से नीचे-सर्वे

एक स्वतंत्र एनजीओ (NGO) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 534 लोकसभा क्षेत्रों में सर्वे के आधार पर दावा किया है कि जनता की नजर में मोदी सरकार का प्रदर्शन 5 अंकों में 3 से भी कम यानि औसत से नीचे रहा है। इसका आकलन मतदाताओं के 31 प्राथमिकता वाले मुद्दों को आधार बनाकर किया गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने देशभर के 2.73 लाख मतदाताओं के बीच ये सर्वे पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच किया था। इसमें मतदाताओं के सामने उनकी अलग पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को वोट देने या मौजूदा सरकार को बनाए रखने जैसे मुद्दे नहीं रखे गए थे। इस सर्वे का दावा है कि मतदाताओं ने आतंकवाद और रक्षा विषयों की जगह रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी बातों को ही प्राथमिकता दी है।

रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक आमतौर पर पूरे भारत में 18 साल या उससे ऊपर के नागरिकों के लिए रोजगार का अवसर सबसे बड़ा मुद्दा है। हालांकि, कुछ शहरी लोकसभा क्षेत्र के युवा मतदाताओं में ट्रैफिक जाम, अच्छी सड़कें और स्वच्छ हवा का मुद्दा रोजगार पर भारी पड़ा है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के पहले के सर्वे से तुलना करें तो 5 के स्केल पर 2017 में अच्छे रोजगार के अवसर की प्राथमिकता जो 30% थी, वह 2018 में बढ़कर 47% तक पहुंच गई थी। जबकि अगर इसी समय में सरकार के प्रदर्शन को देखें तो वह 3.17% से घटकर 2.15% रह गई थी। वहीं एक दूसरे सर्वे पियु (Pew Survey)के आंकड़ों के मुताबिक भी 76% लोग रोजगार के अवसरों की कमी को देश की सबसे बड़ी समस्या मानते हैं। हालांकि अमेरिकी रिसर्च सेंटर का ये सर्वे पिछले साल 23 मई से 23 जुलाई के बीच ही किया गया था और उसमें 2,521 लोगों से राय ली गई थी।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक रोजगार के बाद स्वास्थ्य, पीने का पानी, सड़क, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, खेती के लिए पानी की व्यवस्था,खेती के लिए लोन, किसानों के उत्पाद की उचित कीमतें, बीज और खाद पर सब्सिडी और कानून-व्यवस्था के मुद्दे मतदाताओं के लिए प्राथमिकताओं के विषय रहे। जबकि, पियु (Pew Survey)ने रोजगार और पाकिस्तान से खतरे के बाद महंगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अपराध जैसे मुद्दों को ज्यादा अहम बताया है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं को निचले पायदान पर दिखाया है।

आतंकवाद के खिलाफ जंग के भरोसे ही जीतेगी मोदी सरकार?

गौरतलब है कि ये दोनों सर्वे पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले और उसके खिलाफ पाकिस्तान में घुसकर भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई से पहले कराए गए थे। अमेरिकी रिसर्च सेंटर के सर्वे (Pew Survey) में 65% लोगों ने आतंकवाद को बड़ा मुद्दा बताया था। लेकिन, बीजेपी के लिए राहत की बात ये हो सकती है कि इसमें 76% लोग रोजगार के अवसर को बड़ी समस्या तो मानते ही हैं, उतनी ही फीसदी लोग पाकिस्तान को भारत के लिए खतरा भी मानते हैं। यानि, पियु (Pew Survey)की मानें तो रोजगार की बात छोड़ दें तो ज्यादातर भारतीय इस बात को लेकर आशावादी दिखते हैं कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी रोजगार और रोजमर्रा से जुड़े बाकी मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाकर आतंकवाद और पाकिस्तान की समस्या की ओर लोगों का ध्यान खींचने में सफल हो पाएयी? क्योंकि, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)के सर्वे में जो कृषि का मुद्दा उठाया है, उससे जुड़ी पीएम किसान सम्मान निधि योजना इस साल फरवरी से शुरू हो चुकी है और करोड़ों किसानों के खातों में आर्थिक मदद की किस्तें भी पहुंचने लगी हैं।

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